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आज के करेंट अफेयर्स के मुख्य टॉपिक
- स्वच्छता-एमओएचयूए एप (Swachhata-MoHUA)
- SAARC विकास निधि द्वारा COVID-19 के लिए आवंटित रकम
- सार्क विकास निधि क्षेत्रीय विकास
- किसान वैज्ञानिक ने की बायोफोर्टिफाइड गाजर विकसित
- G-20 ऊर्जा मंत्रियों की बैठक
- कर्मचारी भविष्य निधि संगठन का COVID-19 पर योजना
- लॉकडाउन के पश्चात् बेरोज़गारी दर में बढ़ोतरी
- भारत पढ़े ऑनलाइन अभियान
स्वच्छता-एमओएचयूए एप (Swachhata-MoHUA)
9 अप्रैल, 2020 को केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (Ministry of Housing and Urban Affairs) ने COVID-19 संकट से निपटने के लिये मौजूदा स्वच्छता-एमओएचयूए एप (Swachhata-MoHUA App) के संशोधित संस्करण को लॉन्च करने की घोषणा की।
मुख्य तथ्य
- स्वच्छता-एमओएचयूए एप का प्रयोग स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के तहत एक शिकायत निवारण प्लेटफॉर्म के रूप में किया जा रहा है जिसके देश भर में 1.7 करोड़ से अधिक शहरी उपयोगकर्त्ता हैं।
- इस एप में COVID-19 से संबंधित नई श्रेणियों के जोड़ने से एप की मौजूदा श्रेणियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा अतः नागरिक किसी भी श्रेणी में अपनी शिकायतें प्रेषित कर सकते हैं।
इस एप के संशोधित संस्करण में निम्नलिखित नौ अतिरिक्त श्रेणियों को शामिल किया गया है।
- COVID-19 के दौरान फॉगिंग/स्वच्छता के लिये अनुरोध।
- COVID-19 के दौरान क्वारंटाइन का उल्लंघन।
- COVID-19 के दौरान लॉकडाउन का उल्लंघन।
- COVID-19 के संदिग्ध मामले की रिपोर्ट करें।
- COVID-19 के दौरान भोजन का अनुरोध करें।
- COVID-19 के दौरान आश्रय का अनुरोध करें।
- COVID-19 के दौरान चिकित्सा सुविधा का अनुरोध करें।
- COVID-19 रोगी परिवहन के लिये सहायता का अनुरोध करें।
- क्वारंटाइन क्षेत्र से अपशिष्ट उठाने का अनुरोध करें।
स्वछता एप एक प्रभावी डिजिटल टूल के रूप में कार्य करता है जो नागरिकों को अपने शहरों की स्वच्छता में सक्रिय भूमिका निभाने तथा शहरी स्थानीय निकायों (Urban Local Bodies- ULBs) की जवाबदेही तय करने में सक्षम बनाता है।
घर, समाज एवं देश में स्वच्छता को जीवनशैली का अंग बनाने के लिये स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत 2 अक्तूबर, 2014 में की गई थी। इस अभियान में दो उप-अभियान शामिल हैं- स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण) तथा स्वच्छ भारत अभियान (शहरी)। इस अभियान में जहाँ ग्रामीण इलाकों के लिये ‘पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय’ व ‘ग्रामीण विकास मंत्रालय’ जुड़े हुए हैं, वहीं शहरों के लिये शहरी विकास मंत्रालय ज़िम्मेदार है।
SAARC विकास निधि द्वारा COVID-19 के लिए आवंटित रकम
7 अप्रैल, 2020 को दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (SAARC) विकास निधि (SDF) ने महामारी के वित्तीय नुकसान और गंभीर सामाजिक–आर्थिक प्रभाव को कम करने के प्रयास में 8 सदस्य देशों में COVID-19 परियोजनाओं के लिए 5 मिलियन अमरीकी डालर (लगभग 38 करोड़ रुपये) आवंटित किए हैं।
मुख्य बिंदु :
- अनुमोदन प्रक्रिया, परियोजना कार्यान्वयन, वित्त पोषण संवितरण, प्रबंधन, निगरानी और रिपोर्टिंग मौजूदा एसडीएफ – बोर्ड अनुमोदित नीति और एसडीएफ और सामाजिक खिड़की की प्रक्रियाओं के अनुसार होगी।
