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ऊर्जा का स्रोत

Times Darpan
Last updated: 2020-04-24 18:42
By Times Darpan 2.2k Views
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27 Min Read
ऊर्जा का स्रोत

भौतिकी में, ऊर्जा वस्तुओं का एक गुण है, जो अन्य वस्तुओं को स्थानांतरित किया जा सकता है या विभिन्न रूपों में रूपान्तरित किया जा सकता हैं अर्थात साधारणत: कार्य कर सकने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं। और कोई भी वस्तु जिससे कि उपयोग में लाई जाने वाली ऊर्जा का हम दोहन कर सकते हैं, वह ऊर्जा का स्रोत है।

Contents
ऊर्जा का स्रोतऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत

ऊर्जा का स्रोत

  • ऐसे विविध स्रोत हैं जो हमें विभिन्न कार्यों के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं। जैसे कि कोयला, पेट्रोल, डीजल, केरोसीन और प्राकृतिक गैस, जल-विद्युत ऊर्जा, पवन चक्कियों, सौर पेनलों, जैवभार इत्यादि।
  • ऊर्जा के कुछ स्रोतों की एक लघु समय अवधि के बाद पुन: पूर्ति की जा सकती है। इस प्रकार के ऊर्जा के स्रोतों को ‘‘नवीकरणीय’’ ऊर्जा स्रोत कहते हैं।
  • जबकि ऊर्जा के वे स्रोत लघु समय अवधि के अंदर जिनकी पुन: पूर्ति नहीं की जा सकती है ‘‘अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत कहलाते हैं।
  • इस प्रकार ऊर्जा के सभी स्रोतों को हम दो भागों में बाँट सकते हैं- नवीकरणीय व अनवीकरणीय।

ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत

ऊर्जा के वो प्राकृतिक स्रोत जिनका क्षय नहीं होता या जिनका नवीकरण होता रहता है और जो प्रदूषणकारी नहीं हैं, उन्हे अक्षय ऊर्जा के स्रोत कहा जाता है। जैसे सूर्य, जल, पवन, ज्वार-भाटा, भूताप आदि।

1. सूर्य

  • सूर्य सभी जीवों के लिए ऊर्जा का मूल स्रोत है। नाभिकीय ऊर्जा को छोड़कर ऊर्जा के अन्य सभी रूप सौर ऊर्जा के ही परिणाम हैं।
  • सूर्य हमें लाखों-करोड़ों वर्षों से प्रकाश और ऊष्मा दे रहा है और यह माना जाता है कि आगे आने वाले अरबों साल तक हमें सूर्य से प्रकाश और ऊष्मा मिलती रहेगी। 
  • सूर्य प्रति सेकंड पचास लाख टन पदार्थ को ऊर्जा में परिवर्तित करता है। इस ऊर्जा का जो थोड़ा सा अंश पृथ्वी पर पहुँचता है, वह यहाँ कई रूपों में प्राप्त होता है।
  • भविष्य के लिए सूर्य एक सबसे सशक्त नवीकरणीय ऊर्जा का स्रोत है। जीवाश्म ईधन, जैव ईधन तथा प्राकृतिक गैसें आदि सौर ऊर्जा के ही संग्रहित रूप हैं।
  • सूर्य की विकिरणों का लगभग 30: भाग वातावरण की ऊपरी परतों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। शेष समुद्र, बादल व जमीन द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है।
  • सौर ऊर्जा का उपयोग खाना पकाने, ऊष्मा प्राप्त करने, विद्युत ऊर्जा के उत्पादन और समुद्री जल के अलवणीकरण में किया जाता है। सौर सेलों की मदद से सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है। 
  • छोटे स्तर पर सौर ऊर्जा का उपयोग घरों के दैनिक उपयोग, वाहनों को चलाने, विद्युत उत्पादन, रात में सड़कों की प्रकाशित करने तथा भोजन पकाने में भी किया जाता है। 
  • बड़े स्तर पर, सौर ऊर्जा से मोटरकार, विद्युत संयत्र और अंतरिक्ष यान आदि चलाए जाते हैं।

