भारत का संविधान अपने स्वरूप में संघीय है, तथा समान विनयम (विधायी, कार्यपालक और वित्तीय) केंद्र एवं राज्यों (केंद्र राज्य संबंध) के मध्य विभाजित है। यद्यपि न्यायिक शक्तियों का बटवारा नहीं है। संविधान में एकल न्यायिक व्यवस्था की स्थापना की गई है, जो केंद्रीय कानूनों की तरह ही राज्य कानूनों को लागू करती है।
केंद्र राज्य संबंध (Central State Relation)
यद्यपि केंद्र एवं राज्य अपने अपने क्षेत्रों में प्रमुख हैं तथापि संघीय तंत्र के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए इनक मध्य अधिकतम सहभागिता एवं सहकारिता आवश्यक है। इस तरह संविधान ने केंद्र-राज्य संबंधों को लेकर विभिन्न मुद्दों पर व्यवस्थाए स्थापित की हैं।
केंद्र एवं राज्यों के संबंधों का अध्ययन तीन दृष्टिकोणों से किया जा सकता है:
केंद्र-राज्य संबंधों में प्रवृत्तियां
1967 तक संबंधों केंद्र-राज्य में प्रवृत्तियां संबंध व्यापक एवं सामान्य बने रहे क्योंकि केंद्र एवं ज्यादातर राज्यों में एक ही दल का शासन था। 1967 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी 9 राज्यों में हार गई, जिससे केंद्र में उसकी स्थिति कमजोर हई। इससे केंद्र-राज्य संबंध के राजनीतिक परिदृश्य में नया परिवर्तन आया। राज्यों में गैर-कांग्रेसी सरकारों ने कई मसलों पर केंद्रीयकरण का विरोध किया। उन्होंने राज्यों की स्वायत्तता का मुद्दा उठाया और ज्यादा शक्तियां एवं वित्तीय स्रोतों की मांग की। इसने केंद्र-राज्य संबंधों में टकराव व तनाव की स्थिति पैदा कर दी।
केंद्र-राज्य संबंधों के तनाव संभाव्य क्षेत्र
जिन मुद्दों के कारण केंद्र और राज्यों के बीच तनाव व टकराव पैदा हुआ, वे हैं-
- राज्यपाल की नियुक्ति एवं बर्खास्तगी का तरीका,
- राज्यपाल का दलगत व पक्षपातपूर्ण रवैया,
- पार्टी हित में, राष्ट्रपति शासन को लगाना,
- राज्य में कानून एवं व्यवस्था बनाने के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती,
- राज्य विधेयकों को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए आरक्षित रखना,
- राज्य के लिए वित्तीय आवटन में भेदभाव,
- राज्य नीतियों के अनुपालन में योजना आयोग की भूमिका,
- अखिल भारतीय सेवाओं (आईएएस, आईपीएस व आइएफएस) का प्रबंधन
- राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का प्रयोग,
- मुख्यमंत्री के विरुद्ध जांच आयोग की नियुक्ति,
- केंद्र एवं राज्यों के मध्य वित्तीय हिस्सेदारी, और
- राज्य सूची में केंद्र द्वारा अतिक्रमण।
Read more Topic:-
- केंद्र-राज्य विधायी संबंध
- केंद्र व राज्य के बीच प्रशासनिक संबंध की व्याख्या
- केन्द्र-राज्य वित्तीय सम्बन्ध
- प्रशासनिक सुधार आयोग क्या था? इसके मुख्य सिफारिशें क्या क्या थी
- राजमन्नार समिति क्या थी? इसकी सिफारिशें क्या-क्या थी?
- आनंदपुर साहिब प्रस्ताव क्या है? यह प्रस्ताव कब पारित हुआ
- पश्चिम बंगाल माण पत्र क्या था? इसकी सिफारिशें क्या थी
- सरकारिया आयोग किससे संबंधित है? इसके सिफारिशें क्या थी
- पुंछी आयोग क्या है? इसके कार्य और अनुशंसाएं
Read more Chapter:-
- Chapter-1: संवैधानिक विकास का चरण – ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- Chapter-2: संविधान का निर्माण
- Chapter-3: भारतीय संविधान की विशेषताएं व आलोचना
- Chapter-4: संविधान की प्रस्तावना
- Chapter-5: संघ एवं इसका क्षेत्र
- Chapter-6: नागरिकता | Citizenship
- Chapter-7: मूल अधिकार | Fundamental Rights
- Chapter-8: राज्य के नीति निदेशक तत्व
- Chapter-9: मूल कर्तव्य | Fundamental Duties
- Chapter-10: संविधान का संशोधन प्रक्रिया क्या है? आलोचना व महत्व
- Chapter-11: संविधान की मूल संरचना का विकास, सिद्धांत, तत्व और सम्बंधित मामले
- Chapter-12: संसदीय व्यवस्था की परिभाषा, विशेषतायें, गुण तथा दोष
- Chapter- 13: संघीय व्यवस्था तथा एकात्मक व्यवस्था