- यह परियोजना एसडीएफ द्वारा अपने सामाजिक खिड़की विषयगत क्षेत्रों में वित्त पोषित की जाएगी। एसडीएफ की सामाजिक खिड़की मुख्य रूप से गरीबी उन्मूलन, शिक्षा, स्वास्थ्य,मानव संसाधन विकास पर ध्यान केंद्रित करने वाले सामाजिक विकास, और अन्य के बीच परियोजनाओं का वित्तपोषण करती है।
- वर्तमान में, SDF अपनी 3 निधि खिड़की के तहत SAARC देशों में 90 परियोजनाओं का संचालन करता है, जिसमें कुल वित्तीय प्रतिबद्धता या USD 198.24 मिलियन का आवंटन है।
सार्क विकास निधि क्षेत्रीय विकास
सार्क के सदस्य देशों में परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिये स्थापित मुख्य वित्तीय संस्थान सार्क विकास निधि (SDF) स्वयं को पूर्ण अधिकारों से युक्त सार्क विकास बैंक के रूप में स्थापित करने से पूर्व अपने ऋण विभाग को मज़बूत करने और वित्तीय बाज़ार में स्वयं को स्थापित करने वाली परियोजना पर काम कर रही है।
मुख्य बिंदु :
- सार्क विकास निधि की योजना खुद को निकट भविष्य में एक क्षेत्रीय बैंक के रूप में स्थापित करने की है।
- SDF ने अक्षय ऊर्जा, शहरी विकास, जलवायु परिवर्तन और क्षेत्रीय कारोबार संबंधी परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिये बड़े अंतर्राष्ट्रीय ऋणदाताओं से वार्ता शुरू की है। इन ऋणदाताओं में चीन के नेतृत्व वाला AIIB (Asian Infrastructure Bank) भी शामिल है।
सार्क विकास निधि (SAARC Development Fund- SDF)
- इसका गठन दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) के सदस्यों ने 2010 में किया था तथा इसका मुख्यालय थिम्पू (भूटान) में है।
- इसके प्रबंधन निकाय में सभी सार्क देशों के वित्त मंत्री शामिल हैं।
- SDF ने अब तक 12 विकास परियोजनाओं पर काम किया है। इनमें ज़्यादातर सामाजिक परियोजनाएँ हैं। लेकिन अब यह निकाय बुनियादी ढाँचा परियोजना पर भी काम करने की योजना बना रहा है।
किसान वैज्ञानिक ने की बायोफोर्टिफाइड गाजर विकसित
गुजरात के जूनागढ़ जिले के एक किसान वैज्ञानिक ने मधुबन गाजर को विकसित किया है जो उच्च बीटा-कैरोटीन और लोह तत्त्व के साथ एक बायोफोर्टिफाइड किस्म की गाजर है। गाजर की यह किस्म जूनागढ़ जिले में 200 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में लगाई गई है और वहां के किसानों की आय का मुख्य स्रोत बनकर उस क्षेत्र के 150 से अधिक स्थानीय किसानों को लाभान्वित कर रही है। पिछले 3 वर्षों से इसकी खेती गुजरात की 1000 हेक्टेयर से अधिक भूमि के साथ-साथ अन्य राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी की जा रही है।
इस गाजर का महत्व
- मधुबन गाजर बायोफोर्टिफाइड किस्म की एक गाजर है जो अत्यधिक पौष्टिक है और इसे लोह तत्त्व (276.7 मिलीग्राम/ किग्रा) और उच्च बीटा-कैरोटीन तत्त्व (277.75 मिलीग्राम/ किग्रा) के साथ चयन विधि के माध्यम से विकसित किया गया है।
इस गाजर का विकास कैसे हुआ
- वल्लभभाई वासरामभाई मारवानिया ने वर्ष 1943 में दूध की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए स्थानीय गाजर की एक किस्म का इस्तेमाल चारे के तौर पर किया। उन्होंने विशेष रूप से उसी किस्म की गाजर की खेती करनी शुरू कर दी और इस गाजर को बाजार में अच्छी कीमत पर बेचना शुरू कर दिया। साथ ही वे और उनका परिवार गाजर की इस उच्च उपज किस्म के विकास और संरक्षण पर काम कर रहे हैं।