2. पवन ऊर्जा

ऊर्जा का एक अन्य वैकल्पिक स्रोत पवन ऊर्जा है जिसमें भी नुकसान पहुँचाने वाले उप-उत्पादों का निर्माण नहीं होता है। बहती वायु से उत्पन्न की गई उर्जा को पवन ऊर्जा कहते हैं।

  • पवन ऊर्जा सबसे प्राचीन और स्वच्छ ऊर्जा का स्रोत है तथा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में सर्वाधिक विकसित है। पवनचक्की में विशाल परिमाण में ऊर्जा उत्पादन करने की क्षमता होती है।
  • सौर ऊर्जा की तरह पवन ऊर्जा का दोहन भी मौसम और पवनचक्की लगाए जाने के स्थान पर निर्भर करता है। 
  • पवन ऊर्जा (wind energy) का आशय वायु से गतिज ऊर्जा को लेकर उसे उपयोगी यांत्रिकी अथवा विद्युत ऊर्जा के रूप में परिवर्तित करना है।
  • पवन ऊर्जा बनाने के लिये हवादार जगहों पर पवन चक्कियों को लगाया जाता है, जिनके द्वारा वायु की गतिज उर्जा, यान्त्रिक उर्जा में परिवर्तित हो जाती है। 
  • इस यन्त्रिक ऊर्जा को जनित्र की मदद से विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है।

3. जल विद्युत ऊर्जा

  • बहता हुआ पानी और विशाल बांधों में भरा पानी भी ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण स्रोत है, जिसे जल विद्युत ऊर्जा कहते हैं।
  • परन्तु अति-विकास और जल शक्ति का अंधाधुंध दोहन स्थानीय पर्यावरण व आवासीय क्षेत्रों पर विनाशकारी प्रभाव डाल सकता है।

4. भूतापीय ऊर्जा

  • भूतापीय ऊर्जा एक अन्य वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत है जिसको कि पृथ्वी की आंतरिक ऊष्मा से प्राप्त किया जाता है।
  • यह ऊष्मा प्राप्त करने के प्राकृतिक स्रोतों के बहुत पुराने तरीकों में से एक है जो रोमन काल में आग की बजाय पृथ्वी की आंतरिक ऊष्मा का प्रयोग घरों को गर्म रखने तथा/अथवा नहाने के लिए पानी को गर्म करने में किया जाता था।
  • ज्वालामुखी द्वीप, खनिजों के भंडार और गर्म पानी के सोते पृथ्वी की आंतरिक ऊष्मा मुख्य उदाहरण है।
  • भूतापीय ऊर्जा बाहुल्य क्षेत्रों की ऊष्मा से भूमि के अन्दर का पानी वाष्प में परिवर्तित हो जाता है जिसका उपयोग वाष्प टरबाइन को चलाकर विद्युत उत्पादन के लिए किया जा सकता है।

ऊर्जा का बाहुल्य क्षेत्र वह क्षेत्र है जहाँ पर पृथ्वी के प्रावार की मोटाई कम होती है। इस कारण पृथ्वी की अतिरिक्त आंतरिक ऊष्मा बाह्य पर्पटी की ओर प्रवाहित होने लगती है। 

5. महासागर – ऊर्जा का एक स्रोत

  • महासागर भी एक सशक्त नवीनीकरणीय ऊर्जा का स्रोत है।  समुद्र में आने वाले ज्वार-भाटा की उर्जा को उपयुक्त टर्बाइन लगाकर विद्युत शक्ति में बदल दिया जाता है।
  • ज्वारीय शक्ति या ज्वारीय ऊर्जा जल विद्युत का एक रूप है जो ज्वार से प्राप्त ऊर्जा को मुख्य रूप से बिजली के उपयोगी रूपों में परिवर्तित करती है।
  • इसमें दोनो अवस्थाओं में विद्युत शक्ति पैदा होती है – जब पानी ऊपर चढ़ता है तब भी और जब पानी उतरने लगता है तब भी। इसे ही ज्वारीय शक्ति (tidal power) कहते हैं। यह एक अक्षय उर्जा का स्रोत है।

