वायु प्रदूषण आज की बहुत बड़ी समस्या बनती जा रही है। वायु प्रदुषण केवल खांसी और शायद आँखों में जलन होने के कारण ही हमारे लिए चिंता का विषय नहीं है बल्कि यह हमारी जीवन को बहुत से कारको से प्रावाभित करती है। हमें से ज्यादातर लोगो को शायद पता भी न हो, वायु प्रदुषण से मानसिक बिमारियों के साथ-साथ मधुमेह (Sugar) जैसे बड़ी बीमारी को भी बढ़ावा देती है. आज भारत में बहुत से लोगो को मरने के कारण कही न कही वायु प्रदुषण भी एक बहुत बड़ी कारक है।
यह मानसिक बीमारी और प्रजनन चक्र से लेकर मधुमेह की संभावनाएं तक बढ़ा कर मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
वायु प्रदूषण (Air Pollution) कितना बुरा है ?
इन सब के बावजूद भी हमें कही लगता है कि वायु प्रदुषण वास्तव में कितना बुरा है ?
तो इस आर्टिकल में हम आपको WHO के official Website के कुछ आंकड़ों के बता रहे है जो हमें बताता है की वायु प्रदुषण हमारी जीवन के लिए कितनी बड़ी समस्या है।
व्यापक वायु प्रदुषण से हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव
व्यापक वायु प्रदुषण होने से बच्चों और वयस्कों में अल्पकालिक और दीर्घकालिक, दोनों फेफड़ों अपने कार्य को काम कर सकते है जिससे श्वास संक्रमण और दम्मा जैसी बीमारी होने की संभावना होती है।
व्यापक वायु प्रदुषण गर्वभती महिलाओं के बहुत ही हानिकारक साबित हो सकता है इससे बच्चे के जन्म को लेकर बहुत से परेशानियों का सामना करना पर सकते है जैसे कि बच्चे का वजन कम होना, बच्चे का माह से पहले जन्म होना या छोटे गर्भकालीन जन्म होना इत्यादि।
अभी के समय में वायु प्रदुषण से बढ़ते आकड़ें यह भी बताते है कि वायु प्रदुषण बच्चें में मधुमेह जैसी बीमारी को बढ़ावा देती है और इसके स्नायविक (Neurological) विकास को भी प्रभावित कर सकता है।
घरेलू वायु प्रदुषण से हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव
घरेलु वायु प्रदूषकों के संपर्क में आने से बच्चों और वयस्कों दोनों में सांस की बीमारियों से लेकर कैंसर तक की व्यापक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन और उपकरणों पर निर्भर रहने वाले परिवारों के सदस्यों को भी जलन, विषाक्तता, मस्कुलोस्केलेटल चोटों और दुर्घटनाओं का अधिक खतरा होता है।
वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) क्या है?
वायु मात्रा सूचकांक वायु प्रदूषण के स्तर को मापने का एक तरीका है। इसमें PM10 और PM2.5 सहित पांच मुख्य प्रदूषक शामिल हैं।
401 और 500 के बीच एक AQI को ‘गंभीर’ माना जाता है और 500 से आगे AQI को ‘गंभीर-प्लस आपातकाल’ या Danger Zone माना जाता है।
एक नज़र दिल्ली के वायु प्रदुषण पर
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली की हवा की गुणवत्ता ख़राब होने की वजह से यह शहर चर्चा का केंद्र बना हुआ। यहां साँस लेना बहुत ही मुश्किल हो चूका था। यहाँ की हवाओं की गुणवत्ता इसी बातों से अनुमान किया जा सकता है, यहाँ के AQI को गंभीर से गंभीर रेटिंग दिया गया था या हम कह सकते है यहॉँ कि रेटिंग खतरनाक जोन से भी ऊपर था जिसके कारण इसे विश्व का सबसे प्रदूषित राजधानी भी घोषित कर दिया गया।
यहॉँ के वायु की गुणवत्ता को देखते हुए दिल्ली सरकार ने सभी स्कूलों को कुछ दिन के लिए अवकाश घोषित कर दिया जिससे छोटे बच्चों को अपने घर का अधिक बाहर रहने की जरूरत ना हो और वायु प्रदूषण का खामियाजा ना भुगतना पड़ेगा। कुछ सरकारी ऑफिसों का टाइम टेबल भी कुछ दिनों के बदल दिया गया था।