इस गाजर की विशेषताएं
- गाजर की इस किस्म का उपयोग कई मूल्य वर्धित उत्पादों जैसे अचार, जूस और गाजर के चिप्स बनाने के लिए किया जा रहा है।
- इन परीक्षणों में गाजर की इस मधुबन गाजर किस्म में काफी उच्च उपज (74.2 t/ ha) पाई गई।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान, राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान (NIF), भारत द्वारा गाजर की इस किस्म पर सत्यापन परीक्षण किए गए. ये सभी परीक्षण राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान में आयोजित किए गए थे।
इस उपज के लिए किसान को मिला पुरस्कार
- गाजर के क्षेत्र में वल्लभभाई वासराममभाई मारवानिया के असाधारण योगदान के लिए, वर्ष 2019 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। वर्ष 2017 में, भारत के राष्ट्रपति द्वारा श्री वल्लभभाई वासराममभाई मारवानिया को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
G-20 ऊर्जा मंत्रियों की बैठक
- पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 10 अप्रैल 2020 को G-20 असाधारण ऊर्जा मंत्रियों की आभासी बैठक में भाग लिया।
- भारत, अमेरिका को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवाओं की सप्लाई करने के बाद ऊर्जा के क्षेत्र में भी वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने को तैयार है।
- इस बैठक को सऊदी अरब द्वारा बुलाया गया था, और इसकी अध्यक्षता सऊदी अरब ऊर्जा मंत्री द्वारा की गई थी। धर्मेंद्र प्रधान ने इस मौके पर कहा कि भारत इस वैश्विक संकट के दौरान भी ऊर्जा की खपत का प्रमुख केंद्र बना रहेगा।
- इस बैठक में मांग में कमी और उत्पादन अधिशेष के बीच स्थिर ऊर्जा बाजारों को सुनिश्चित करने के तरीकों और साधनों पर चर्चा की गई।
विशेष: ऊर्जा की खपत का प्रमुख केंद्र बना रहेगा भारत
जी-20 देशों के अलावा कई संगठन की चर्चा
- कोरोना संकट के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जी-20 देशों के ऊर्जा मंत्रियों की बैठक की अध्यक्षता अध्यक्ष देश के रूप में सऊदी अरब ने की। सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुल अजीज़ के साथ जी-20 के सभी देशों के ऊर्जा मंत्री इस बैठक में विशेष रूप से मौजूद रहे।
- जबकि ऊर्जा के साथ तेल एवं गैस क्षेत्र से जुड़े अंतरराष्ट्रीय संगठन ओपेक, आईईए (इंटरनेशनल एनर्जी एसोसिएशन) और इंटरनेशनल एनर्जी फोरम (आईईएफ) विशेष रूप से आमंत्रित थे।
उज्ज्वला गैस की नि:शुल्क आपूर्ति
- केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में 8 करोड़ से अधिक लोगों को उज्ज्वला गैस की नि:शुल्क आपूर्ति की जा रही है।
- 1.7 लाख करोड़ से अधिक के राहत पैकेज के अंतर्गत उठाए गए इस कदम से जहां ऊर्जा और आर्थिक सुरक्षा के साथ सामाजिक सशक्तिकरण को बल मिलेगा। वहीं ग्लोबल एनर्जी डिमांड को भारत से रफ्तार मिलेगी।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन का COVID-19 पर योजना
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी के मद्देनज़र EPFO के संदर्भ में सरकार द्वारा शुरू की गई योजना के तहत लगभग 1.37 लाख के दावों का निपटान किया है और लगभग 279.65 करोड़ रुपए वितरित किये हैं।