6. जैवभार से ऊर्जा उत्पादन

जैवभार पौधों और जन्तुओं से बनने वाला कार्बनिक पदार्थ है। इसमें कूड़ा करकट, कृषि अपशिष्ट, औद्योगिक अपशिष्ट, खाद, लकड़ी, जीवों के मृत भाग आदि शामिल हैं। ऊर्जा के अन्य स्रोतों की तरह जैवभार में भी सूर्य से प्राप्त ऊर्जा संचित होती है। अत: जैवभार भी ऊर्जा के अच्छे स्रोतों में से है।

  • पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में सूर्य के प्रकाश का अवशोषण कर अपना भोजन बनाते है। जब जन्तु व मानव इन पौधों को खाते हैं तो भोजन के रूप में संचित रासायनिक ऊर्जा का रूपांतरण होता है।
  • जैवभार को जलने पर इसमें संचित रासायनिक ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा में बदलती है। जैवभार से मिलने वाली ऊष्मीय ऊर्जा का उपयोग घरों व कारखानों में ऊष्मा की प्राप्ति के लिए और विद्युत उत्पादन के लिए भी किया जा सकता है।
  • जैवभार को ऊर्जा के अन्य उपयोगी रूपों, जैसे बायोगैस या मीथेन, इथेनॉल और बायोडीजल में परिवर्तित किया जा सकता है। 
  • बचे-खुचे भोज्य पदार्थों, जैसे कि सब्जियाँ, तेल व जन्तु वसा आदि से बायोगैस व बायो डीज़ल जैसे जैव ईधन प्राप्त किए जा सकते हैं।
  • जैवभार का उपयोग ऊर्जा के स्रोत में तीन तरीकों द्वारा किया जा सकता है –
    • शुष्क जैवभार के सीधे दहन से ताप या वाष्प की प्राप्ति द्वारा। 
    • ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में जैवभार के विघटन से मीथेन गैस के उत्पादन द्वारा। 
    • वनस्पति तेल की अधिकता वाले पौधों से बायो डीज़ल के उत्पादन द्वारा।

मीथेन प्राकृतिक गैस का भी एक मुख्य घटक है। कचरे, कृषि अपशिष्ट और मानव अपशिष्ट से भी जो गैस निकलती है वह मीथेन गैस ही है। इसे ‘‘लैंडफिल गैस’’ या ‘‘बायोगैस’’ भी कहते हैं। द्रवित पेट्रोलियम गैस ;स्च्ळद्ध की तरह बायोगैस का उपयोग भी रोशनी व खाना पकाने में किया जाता है।

7. हाइड्रोजन – भविष्य के ऊर्जा का स्रोत

दीर्घकालीन अवधि में हाइड्रोजन में ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों, जैसे कि पेट्रोल, डीजल, कोयला आदि पर निर्भरता को कम करने की सम्भावना दिखाई देती है। इसके अलावा ऊर्जा स्रोत के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग ग्रीन हाउस गैसों व अन्य प्रदूषक के उत्सर्जन को कम करने में मदद करेगा।

  • जब हाइड्रोजन का दहन किया जाता है तो केवल जल वाष्प ही उत्पन्न होती है। अत: हाइड्रोजन को उपयोग में लेने का एक मुख्य लाभ यह है कि जब इसको जलाया जाता है कार्बन डाइऑक्साइड नहीं बनती है।
  • हाइड्रोजन में एक ईधन-सेल वाले इंजन को एक आंतरिक दहन इंजन की तुलना में अधिक दक्षता से चलाने की क्षमता होती है।
  • सोलीन से चलने वाली कार की तुलना में ईधन-सेल वाली कार को उसी परिमाण की हाइड्रोजन दुगनी दूरी तक चला सकती है।
  • ब्रह्माण्ड में हाइड्रोजन सर्वाधिक प्रचुरता से पाया जाने वाला तत्व है। यह सबसे हल्का तत्व है और सामान्य ताप व दाब पर यह गैस रूप में होता है। 
  • पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप में हाइड्रोजन गैस रूप में नहीं पाई जाती क्योंकि वायु से हल्की होने के कारण यह वातावरण में ऊपर उठ जाती है।
  • प्राकृतिक हाइड्रोजन हमेशा अन्य तत्वों के साथ यौगिक, जैसे कि पानी, कोयला और पेट्रोलियम, के रूप में रहती है।

ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत

जीवाश्म ईंधन की खोज के बाद ये सबसे महत्त्वपूर्ण खनिज ऊर्जा स्रोतों में से एक हैं। ये ऊर्जा संसाधन सीमित हैं। इसका अर्थ है कि ये अनवीकरणीय संसाधनों और एक बार उपभोग कर लिये जायें तो ये समाप्त हो जायेंगे।

  • वर्तमान में हम हमारे उपयोग के लिए ऊर्जा का अधिकांश हिस्सा अनवीकरणीय स्रोतों से ही प्राप्त कर रहे हैं जिनमें जीवाश्म ईधन, जैसे कि कोयला, कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस शामिल हैं।
  • कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईधन ऊर्जा के बहुत महत्वपूर्ण अनवीकरणीय स्रोतों में से हैं। 
  • जीवाश्म ईंधन पौधों द्वारा सौर ऊर्जा संग्रहित करके पिछले भूवैज्ञानिक समय के दौरान निर्मित हुए थे। कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस को जीवाश्म ईंधन कहा जाता है।
  • मारी जरूरत का लगभग 85% भाग जीवाश्म ईधनों के दहन द्वारा पूरा किया जाता है।
विश्व में जीवाश्म ईंधन के मुख्य भंडारों का अनुमान
जीवाश्म ईंधनकुल संसाधनपुनःप्राप्ति (मापनयोग्य) वाले  ज्ञात भंडार
कोयला (विलियन टन)12,682786
पेट्रोलियम (विलियन बैरल)2,000556
प्राकृतिक गैस (ट्रिलियन घन फुट)12,0002100
शेल तेल (विलियन बैरल)2,000अभी तक इसका अनुमान नहीं
यूरेनियम अयस्क (हजार टन)4,0001085
स्रोतः वैश्विक 2000 चिरास, एक बैरल = 159 लीटर = 35 गैलन

1. कोयला

  • ऊर्जा के प्रमुख स्रोत के रूप में कोयला अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। कोयला एक ठोस कार्बनिक पदार्थ है जिसको ईंधन के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।
  • कुल प्रयुक्त ऊर्जा का 35% से 40% भाग कोयलें से पाप्त होता हैं। कोयला का संघटन एकसार नहीं होता है; यह क्षेत्र के अनुसार बदलता है।
  • कोयले में मुख्यतः कार्बन तथा उसके यौगिक रहते है। कार्बन तथा हाइड्रोजन के अतिरिक्त नाईट्रोजन, ऑक्सीजन तथा गंधक (Sulphur) भी रहते हैं। इसके अतिरिक्त फॉस्फोरस तथा कुछ अकार्बनिक द्रव्य भी पाया जाता है।
  • खानों से निकाले जाने वाला यह शक्तिप्रदायक खनिज मुख्यतः – चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका (USA), ग्रेट ब्रिटेन, जर्मनी, पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया तथा भारत में पाया जाता है।
  • भारत में यह मुख्यतः झारखंड, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल आंध्र प्रदेश/तेलंगाना एवं तमिनाडु में पाया जाता है।

