अमेरिकी के ट्रेजरी विभाग द्वारा उन देशों को करेंसी मैनिपुलेटर कहा जाता है; जो “अनुचित मुद्रा प्रथाओं” को अपनाकर डॉलर के मुकाबले अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करते हैं। अमेरिकी का ट्रेजरी विभाग अंतरराष्ट्रीय आर्थिक और विनिमय दर नीति की समीक्षा रिपोर्ट के आधार पर करेंसी मेनिपुलेटर्स देशों की पहचान करता है।
करेंसी मैनिपुलेटर
- समान्यतः कोई देश अपनी मुद्रा के मूल्य को कृत्रिम रूप से कम करने की ऐसी अनुचित प्रथाओं का उपयोग दूसरे देश की तुलना में लाभ प्राप्त करने के लिए करता है।
- मुद्रा का अवमूल्यन उस देश से निर्यात की लागत को कम करता है; और परिणामस्वरूप कृत्रिम रूप से व्यापार घाटे में कमी होने लगती है।
करेंसी मेनिपुलेटर देशों की पहचान के मापदंड
कोई भी अर्थव्यवस्था जो 2015 के व्यापार सुविधा और व्यापार प्रवर्तन अधिनियम के अंतर्गत निम्नलिखित तीन मानदंडों में से दो को पूरा करता है; उसे अमेरिका के ट्रेजरी विभाग की इस निगरानी सूची में रखा जाता है-
- उस देश का अमेरिका के साथ पिछले 12 माह के दौरान द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष (trade surplus) कम से कम 20 अरब डॉलर का रहा हो;
- पिछले 12 माह के दौरान उस देश की जीडीपी का 2 फीसदी से ज्यादा चालू खाता अधिशेष रहा हो;
- 12 महीने की अवधि में उस देश की जीडीपी का 2 फीसदी से ज्यादा विदेशी मुद्रा की शुद्ध खरीद हो।
अमेरिका के ट्रेजरी विभाग की इस निगरानी सूची में भारत, चीन, ताइवान के अलावा जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, इटली, सिंगापुर, थाइलैंड और मलेशिया शामिल हैं।
भारत को निगरानी सूची में रखने का कारण
1. भारत का कई वर्षों से लगातार अमेरिका के साथ द्विपक्षीय माल व्यापार अधिशेष को बना हुआ है; जो अब $20 बिलियन का आंकड़ा भी पार कर चुका है;। जून 2020 के पहले की चार तिमाहियों में द्विपक्षीय माल व्यापार अधिशेष $22 बिलियन था।
2. केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार, भारत की विदेशी मुद्रा की शुद्ध खरीद में 2019 की दूसरी छमाही में तेजी आई है। महामारी की शुरुआत के दौरान विदेशी मुद्रा की बिक्री के बाद, भारत ने 2020 की पहली छमाही के दौरान शुद्ध खरीद को बनाए रखा।
3. जून के पहले की चार तिमाही के दौरान भारत की विदेशी मुद्रा की शुद्ध खरीद $64 बिलियन रही; जोकि जीडीपी का 2.4% से अधिक से भी अधिक है;। इस प्रकार भारत अमेरिका के ट्रेजरी विभाग के निर्धारित तीन मापदंडो में से 2 को पूरा करता है।
Related Links-