मुख्य बिंदु
- सरकार ने COVID-19 महामारी के मद्देनज़र कर्मचारी भविष्य निधि नियमनों में संशोधन कर ‘महामारी’ को भी उन कारणों में शामिल कर दिया है जिसे ध्यान में रखते हुए कर्मचारियों को अपने खातों से कुल राशि के 75 प्रतिशत का गैर-वापसी योग्य अग्रिम या तीन माह का पारिश्रमिक, इनमें से जो भी कम हो, प्राप्त करने की अनुमति दी गई है।
- सरकार के इस निर्णय से EPF के तहत पंजीकृत तकरीबन 4 करोड़ कामगारों के परिवार इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।
- EPFO ने केवाईसी (Know Your Customer-KYC) के अनुपालन में आसानी के लिये जन्म तिथि में सुधार मानदंडों की प्रक्रिया में भी ढील दी है। EPFO ग्राहक के आधार कार्ड में दर्ज जन्म तिथि को PF रिकॉर्ड में दर्ज जन्म तिथि को सुधारने के प्रमाण के रूप में स्वीकार कर रहा है। साथ ही जन्म तिथि में तीन वर्ष तक की भिन्नता वाले सभी मामलों को भी EPFO द्वारा स्वीकार किया जा रहा है।
EPFO के लिए सरकार का निर्णय
- EPFO के संदर्भ में सरकार द्वारा लिया गया निर्णय कोरोनावायरस (COVID-19) महामारी के समय में नियोक्ताओं और कर्मचारियों को राहत प्रदान करने हेतु लिया गया महत्त्वपूर्ण निर्णय है।
- ग्राहकों को इस योजना का लाभ उठाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, इसके अलावा कई लोगों ऐसे भी हैं जो इस योजना के पात्र है, किंतु उन्हें इस संदर्भ में कोई जानकारी नहीं है।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन क्या है :-
- यह एक सरकारी संगठन है जो सदस्य कर्मचारियों की भविष्य निधि और पेंशन खातों का प्रबंधन करता है तथा कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 (Employee Provident Fund and Miscellanious Provisions Act, 1952) को लागू करता है।
- कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिये भविष्य निधि संस्थान (Provident Fund Institution) के रूप में काम करता है।
- यह संगठन श्रम और रोज़गार मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रशासित है। सदस्यों और वित्तीय लेन-देन के मामले में यह विश्व का सबसे बड़ा संगठन है।
लॉकडाउन के पश्चात् बेरोज़गारी दर में बढ़ोतरी
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (Centre for Monitoring Indian Economy-CMIE) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2020 में रोज़गार दर (Employment Rate) 38.2% के साथ सबसे निचले स्तर पर आ गई थी।
मुख्य बिंदु
- मार्च 2019 में श्रम भागीदारी दर (Labour Participation Rate-LPR) 42.7% थी। CMIE के अनुसार, मार्च 2020 में LPR 41.9% पर पहुँच गई थी, यह पहली बार है जब किसी माह में LPR 42% से भी नीचे आ गया है। जनवरी से मार्च 2020 के बीच LPR में तकरीबन 1% की गिरावट आई है, जनवरी 2020 में LPR 42.96% था, जो कि मार्च 2020 में 41.9% पर पहुँच गया।
- मार्च 2020 में बेरोज़गारी दर 8.7% पर पहुँच गई थी, जो कि बीते 43 महीनों अथवा सितंबर 2016 से सबसे अधिक है। उल्लेखनीय है कि यह दर जनवरी 2020 में 7.16% थी।
- जुलाई 2017 में 3.4% के न्यूनतम बिंदु के पश्चात् से बेरोज़गारी दर लगातार बढ़ रही है, किंतु मार्च 2020 में पिछले महीने की तुलना में 98 आधार अंकों की वृद्धि, अब तक दर्ज की गई सबसे अधिक मासिक वृद्धि है।