कोयले के प्रकार

  •  एंथ्रेसाइट – यह सबसे उच्च गुणवत्ता वाला कोयला माना जाता है क्योंकि इसमें कार्बन की मात्रा 94 से 98 प्रतिशत तक पाई जाती है। यह कोयला मजबूत, चमकदार काला होता है। इसका प्रयोग घरों तथा व्यवसायों में स्पेस-हीटिंग के लिए किया जाता है।
  • बिटुमिनस – यह कोयला भी अच्छी गुणवत्ता वाला माल्ना जाता है। इसमें कार्बन की मात्रा 78 से 86 प्रतिशत तक पाई जाती है। यह एक ठोस अवसादी चट्टान है, जो काली या गहरी भूरी रंग की होती है। इस प्रकार के कोयले का उपयोग भाप तथा विद्युत संचालित ऊर्जा के इंजनों में होता है। इस कोयले से कोक का निर्माण भी किया जाता है।
  • लिग्नाइट – यह कोयला भूरे रंग का होता है तथा यह स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक हानिकारक सिद्ध होता है। इसमें कार्बन की मात्रा 28 से 30 प्रतिशत तक होती है। इसका उपयोग विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
  • पीट – यह कोयले के निर्माण से पहले की अवस्था होती है। इसमें कार्बन की मात्रा 27 प्रतिशत से भी कम होती है। तथा यह कोयला स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यधिक हानिकारक होता है।

2. प्राकृतिक गैस

प्राकृतिक गैस एक जीवाश्म ईधन है, यह गैसोलीन से ज्यादा अच्छा ईधन है। परन्तु यह जलने पर कार्बन डाइऑक्साइड बनाती है जो मुख्य ग्रीन हाउस गैस है। 

  • भारत प्राकृतिक गैसें ऊर्जा का एक अन्य मुख्य स्रोत हैं।
  • अंटार्कटिका द्वीप को छोड़कर पृथ्वी के बाकी कई स्थानों पर तेल व गैस क्षेत्र पाए जाते हैं। 
  • इन क्षेत्रों में कुछ मात्रा में गैस उपस्थित रहती है, परन्तु प्राकृतिक गैस (मीथेन) को बनने में इतना समय नहीं लगता है। 
  • मीथेन मुख्य रूप से दलदली इलाकों में पाई जाती है और यह जानवरों की पाचन प्रणाली का एक उप-उत्पाद भी है।
  • पेट्रोल और डीजल की तुलना में ज्यादा मात्रा में उपलब्ध होने के बावजूद प्राकृतिक गैस भी सीमित संसाधनों की श्रेणी में ही आती है।
  • प्राकृतिक गैस (Natural gas) कई गैसों का मिश्रण है जिसमें मुख्यतः मिथेन होती है तथा 0-20% तक अन्य उच्च हाइड्रोकार्बन (जैसे इथेन) गैसें होती हैं।
  • प्राकृतिक गैस का उपयोग
    • खाद निर्मान मे
    • विधुत बनाने मे
    • नगर गैस वितरन मे
    • घरेलु गेस उपयोग मे
    • वाहनो के इन्धान के रूप मे
    • कारखानो मे इन्धान के रूप मे

3. नाभिकीय ऊर्जा

नाभिकीय ऊर्जा परमाण्विक केन्द्रक की ऊर्जा है। रेडियोएक्टिव खनिजों को नाभिकीय ऊर्जा प्राप्त करने के लिये उच्च तकनीकी विधियों का प्रयोग किया जाता है।

  • कुछ तत्व, जैसे कि रेडियम व यूरेनियम परमाणु ऊर्जा विघटन के प्राकृतिक स्रोतों की तरह काम करते हैं। वास्तव में इन तत्वों के परमाणुओं का स्वत: विघटन होता रहता है जिससे कि परमाणु के नाभिक का विखंडन होता है।
  • प्रत्येक परमाणु के नाभिक में बहुत बड़ी मात्रा में ऊर्जा संचित रहती है। 
  •  एक परमाणु के नाभिक का लगभग बराबर द्रव्यमान के दो नाभिकों में विघटन व साथ में ऊर्जा के निर्मुक्त होने की प्रक्रिया को नाभिकीय विखंडन कहते हैं। 
  • जब एक मुक्त न्यूट्रॉन, यूरेनियम (235) के नाभिक के साथ सही गति से टकराता है, तो यह नाभिक द्वारा अवशोषित हो जाता है।
  • प्रत्येक विखंडन में कुछ द्रव्यमान की क्षति होती है और बदले में बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है जो कि E = mc2 सूत्र पर आधारित होती है, यहाँ उ लुप्त द्रव्यमान की मात्रा व c प्रकाश के वेग को सूचित करता है