लेकिन एक बात पर गौर करे तो यह हर साल नबम्बर के माह में यहाँ की हवा की गुणवत्ता खराब हो जाती है। सरकार को इसके लिए ठोस कदम उठाने की जरुरत है।
यह 8 बातें वायु प्रदुषण की भयानक वास्तविकता दर्शाती है।
1. वायु प्रदुषण से हर साल 600,000 बच्चे की मौत होती है – WHO
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 2018 की रिपोर्ट से पता चला है कि जहरीली हवा में सांस लेने से 15 साल से कम उम्र के हर साल लगभग 600,000 बच्चे मारे जाते हैं। अकेले 2016 में वायु प्रदूषण के कारण श्वसन संक्रमण से बहुतों बच्चों की मौत हुई है।
विश्व के आंकड़ों से पता चलता है कि हर दिन, 15 साल से कम उम्र के लगभग 93 प्रतिशत बच्चे, 1.8 बिलियन नौजवान और पांच साल से कम उम्र के 630 मिलियन बच्चे खतरनाक रूप से प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं जो कि प्रदूषकों से भरी हुई है।
WHO की रिपोर्ट में पाया गया कि 10 में से नौ लोग प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं जो हर साल उम्र के पहले मौत का कारण बन रहा है। यह जहरीली हवा बच्चों के लिए सबसे खतरनाक है – हर 10 मौतों में, वह उम्र के पांच साल पहले ही मौत हो जाती है।
WHO के अध्ययन में पता चला कि बाहरी और घरेलु वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य के खतरे का स्तर बच्चों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ता है।
More than 90% of the world’s children breathe toxic air every day
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WHO estimates that in 2016, 600,000 children died
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from acute lower respiratory infections caused by #airpollution pic.twitter.com/gjGIuJPivR
— World Health Organization (WHO) (@WHO) October 29, 2018
प्रदूषित हवा में सल्फेट और ब्लैक कार्बन जैसे विष शामिल हैं। ये विषाक्त पदार्थ आपके फेफड़ों और / या हृदय प्रणाली में गहराई से जा सकते हैं और अस्थमा का कारण बन सकते हैं – वायु प्रदूषण का एक प्रमुख तरीका हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
2. भारत में वायु प्रदूषण 30 प्रतिशत समय से पहले होने वाली मौतों, कैंसर और मानसिक रोगों के लिए जिम्मेदार है: CSE
Centre for Science and Environment (CSE) की 2017 की एक रिपोर्ट में पाया गया कि भारत में होने वाली सभी अकाल मौतों में से 30 प्रतिशत वायु प्रदूषण के कारण होती हैं।
‘बॉडी बर्डन: लाइफस्टाइल डिजीज’ नाम वाली रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पर्यावरण और स्वास्थ्य के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी मौजूद है, जैसे कि वायु प्रदूषण और मानसिक स्वास्थ्य के बीच संबंध को ले सकते है जो हमारी जीवन को सीधे प्रवाभित करती है।
इसमें कहा गया है कि वर्ष 2020 तक, 1.73 मिलियन से अधिक नए कैंसर के मामले सबसे अधिक दर्ज किए जाएंगे, जहां ‘प्राथमिक ट्रिगर’ वायु प्रदूषण, तंबाकू, शराब और आहार परिवर्तन मुख्य घटक होंगे।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दिल्ली के हर तीसरे बच्चे में शहर के वायु में मौजूद प्रदूषकों के उच्च स्तर के कारण फेफड़े ख़राब हो गए हैं।
3. भारतीय वायु प्रदूषण के कारण अपने उम्र से चार साल पहले मर रहे हैं।
2018 के अध्ययन के अनुसार, कण प्रदूषण इतना गंभीर है कि यह औसत भारतीय लोगो के जीवन को चार साल से अधिक समय तक कम कर देता है।
