अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के साथ ही वहां फिर तालिबान पैर पसारने लगा है। तालिबान ने वहां के 85 फीसद इलाके में कब्जा करने का दावा किया है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के निर्देश पर तालिबान ने भारतीय संपत्तियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है; इससे वहां चल रहे कई प्रोजेक्ट पर संकट के बादल छा गए हैं। इन सभी प्रोजेक्ट पर असर पड़ने की आशंका है। अफगानिस्तान में प्रमुख परियोजनाओं
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नवंबर 2020 में जेनेवा में अफगानिस्तान कांफ्रेंस में कहा था; ‘अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में हमारे 400 प्रोजेक्ट चल रहे हैं; जो वहां पूरे देश में फैले हैं।’ 20 लाख लोगों को साफ पानी के लिए भारत की ओर से काबुल में शहतूत डैम बनाने और 600 करोड़ रुपये के करीब 100 प्रोजेक्ट पर भी समझौता हुआ है।
अफगानिस्तान में चल रही भारत की कुछ प्रमुख परियोजनाओं अफगानिस्तान में प्रमुख परियोजनाओं
एक पड़ोसी की जिम्मेदारी निभाते हुए भारत ने अफगानिस्तान में कई प्रोजेक्ट में निवेश किया है; अफगानिस्तान में भारत के द्वारा संचालित प्रमुख परियोजनाओं निम्न प्रकार है:
1. सलमा बांध
42 मेगावाट का यह बाध अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में बना है। 2016 में इस हाइड्रोपावर और इरिगेशन प्रोजेक्ट का उद्घाटन हुआ था। इसे अफगान भारत मैत्री बाध के नाम से भी जानते हैं। पिछले कई हफ्तों में इसके आसपास तालिबान लगातार हमले कर रहा है; जिसमें कई सुरक्षाबलों की भी मौत हुई है।
2. स्टोर पैलेस
इसको पुनर्स्थापित करने के बाद वर्ष 2016 में अफगानिस्तानी राष्ट्रपति अशरफ गनी और भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने काबुल में इसका उद्घाटन किया था; भारत ने इसके निर्माण में सहयोग किया था।
3. अफगानिस्तानी संसद
भारत ने काबुल में अफगान संसद को करीब 675 करोड़ रुपये में तैयार कराया है। 2015 में अफगानिस्तान की संसद को खोला गया था; भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया था।
4. जेरांज-देलाराम हाईवे का निर्माण
218 किलोमीटर के इस हाईवे को बीआरओ ने बनाया था। इसे करीब 1125 करोड़ की लागत से बनाया गया। यह सामरिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है। व्यापार के लिए यह ईरान के चाबहार पोर्ट के माध्यम से अफगानिस्तान में जाने का वैकल्पिक रास्ता है। कोरोना महामारी में भारत ने 75 हजार टन गेंहू इसी रास्ते से ट्रांसपोर्ट किया है; इस हाईवे के निर्माण में 11 भारतीय और 129 अफगानिस्तानी लोगों को जान गंवानी पड़ी थी।
5. हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी सहयोग
1972 में काबुल में बनाए गए बच्चों के अस्पताल का भारत ने फिर से निर्माण कराया; साथ ही अलग अलग प्रांतों में भारत ने कई क्लीनिक बनाए हैं।
6. बिजली क्षेत्र में कार्य
बिजली सप्लाई बढ़ाने के लिए पुल-ए-खुमरी से नार्थ काबुल तक 220 किलोवाट की डीसी ट्रांसमिशन लाइन की भारत ने पुनर्स्थापना की। साथ ही संचार सुविधाएं भी कई इलाकों में मजबूत की गईं।
7. परिवहन में मदद
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, भारत ने अफगानिस्तान में 400 बस, 200 मिनी बस, नगर पालिकाओं को 105 गाड़ी दी है; साथ ही अफगान सेना को 285 वाहन दिए हैं। पांच शहरों को 10 एंबुलेंस भी दी गई है।
8. अन्य कई परियोजनाओं
अन्य कई परियोजनाओं पर भी काम भारत ने स्कूलों के लिए डेस्क, बेंच और पिछड़े इलाकों में सोलर पैनल के साथ ही काबुल में सुलभ टायलेट ब्लाक बनाए हैं।
भारत और अफगानिस्तान के संबंध बेहद मज़बूत और मधुर हैं। अफगानिस्तान जितना अपने तात्कालिक पड़ोसी पाकिस्तान के निकट नहीं है; उससे कहीं अधिक निकटता उसकी भारत के साथ है। भारत के स्थायी लक्ष्य स्पष्ट हैं- अफगानिस्तान के विकास में लगे करोड़ों डॉलर व्यर्थ न जाने पाएँ; काबुल में मित्र सरकार बनी रहे; ईरान-अफगान सीमा तक निर्बाध पहुँच रहे; और वहाँ के पाँचों वाणिज्य दूतावास बराबर काम करते रहें।