नाभिकीय ऊर्जा के उपयोग

  • नाभिकीय ऊर्जा अनवीकरणीय है क्योंकि इसको प्राप्त करने के लिए विखंडन अभिक्रिया में जो यूरेनियम ईधन के रूप में काम में लाया जाता है, उसकी भी पुन: पूर्ति नहीं की जा सकती। तथापि नाभिकीय ऊर्जा के अनेक उपयोग हैं –
    • नाभिकीय संयत्रों में उत्पन्न होने वाली ऊर्जा से विद्युत का उत्पादन किया जा सकता है। 
    • नाभिकीय ऊर्जा से जहाज व पनडुब्बियाँ भी चलाई जा सकती है। जो जलयान नाभिकीय ऊर्जा से संचालित होते हैं उनमें एक बार के ईधन से ही लम्बी दूरियाँ तय की जा सकती हैं।
    • नाभिकीय अभिक्रियाओं में उप-उत्पाद के रूप में बनने वाले रेडियोधर्मी पदार्थ चिकित्सा, कृषि व शोध में काम आते हैं। 

नाभिकीय ऊर्जा से खतरे

  • नाभिकीय ऊर्जा के उत्पादन की प्रक्रिया में हानिकारक नाभिकीय विकिरण भी उत्पन्न होती है।कभी दुर्घटनावश इन विकिरणों का रिसाव हो जाने पर ये मानव शरीर में प्रवेश कर कोशिकाओं को अपूरणीय क्षति पहुँचा सकती हैं।
  • नाभिकीय विखंडन की प्रक्रिया में निकलने वाले अपशिष्ट, मुख्य रूप से प्रयोग हो चुके ईधन के निपटान से सम्बन्धित है। नाभिकीय अभिक्रियाओं से नाभिकीय विकरणों को उत्सर्जित करने वाले अनेक हानिकारक पदार्थों का निर्माण होता है। इन्हें नाभिकीय अपशिष्ट कहते हैं।
  • वर्तमान में नाभिकीय संयंत्रों में जितना भी अपशिष्ट बन रहा है उन्हें लेड के मजबूत पात्रों में भूमि के नीचे संग्रहित किया जा रहा है। इस तरह के अपशिष्ट के निपटान का कोई अधिक संतोषजनक व सुरक्षित तरीका हम अब तक खोज नहीं पाए हैं।

पेट्रोलियम या खनिज तेल

  • तेल एवं गैस उन पौधों एवं जन्तुओं के अवशेषों से निर्मित होते हैं जो पहले कभी समुद्र में पाये जाते थे। लाखों वर्ष बीतने के बाद ये अवशेष कीचड़ एवं चट्टानों में दबे रहे और उन पर अत्यधिक दाब एवं उच्च ताप पड़ता रहा।
  • इन परिस्थितियों में समुद्री बायोमास धीरे-धीरे तेल एवं गैस में बदलता गया। तेल एवं गैस सबसे पहले भूवैज्ञानिक रूप से प्लेट की सीमाओं पर सबसे नई उन टेक्टोनिक बेल्ट पर पाये गये जहाँ विशाल जमावकारी बेसिनों के पाये जाने की सबसे अधिक संभावना होती है।
  • पेट्रोलियम या कच्चा तेल (ऐसा तेल जो जमीन से निकलता है), एक गाढ़ा गहरे रंग का तरल होता है जिसमें हजारों दहनकारी हाइड्रोकार्बनों के मिश्रण के साथ-साथ थोड़ी मात्रा में सल्फर, ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन की अशुद्धियां मिली रहती हैं। 
  • कच्चे तेल एवं प्राकृतिक गैस के भंडार अक्सर समुद्र की तली (समुद्री अधस्थल) के नीचे या भूमि पर पृथ्वी की पर्पटी पर एक साथ पाये जाते हैं। इसके निष्कर्षण के बाद कच्चे तेल को पाइप लाइनों, ट्रकों या जहाजों (तेल टैंकरों) के द्वारा रिफाइनरी में भेज दिया जाता है।
  • दुनिया भर में पेट्रोलियम उत्पादों का उपभोग तेजी से बढ़ रहा है। भारत में इसकी मांग 1991-92 में 57 मिलियन टन की तुलना में वर्ष 2000 में 107 मिलियन टन तक पहुँच गयी है। 