शिकागो विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति संस्थान (EPIC) ने कहा 1990 के दशक से अभी तक कण प्रदूषण में 69 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
EPIC ने कहा कि भारत वर्तमान में दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित देश है। भारत से अधिक प्रदूषित एकमात्र देश उसका हिमालयी पड़ोसी नेपाल है। वायु प्रदूषण स्वास्थ्य को इस हद तक प्रभावित करता है कि अब यह भारत में धूम्रपान से ऊपर रैंकिंग वाले सभी स्वास्थ्य जोखिमों में मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा कारण है।
नया वायु प्रदूषण सूचकांक, जिसे वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (AQLI) के रूप में जाना जाता है, इससे पता चला कि वायु प्रदूषण वैश्विक जीवन स्वास्थ्य को लगभग दो वर्षों तक कम कर देता है, जिससे यह मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा बन जाता है।
एक अध्ययन के अनुसार, रोगों से घातक बीमारी से पता चलता है कि 49 प्रतिशत वायु प्रदूषण के कारण क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) लगभग आधी मौतों के लिए जिम्मेदार है, इसके बाद फेफड़े के कैंसर से 33 प्रतिशत, डायबिटीज और इस्केमिक से मौतें होती हैं। 22 प्रतिशत पर हृदय रोग और 15 प्रतिशत पर स्ट्रोक मौत के लिए जिम्मेदार है।
यह शोध दर्शाता है कि वायु प्रदुषण “दिल और फेफड़ों की बीमारी से लेकर डायबिटीज और डिमेंशिया तक, लीवर की समस्याओं, मस्तिष्क, बुद्धि, पेट के अंगों, प्रजनन और मूत्राशय के कैंसर से लेकर भंगुर हड्डियों और क्षतिग्रस्त त्वचा” इन सब बिमारियों के लिए लगभग जिम्मेदार है।
4. वायु प्रदूषण से मधुमेह बढ़ने का खतरा बढ़ सकता है।
2018 के एक अध्ययन से यह पता चला कि बाहरी वायु प्रदूषण, यहां तक कि सुरक्षित स्तर पर, वैश्विक स्तर पर मधुमेह का खतरा बढ़ता जा रहा है।
मुख्य रूप से कहा जाता है कि मधुमेह जंक फूड आहार और एक गतिहीन जीवन शैली से होने की संभावना बढ़ जाती है लेकिन यूएसए में वाशिंगटन विश्वविद्यालय ने कहा कि प्रदूषण भी इसमें एक प्रमुख भूमिका निभाता है। अगर भारत में या विश्व के किसी देश में प्रदूषण का स्तर कम हो जाता है तो इस शोध के अनुसार मधुमेह के रोग के मामलों में कमी ला सकता है।
5. बाहरी वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बच्चों में बुद्धि के विकास में जोखिम बढ़ सकता है।
बौद्धिक विकलांगता एक अत्यंत सामान्य स्थिति है – भारत में प्रति वर्ष 10 मिलियन से अधिक मामले – जिसे पहले मानसिक मंदता या मंदबुद्धि कहा जाता था। सरल शब्दों में कहे तो यह एक व्यक्ति में मौजूद जीवन कौशल को निचे करता है जो उनके दिमाग पर सीधे असर पड़ता है।
ब्रिटेन के लैंकेस्टर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने उल्लेख किया कि अधिक सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों में बौद्धिक विकलांगता अधिक आम है, जिनमें वायु प्रदूषण की अहम् भूमिका होती है।
6. नवजात शिशु को वायु प्रदुषण से आईसीयू में भर्ती होने की संभावना बढ़ जाती है।
प्रसव से पहले सप्ताह में वायु प्रदूषण के उच्च स्तर के संपर्क में आने वाली महिलाओं को पैदा होने वाले शिशुओं को ICU (एनआईसीयू) में भर्ती होने की अधिक संभावना है।
2019 के अध्ययन में पाया गया कि प्रदूषण के प्रकार के आधार पर, एनआईसीयू में प्रवेश की संभावना लगभग 4 प्रतिशत से बढ़कर 147 प्रतिशत हो गई।