- CMIE द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, जैसे-जैसे हम लॉकडाउन की अवधि की ओर बढ़ रहे हैं, रोज़गार और बेरोज़गारी से संबंधित समस्याएँ और अधिक गंभीर होती जा रही हैं।
- CMIE के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, मार्च के अंतिम सप्ताह और अप्रैल के पहले सप्ताह में देश में बेरोज़गारी दर में 23% से भी अधिक हो गई है। ध्यातव्य है कि विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने भी CMIE के आँकड़ों की पुष्टि की है।
महत्वपूर्ण जानकारी
- रोज़गार दर (Employment Rate)
रोज़गार दर किसी क्षेत्र विशिष्ट में कार्यशील आयु के लोगों की संख्या को दर्शाता है जिनके पास रोज़गार है। इसकी गणना कार्यशील आबादी और कुल आबादी के अनुपात के रूप में की जाती है। - बेरोज़गारी दर (Unemployment Rate)
जब किसी देश में कार्य करने वाली जनशक्ति अधिक होती है और काम करने के लिये राजी होते हुए भी लोगों को प्रचलित मज़दूरी पर कार्य नहीं मिलता, तो ऐसी अवस्था को बेरोज़गारी की संज्ञा दी जाती है। बेरोज़गारी का होना या न होना श्रम की मांग और उसकी आपूर्ति के बीच स्थिर अनुपात पर निर्भर करता है। बेरोज़गारी दर अभिप्राय उन लोगों की संख्या से है जो रोज़गार की तलाश में हैं।
सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की स्थापना एक स्वतंत्र थिंक-टैंक के रूप में वर्ष 1976 में की गई। CMIE प्राथमिक डेटा संग्रहण, विश्लेषण और पूर्वानुमानों द्वारा सरकारों, शिक्षाविदों, वित्तीय बाज़ारों, व्यावसायिक उद्यमों, पेशेवरों और मीडिया सहित व्यापार सूचना उपभोक्ताओं के पूरे स्पेक्ट्रम को सेवाएँ प्रदान करता है।
भारत पढ़े ऑनलाइन अभियान
10 अप्रैल, 2020 को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Union Ministry of Human Resource Development) ने भारत के ऑनलाइन शिक्षा में सुधार हेतु लोगों के विचार जानने के उद्देश्य से एक सप्ताह तक चलने वाला भारत पढ़े ऑनलाइन अभियान (Bharat Padhe Online Campaign) शुरू किया है।
मुख्य तथ्य
- इस अभियान में छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया गया है।
- जो छात्र वर्तमान में स्कूलों या उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे हैं वे विभिन्न पाठ्यक्रमों में मौजूदा डिजिटल प्लेटफार्मों से दैनिक आधार पर जुड़े हुए हैं। वे इस अभियान से जुड़कर मौजूदा ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफॉर्म में क्या कमी है और इसे कैसे अधिक आकर्षक बनाया जा सकता हैं, से संबंधित सुझावों को भेज सकते हैं।
- इस अभियान के माध्यम से देश भर के शिक्षक भी शिक्षा के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता एवं अनुभव के साथ योगदान देने के लिये आगे आ सकते हैं।
इस शिक्षा का उद्देश्य
इस अभियान का उद्देश्य भारत के सर्वश्रेष्ठ युवा बौद्धिक वर्ग को आमंत्रित करना है ताकि ऑनलाइन शिक्षा की बाधाओं को दूर करते हुए उपलब्ध डिजिटल शिक्षा प्लेटफार्मों को बढ़ावा देकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ सुझाव/समाधान साझा किये जा सकें एवं उपलब्ध डिजिटल शिक्षा प्लेटफॉर्मों को बढ़ावा दिया जा सके।