प्रश्नोत्तर

प्रश्न: 1 ऊर्जा के अच्छे स्रोत से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: ऊर्जा का अच्छा स्रोत वह होता है जिसमें निम्नलिखित गुण हों:

  • यह प्रति यूनिट वॉल्युम या मास के हिसाब से अधिक कार्य करे
  • यह आसानी से उपलब्ध हो
  • इसे कहीं लाना ले जाना आसान हो
  • यह सस्ता हो

प्रश्न: 2 एक अच्छा ईंधन किसे कहते हैं?

उत्तर: एक अच्छे ईंधन में निम्नलिखित गुण होने चाहिए:

  • यह प्रति यूनिट वॉल्युम या मास के हिसाब से अधिक कार्य करे
  • इसका इग्निशन टेम्परेचर कम हो
  • यह आसानी से उपलब्ध हो
  • इसे कहीं लाना ले जाना आसान हो
  • इसे स्टोर करके रखना आसान हो
  • इसके इस्तेमाल में कम से कम गंदगी फैलती हो
  • यह सस्ता हो

प्रश्न: 3 खाना गर्म करने के लिये आप किस ईंधन का इस्तेमाल करना पसंद करेंगे? क्यों?

उत्तर: एलपीजी आसानी से किचेन में उपलब्ध रहता है। इसे इस्तेमाल करना आसान है और यह धुँआ भी नहीं छोड़ता है। इसलिये खाना गर्म करने के लिये मैं एलपीजी का इस्तेमाल करना पसंद करूंगा।

प्रश्न: 4 फॉसिल फ्यूल से क्या नुकसान हैं?

उत्तर: फॉसिल फ्यूल से निम्नलिखित नुकसान हैं :

  • फॉसिल फ्यूल नॉन रिन्युएबल संसाधन हैं जो जल्दी ही समाप्त हो जाएँगे।
  • फॉसिल फ्यूल के जलाने से वायु प्रदूषण होता है।
  • फॉसिल फ्यूल के जलाने से एसिड रेन की समस्या होती है।

प्रश्न: 5 आज ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की जरूरत क्यों पड़ रही है?

उत्तर: आज के युग में हम फॉसिल फ्यूल पर जरूरत से ज्यादा निर्भर हैं। यह दो कारणों से एक गंभीर समस्या है। पहला कारण है; फॉसिल फ्यूल से से होने वाला वायु प्रदूषण। दूसरा कारण है; जल्दी ही फॉसिल फ्यूल का भंडार समाप्त हो जायेगा। इसलिये हमें ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों को तलाशने की जरूरत है। इससे हम वायु प्रदूषण को कम कर पाएँगे। इससे उस परेशानी से भी बचा जा सकता है जो कोई ईंधन ना मिलने की स्थिति में हो सकती है।

प्रश्न: 6 पवन ऊर्जा और पानी की ऊर्जा के परंपरागत इस्तेमाल के तरीकों में किस तरह से सुधार हुए हैं जिससे हमारा जीवन आसान हुआ है?

