हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आकाश मिसाइल प्रणाली के निर्यात को मंजूरी प्रदान की है, आकाश मिसाइल सिस्टम को खरीदने के लिए दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका के 9 देशों ने रुचि दिखाई है। यही नही आकाश के अलावा अन्य प्रमुख उपकरणों जैसे तटीय निगरानी प्रणाली, रडार और वायु उपकरणों में भी रुचि दिखाई है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार आकाश देश की महत्वपूर्ण मिसाइल है; और यह 96 प्रतिशत स्वदेशी प्रकृति की है।
आकाश मिसाइल प्रणाली
आकाश सतह से हवा में मार करने वाली एक मिसाइल है; इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित किया गया है;। इसकी मारक क्षमता 25 किलोमीटर तक है। इस मिसाइल को 2014 में भारतीय वायु सेना तथा 2015 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था;। विदित हो कि वर्ष 1990 में आकाश मिसाइल की पहली परीक्षण उड़ान आयोजित की गयी थी।
यह मिसाइल विमान को 30 किमी दूर व 18,000 मीटर ऊंचाई तक टारगेट कर सकती है; इसमें लड़ाकू जेट विमानों, क्रूज मिसाइलों और हवा से सतह वाली मिसाइलों के साथ-साथ बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे हवाई लक्ष्यों को बेअसर करने की क्षमता है।
आकाश मिसाइल के विकास की लागत दूसरे देशों में इसी तरह के सिस्टम विकास की लागत से 8-10 गुना कम है। आकाश मिसाइल में कुछ अनोखी विशेषताएं हैं जैसे कि गतिशीलता, अवरोधन को लक्षित करने के लिए सभी तरह से संचालित उड़ान, एकाधिक लक्ष्य नियंत्रण, डिजिटल कोडित निर्देश मार्गदर्शन और पूरी तरह से स्वचालित संचालन आदि।
हालिया मुद्दे
भारत सरकार ने 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रक्षा निर्यात के लक्ष्य को प्राप्त करने और मित्र देशों के साथ रणनीतिक संबंधों को बेहतर बनाने के लिए उच्च मूल्य वाले रक्षा प्लेटफार्मों के निर्यात पर ध्यान केंद्रित करने का लक्ष्य रखा है। मंत्रिमंडल की इस पहल से देश को अपने रक्षा उत्पादों को बेहतर बनाने और उन्हें विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार इससे देश को अपने रक्षा उत्पादों को बेहतर बनाने और उन्हें विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी। इससे आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) के तहत भारत विभिन्न प्रकार के रक्षा उपकरणों और मिसाइलों के निर्माण में अपनी क्षमताओं में वृद्धि कर सकता है।
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