कुपोषण की समस्या को दूर करने लिए भारत सरकार द्वारा पोषण अभियान (राष्ट्रीय पोषण मिशन) की शुरुआत कि गयी थी। इसकी शुरूआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 मार्च, 2018 को राजस्थान के झुंझुनू शहर से की थी।
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राष्ट्रीय पोषण मिशन क्या है?
राष्ट्रीय पोषण मिशन द्वारा बच्चों में बौनापन, कुपोषण, खून की कमी और कम वजन के बच्चों के जन्म को रोकने के लिए प्रयास किये गये हैं;। इसके अलावा किशोरावस्था की लड़कियों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है; इस प्रकार समग्र रूप से कुपोषण को रोकने के प्रयास किये गये।
राष्ट्रीय पोषण मिशन समितियाँ
- राष्ट्रीय पोषण परिषद (एनएनसी): नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार की अध्यक्षता वाली इस परिषद में 12 केंद्रीय मंत्री और 5 मुख्यमंत्री बारी-बारी से शामिल किए जाते हैं।
- राष्ट्रीय पोषण मिशन की कार्यान्वयन समिति: इस समिति की अध्यक्षता महिला और बाल विकास मंत्रालय के सचिव द्वारा की जाती है।
- नेशनल टेक्निकल बोर्ड ऑन न्यूट्रिशन (NTBN): नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल की अध्यक्षता मे नेशनल टेक्निकल बोर्ड ऑन न्यूट्रिशन (NTBN)।
भारत में पोषण की वर्तमान स्थिति से संबंधित तथ्य
समग्र राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण केंद्र सरकार द्वारा संचालित देश का पहला राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण है; जिसमें फरवरी 2016 से लेकर अक्टूबर 2018 तक के आंकड़ों को शामिल किया गया है। इस सर्वेक्षण के अनुसार:
- देश में जन्में दो साल से कम के शिशुओं में मात्र 6.4 फीसदी शिशु ऐसे हैं; जिन्हें न्यूनतम स्वीकार्य पोषक आहार मिल पाता है।
- सर्वे में 5-9 साल के आयु वर्ग के 10% बच्चे और 10-19 साल के आयु वर्ग के 10% किशोर प्री-डायबिटीक पाए गए। डायबिटीज के ठीक पहले की स्थिति को प्री-डायबिटीज कहा जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ध्यान नहीं दिया गया तो अगले दो सालों में इन बच्चों और किशोरों में डायबिटीज होने की प्रबल संभावना है।
- इसी आयु वर्ग में 5% बच्चे और किशोर अधिक वजन (Overweight) की समस्या से ग्रसित हैं; जबकि अन्य 5% रक्तचाप से पीड़ित हैं।
- पहली बार ऐसा हुआ है कि स्कूली बच्चों में मोटापा और कुपोषण की बीमारी एक साथ पाई गई है;। भारत पोषण के मामले में संक्रमण की स्थिति (Nutritional Transition) से गुज़र रहा है।
- तमिलनाडु और गोवा दो ऐसे राज्य हैं; जहां पर किशोरों (0-19 साल के आयु वर्ग) में सबसे अधिक मोटापे की समस्या देखी गई।
- चार फ़ीसदी किशोरों में उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या भी पाई गई है।
कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए सरकारी प्रयास
- राष्ट्रीय पोषण रणनीति: साल 2017 की राष्ट्रीय पोषण रणनीति का उद्देश्य 2022 तक भारत को कुपोषण मुक्त देश बनाना है।
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना: भारत सरकार ने मातृत्व सहयोग के मक़सद से प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना शुरू किया है; इस योजना के तहत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को पहले जीवित जन्म के लिए 6000 रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान किया जाता है।
- पोषण अभियान: इस अभियान को मार्च 2018 में राजस्थान के झुंझुनू में लॉन्च किया गया था; इसका मकसद, गर्भवती महिलाओं, माताओं व बच्चो के पोषण ज़रूरतों को पूरा करना है;। इसके अलावा इसका लक्ष्य बच्चों, महिलाओं में खून की कमी यानी अनीमिया को दूर करना भी है;। यह महिला व बाल विकास मंत्रालय का फ्लैगशिप कार्यक्रम है।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम: इसका मक़सद लोगों को सस्ती दर पर पर्याप्त मात्रा में बेहतर खाद्यान्न उपलब्ध कराना है; ताकि उन्हें खाद्य और पोषण सुरक्षा मिले और वे सम्मान के साथ जीवन जी सकें; इस क़ानून का खास ज़ोर गरीब-से-गरीब व्यक्ति, महिलाओं और बच्चों की जरूरतें पूरी करने पर है।
- मध्याह्न भोजन योजना: बच्चों में पौषणिक स्तर में सुधार करने के मक़सद से मध्याह्न भोजन योजना प्रारम्भ किया गया है। इसके तहत हर सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूल के प्रत्येक बच्चे को न्यूनतम 200 दिनों के लिए 8-12 ग्राम प्रतिदिन प्रोटीन और ऊर्जा के न्यूनतम 300 कैलोरी अंश के साथ मध्याह्न भोजन परोसा जाता है।