भारत में पशु क्रूरता के विरुद्ध कानून
भारत में पशु क्रूरता का निवारण अधिनियम, 1960 के प्रावधान के तहत पशुओं पर क्रूरता को रोकने हेतु सरकार द्वारा 2017 में अधिसूचना जारी की गई थी। 23 मई, 2017 को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अधिसूचित नियमों में पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (केस संपत्ति प्राणियों की देखभाल और रखरखाव) नियम, 2017 और पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (पशुधन बाजारों का विनियमन) नियम, 2017 शामिल था।
इन कानूनों के कुछ मुख्य प्रावधान निम्न है-
- मवेशियों की बिक्री और खरीद करने के लिए घोषणा पत्र को अनिवार्य किया जाना
- रंगबिरंगी मछलियां, कुत्तों से लेकर मवेशियों की बिक्री के लिए अनिवार्य पंजीकरण
- जानवरों की सुंदरता बढ़ाने के लिए जानवरों के शरीर से छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता;(उदहारण के लिए कुत्तों की पूंछ और कान को काटना या उसे रंगना नए नियमों के तहत प्रतिबंधित)
- 2017 की अधिसूचना में इस बात पर पर्याप्त बल दिया गया है कि पशुओं के साथ क्रूरता न हो; और उसे ऐसे स्थान पर रखा जाए, जो उसके स्वास्थ्य के लिए बेहतर हो।
- पशु क्रूरता निवारण (पशुधन बाजार नियमन) 2017 की अधिसूचना में यह भी प्रावधान किया गया; की अब किसी भी मवेशी को तब-तक बाजार में नहीं बेचा जा सकता; जब तक उसके साथ लिखित में घोषणा पत्र न दिया जाये; इसके साथ ही लिखित घोषणा पत्र में वर्णन करना होगा; कि पशु को मांस के कारोबार और हत्या के मकसद से नहीं बेचा जा रहा है।
पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम, 1960
पशु क्रूरता से निपटने के उद्देश्य से पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम 1960 का निर्माण भारत की संसद द्वारा किया गया है। इस अधिनियम के माध्यम से पशुओं के प्रति होने वाली क्रूरता को रोकने के संपूर्ण प्रयास किए गए हैं।
इस अधिनियम में “बंधुआ पशु” और “पालतू पशु” दोनों को अलग-अलग परिभाषित किया गया है।
- “बंधुआ पशु” से अभिप्रेत है कोई पशु (जो पालतू पशु न हो) जो चाहे स्थायी रूप से अथवा अस्थायी रूप से बंधुआ हालत में हो या जिसे बंधुआ हालत से निकल भागने में से रोकने के लिए बांध कर रखा गया हो।
- “पालतू पशु” से ऐसा पशु अभिप्रेत है जो साधाया हुआ है, या जो मनुष्य के काम आने के लिए किसी प्रयोजन की पूर्ति के निमित्त पर्याप्त रूप से साधाया गया है या साधाया जा रहा है।
इस अधिनियम की धारा 4 में पशु कल्याण बोर्ड की स्थापना का प्रावधान किया गया है। जिसमें भारत सरकार का वन महानिरीक्षक (पदेन), भारत सरकार का पशुपालन आयुक्त (पदेन) के साथ-साथ गृह और शिक्षा से सम्बन्धित केन्द्रीय सरकार के मंत्रालयों के एक-एक प्रतिनिधि, भारतीय वन्य प्राणी बोर्ड का एक प्रतिनिधि सहित अन्य संबन्धित लोग शामिल होते हैं।
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