उत्तर: अब अत्याधुनिक विंड मिल की सहायता से पवन ऊर्जा से बिजली पैदा की जा रही है। पानी की ऊर्जा का भी इस्तेमाल आज बिजली बनाने में हो रहा है। बिजली पैदा करने से किसी ऊर्जा स्रोत का हम बेहतर इस्तेमाल कर पाते हैं। इससे तारों के सहारे दूर दराज के क्षेत्रों में भी ऊर्जा उपलब्ध कराई जा सकती है।

प्रश्न: 7 सोलर कुकर के लिये किस तरह का मिरर सही होता है; कॉन्केव या कॉन्वेक्स? अपने उत्तर का कारण बताएँ।

उत्तर: कॉन्केव मिरर एक कंवर्जिंग मिरर होता है; इसलिये यह सारी हीट एनर्जी को फोकस पर केंद्रित करता है। इसलिये सोलर कुकर के लिये कॉन्केव मिरर सही होता है।

प्रश्न: 8 समुद्र से मिलने वाली ऊर्जा की क्या खामियाँ हैं?

उत्तर: अभी इसके लिये टेक्नॉलोजी शुरुआती दौर में हैं। वे बहुत ही महँगे हैं। टाइडल एनर्जी और वेव एनर्जी को केवल तटीय क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जा सकता है। कई पर्यावरण एक्टिविस्ट इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। उन्हें डर है कि इससे समुद्र के फ्लोरा और फॉना को नुकसान पहुँचेगा। वे कोरल रीफ को होने वाले नुकसान के प्रति भी चिंतित है।

प्रश्न: 9 जियोथर्मल एनर्जी क्या है?

उत्तर: धरती के भीतर से मिलने वाली हीट को जियोथर्मल एनर्जी कहते हैं। यह उस पिघले हुए मैग्मा से आती है जो पृथ्वी के भीतर मौजूद है।


प्रश्न: 10 न्युक्लियर एनर्जी के क्या फायदे हैं?

उत्तर: लंबे समय के इस्तेमाल के हिसाब से यह काफी सस्ता साबित होता है; क्योंकि फ्यूल के एक छोटी सी मात्रा से भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है। इससे वायु प्रदूषण नहीं होता है।

प्रश्न: 11 क्या ऊर्जा का स्रोत प्रदूषण से मुक्त हो सकता है? अपने उत्तर का कारण दीजिए।

उत्तर: ऊर्जा के किसी भी स्रोत का इस्तेमाल करने में पर्यावरण को कुछ न कुछ नुकसान अवश्य होता है। लेकिन ऊर्जा के कुछ स्रोत प्रदूषण से मुक्त हो सकते हैं। अगर सही तकनीक का इस्तेमाल किया जाये तो सौर ऊर्जा इस प्रकार की ऊर्जा साबित हो सकती है।

प्रश्न: 12 हाइड्रोजन का इस्तेमाल रॉकेट के ईंधन के रूप में हो रहा है। क्या यह सीएनजी की तुलना में एक स्वच्छ ईंधन है? अपने उत्तर का कारण बताएँ।

उत्तर: सीएनजी की तुलना में हाइड्रोजन एक स्वच्छ ईंधन हो सकता है। सीएनजी को जलाने पर कार्बन डाइऑक्साइड गैस बनती है। लेकिन हाइड्रोजन को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने से पानी बनता है जो किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं करता है।

प्रश्न: 13 ऊर्जा के दो ऐसे स्रोतों के नाम बताएँ तो रिन्युएबल हैं। अपने उत्तर का कारण बताएँ।

उत्तर: वाटर साइकल के माध्यम से पानी अपने अलग अलग भौतिक अवस्थाओं में बदलता रहता है। सोलर एनर्जी सूर्य से मिलती है और सूर्य हमारे लिये ऊर्जा का सबसे अहम स्रोत है। इसलिये सोलर एनर्जी और हाइडेल एनर्जी को रिन्युएबल सोर्स माना जा सकता है।

प्रश्न: 14 ऊर्जा के दो ऐसे स्रोत के नाम बताएँ जो एक्झॉस्टिबल हैं। अपने उत्तर का कारण बताएँ।

उत्तर: कोयला और पेट्रोलियम को बनने में करोड़ों साल लग जाते हैं। इसलिये उनका नवीनीकरण निकट भविष्य में करना संभव नहीं है। इसलिये कोयला और पेट्रोलियम एक्झॉस्टिबल हैं।


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