आज ब्लैडर कैंसर (Bladder cancer) युवाओं में बहुत ही तेजी से बढ़ता जा रहा है, इसकी चपेट में आने वाले रोगी अधिकांश युवाओं ही है क्यों इस कैंसर का मुख्य कारण ध्रूमपान है जो आज की युवाओं में इसका क्रेज बढ़ता जा रहा है। इसके समय से उपचार नहीं होने पर यह बीमारी जानलेवा साबित हो जाती है। तो चलिए आज के इस आर्टिकल में हम जानते है कि ब्लैडर कैंसर (Bladder cancer) क्या है? ये किन कारणों से होता है, इसका लक्षण क्या-क्या है और इससे कैसा बचा जा सकता है?
ब्लैडर कैंसर (Bladder cancer)क्या है?
हमारे शरीर में पेट के नीचे पाया जाने वाला थैलीनुमा अंग ब्लैडर या मूत्राशय होता है। इस खोखली संरचना में यूरिन जमा होता है। ब्लैडर में जब असामान्य रूप से ऊतक बढ़ने लगते हैं तो कैंसर का रूप ले लेते हैं। ये कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है और महिलाओं की तुलना में पुरुषों में इस कैंसर का ख़तरा ज्यादा रहता है।
ब्लैडर कैंसर होने का मुख्य कारण क्या है ?
ब्लैडर कैंसर होने के मुख्य कारण निम्न है:-
- धूम्रपान करना- लम्बे समय से धूम्रपान करने वाले लोगों में ब्लड कैंसर का ख़तरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि तम्बाकू उत्पादों में बहुत से ऐसे हानिकारक केमिकल्स मिले होते हैं जो ब्लैडर कैंसर का कारण बनते हैं। ये केमिकल्स शरीर में पहुंचकर खून में मिल जाते हैं और किडनी के जरिये यूरिन में आ जाते हैं। ये यूरिन ब्लैडर में जमा होता है और इस तरह ब्लैडर लगातार इस केमिकल युक्त यूरिन के संपर्क में आता रहता है। इस स्थिति में ब्लैडर की अंदरूनी परतों में बदलाव होने लगते हैं जो कैंसर का रुप ले सकते हैं।
- बेंजीडीन, एनीलिन डाइज और ओ-टोल्यूइओडीन जैसे केमिकल्स के लगातार संपर्क में रहना ।
- प्लास्टिक उद्योग, चमड़ा उद्योग, रंग उद्योग, कपड़ा उद्योग और पेंट उद्योग में काम करने वाले लोगों में भी ब्लैडर कैंसर का ख़तरा ज्यादा रहता है।
- लम्बे समय तक यूरिनरी ट्रैक्ट में इन्फेक्शन रहना
- लम्बे समय तक ब्लैडर में पथरी रहना
- प्रोस्टेट कैंसर के इलाज के दौरान की जाने वाली सर्जरी
- रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी का इस्तेमाल किया जाना
- समय से पहले मीनोपॉज आना
ब्लैडर कैंसर के लक्षण क्या-क्या हो सकते हैं?
- यूरिन पास करने के दौरान दर्द होना
- यूरिन में खून का आना
- बार-बार यूरिन आना
- अचानक यूरिन पास करने की जरुरत महसूस करना
ब्लैडर कैंसर से बचाव के लिए क्या-क्या करना चाहिए ?
- पर्याप्त मात्रा में पेय पदार्थ पियें (ख़ासकर पानी) ताकि ब्लैडर में पहुंचे हानिकारक रसायन यूरिन के साथ शरीर से बाहर निकल जाएंगे
- धूम्रपान से दूरी बनाएं
- हानिकारक रसायनों से दूर रहें
- सुबह व्यायाम जरूर करें
ब्लैडर कैंसर को कैसे पता किया जाता है?
मरीज के शरीर में पाए जाने वाले संकेतों के आधार पर चिकित्सक के सलाह पर मरीज़ अपनी निम्न टेस्ट करवा कर इन रोगो को पता कर सकता है –
- यूरिन टेस्ट– यूरिन टेस्ट के जरिये उसमें मौजूद ब्लड, बैक्टीरिया और असामान्य कोशिकाओं का पता लगाया जाता है।
- सिस्टोस्कोपी– ब्लैडर कैंसर की पुष्टि होने पर सिस्टोस्कोपी की जाती है जिससे ब्लैडर के आंतरिक हिस्से की जाँच की जाती है।
- इमेजिंग स्कैन– इस टेस्ट में जरुरत के अनुसार एमआरआई स्कैन या सीटी स्कैन किया जा सकता है।
- बायोप्सी टेस्ट– इस टेस्ट में असामान्य ऊतक का सैंपल लेकर कैंसर का टेस्ट किया जाता है।
ब्लैडर कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है?
किसी भी कैंसर का इलाज ये उसकी प्रकृति, स्थिति और स्टेज के आधार पर तय किया जाता है। ब्लैडर कैंसर के इलाज की कई प्रक्रियाएं होती हैं जैसे-
- सर्जरी– सर्जरी के माध्यम से कैंसर को बाहर निकाला जाता है।
- कीमोथेरेपी– इस प्रक्रिया का इस्तेमाल ब्लैडर की दीवार पर मौजूद कैंसर ऊतक के लिए किया जाता है जिसके बढ़ने का ख़तरा हो।
- रेडिएशन थेरेपी– इस प्रक्रिया का इस्तेमाल कैंसर सेल्स को नष्ट करने के लिए किया जाता है।
- इम्यूनोथेरेपी– इस प्रक्रिया में इम्यून सिस्टम को उत्तेजित किया जाता है ताकि वो कैंसर सेल्स को नष्ट कर सके।
- रिकंस्ट्रक्शन– ब्लैडर को शरीर से निकाल दिए जाने की स्थिति में, यूरिन के लिए नया मार्ग बनाने के लिए इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है।
ब्लैडर कैंसर में ध्यान रखने योग्य बातें
ब्लैडर कैंसर का इलाज होने के बाद भी, इसके दोबारा होने का ख़तरा बना रहता है इसलिए मरीज को बार-बार जाँच करवाने की जरुरत पड़ती है, और मरीज़ को ध्रूमपान से वंचित रहना चाहियें। मरीज़ को इसमें सबसे ज्यादा ध्यान रखने योग्य बातें है की जब भी उन्हें किसी भी उपर्युक्त्त लक्षण महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से सलाह के अनुसार जांच जरूर करवानी चाहियें।
निष्कर्ष
ब्लैडर कैंसर एक जानलेवा बीमारी है इसलिए इससे जुड़े किसी भी प्रकार के लक्षण या संकेत को नज़रअंदाज़ नहीं करें। अपने चिकित्सक से पूरी जानकारी लें और अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्क और जागरूक बने रहें। और इससे बचने के लिए हमारी सलाह है कि ध्रूमपान व नशा से वंचित रहें और हानिकारक रसायन से दूर रहें।
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