शोधकर्ताओं को हालांकि यह नहीं पता है कि माँ को वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बच्चे को NICU में प्रवेश की संभावना क्यों बढ़ जाती है। लेकिन वे सिद्धांत देते हैं कि प्रदूषक सूजन को बढ़ाते हैं, जिससे बिगड़ा हुआ रक्त वाहिका विकास होता है, विशेष रूप से नाल में, जो विकासशील भ्रूण को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति करता है।
7. वायु प्रदूषण से बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
प्रारंभिक जीवन के दौरान वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से किशोरावस्था में अवसाद, चिंता और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ने की संभावना अधिक होती है।
Journal Environmental Health Perspectives में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया है कि व्यापक वायु प्रदूषण के लिए अल्पकालिक जोखिम एक से दो दिन बाद बच्चों में मनोरोग संबंधी विकारों पाया गया है।
Environmental Research Magazine में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि प्रारंभिक जीवन के दौरान traffic-related air pollution(TRAP) के संपर्क में रहने से 12 साल के बच्चों में self-reported depression और चिंता के काफी लक्षण पायें गए है।
8. वायु प्रदूषण से महिलाओं में अनियमित पीरियड्स और मासिक धर्म की स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं।
इस 2019 के अध्ययन से पता चला है कि वायु प्रदूषक में सांस लेने वाली महिलाएं को अनियमित मासिक चक्र का कारण बन सकती हैं, क्योंकि वायु प्रदूषण के संपर्क से नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों में बांझपन(infertility), चयापचय सिंड्रोम (Metabolic syndrome)और पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम(Polycystic ovary syndrome) शामिल हैं।
वायु प्रदूषण के जोखिम को हृदय और फुफ्फुसीय रोग से जोड़ा गया है, इस अध्ययन से पता चलता है कि प्रजनन प्रणाली अंतःस्रावी तंत्र जैसी अन्य प्रणालियां भी प्रभावित हो सकती हैं।
वायु प्रदुषण से हम कैसे बच सकते है।
वैसे तो जब तक हमारे आस-पास की हवा में शुद्धता नहीं पायी जाती तब तक हमें इनसे बचना मुश्किल ही है लेकिन निम्न बातों को उपयोग कर आप वायु प्रदुषण को कम जरूर कर सकते है
- पूरी बाजू के कपड़े पहनें और अपने चेहरे को अच्छी गुणवत्ता के मास्क (नियमित समय अंतराल पर मास्क बदलें) से ढकें।
- घर के बाहर किए जाने वाले व्यायाम से बचें, इसके बजाए घर के अंदर योगा जैसे व्यायाम करें।
- घर की भीतरी हवा की गुणवत्ता को नियन्त्रित रखें- दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें. एयर प्यूरीफायर भी लगा सकते हैं।
- अपने घर के आस-पास प्रदूषण कम करने के लिए पेड़ लगाएं।
- प्रतिरक्षी क्षमता को मजबूत बनाने के लिए अदरक और तुलसी की चाय पीएं।
- अपने आहार में विटामिन सी, ओमेगा 3 और मैग्निशियम, हल्दी, गुड़, अखरोट आदि का सेवन करें।
- हवा को फिल्टर करने वाले पौधे घर में लगाएं. जहरीली गैसों को कम करने के लिए कुछ पौधे बेहद काम आ सकते हैं. इन्हें एयर फिल्टरिंग प्लांट भी कहा जाता है. खुजली, जलन, लगातार जुकाम, एलर्जी और आंखों में जलन से बचाव में ये पौधे आपकी सहायता करेंगे।
- आप घर में एलो वेरा, लिली, स्नेक प्लांट (नाग पौधा), पाइन प्लांट (देवदार का पौधा) मनी प्लांट, अरीका पाम और इंग्लिश आइवी लगा सकते हैं. यह पौधे घर की हवा को साफ करने में मददगार साबित होते हैं।
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