डेडिकेटेड रेल फ्रेट कॉरिडोर (Dedicated Rail Freight corridor -DRFC), रेल मंत्रालय की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है; जिसके तहत भारत में रेल के द्वारा मालवाहन को अधिक सुगम बनाया जाना लक्ष्य है।
डेडिकेटेड रेल फ्रेट कॉरिडोर (Dedicated Rail Freight corridor -DRFC) परियोजना
इस परियोजना में नई रेल लाइनों के विकास का लक्ष्य है;। जिसके ऊपर सिर्फ मालगाडि़याँ ही चलेंगी यानि मालवाहक रेल लाइनों व यात्री रेल लाइनों दोनों को एक दूसरे से अलग करने की योजना है। इसके साथ ही भारत में डीएफ़आरसी(DRFC) को एक स्वर्णिम चतर्भुज की तरह भी जोड़ने की बात कही गई है; जिसमें भारत के चार बड़ें शहरों दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता को भी जोड़ने की बात कही गई है।
इन परियोजनाओं में ईस्ट-वेस्ट डीएफ़आरसी( East-West DRFC) के तहत कोलकाता को चेन्नई से तथा नर्थ-साउथ डीएफ़आरसी (North-South DRFC )के तहत दिल्ली को चेन्नई से जोड़ने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया है। इसके साथ ही तटीय क्षेत्रें को आपस में जोड़ने के लिये साउथ-वेस्ट डीएफ़आरसी (South-West DRFC) के तहत चेन्नई को गोवा से व खड़गपुर को विजयवाड़ा से जोड़ने का प्रस्ताव भी 2018 में पारित कर दिया गया है।
इस परियोजना को पूरा करने की जिम्मेदारी ‘डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कार्पोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड’ (Dedicated Freight Corridor Corporation of India Limited -DFCCIL) की है; जो कि रेल मंत्रालय के तहत कार्य करता है।
डेडिकेटेड रेल फ्रेट कॉरिडोर (DRFC) की आवश्यकता क्यों है?
भारत में जनसंख्या बोझ व खराब आधारभूत संरचना के कारण, रेलगाडि़यों का समय से न चल पाना आम बात हो गई है। इसके अलावा, रेल मंत्रालय द्वारा हर साल नई रेलगाडि़यों को चलाये जाने व अपर्याप्त रेल लाइनों की वजह से रेल ट्रैफिक (Rail Traffic) की समस्या गम्भीर होती जा रही है। इसी कारण से मालगाडि़यों व यात्रीगाडि़यों को दूसरे के लिये रूककर पास देना पड़ता है जिससे गाडि़याँ अपने तय समय पर गंतव्य तक नहीं पहुँच पाती है। इन्ही कारणों की वजह से भारत में मालगाडि़यों की औसत गति लगभग 25 किमी प्रति घण्टा व यात्रीगाडि़यों की औसत गति लगभग 50 किमी प्रति घण्टा की है।
भारत में माल ढुलाई आज भी काफी मंहगी है; यही कारण है कि भारत का निर्यात काफी मंहगा हो जाता है; और भारतीय वस्तुएँ अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में प्रतिष्पर्द्धा नहीं कर पाती हैं;। भारत में लाजिस्टिक कीमतों को कम करने में डीएफ़आरसी(DRFC) की अति आवश्यकता है।
डेडिकेटेड रेल फ्रेट कॉरिडोर (DRFC) का महत्व
इन परियोजना के आ जाने से जहाँ एक और रेल लाइनों पर दबाव कम होगा वहीं दूसरी और यातायात में लगने वाला समय भी कम होगा। आंकड़ों के मुताबिक, मालगाडि़यों की औसत गति बढ़कर 80 से 85 किमी प्रति घण्टा की हो जायेगी। मालगाडि़यों में चलती देरी की वजह से उनमें रखा सामान खराब हो जाता था जिससे फल, सब्जियाँ, दूध व अन्य खा़द्य सामग्रियों को रेल परिवहन के द्वारा नही ले जाया जा सकता था;। इन कॉरिडोर के बनने से ऐसी समस्यायें दूर हो जायेगी।
भारत में बढ़ते ई-कामर्स बाज़ार (e-commerce market) के लिये ये कॉरिडोर वरदान साबित होंगे। ई-कामर्स कंपनियाँ अब सामान की डिलीवरी के लिये रेलवे का उपयोग कर पायेंगी जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी; साथ ही बड़े बंदरगाहों के आपस में जुड़ने की वजह से यातायात व माल परिवहन में सुगमता होगी।
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर 9 राज्यों में 133 रेलवे स्टेशनों को कवर करेगा; इन स्टेशनों पर मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क, फ्रेट टर्मिनल, कंटेनर डिपो, कंटेनर टर्मिनल, पार्सल हब होंगे;। ये सभी किसानों, लघु उद्योगों, कुटीर उद्योगों के साथ-साथ बड़े निर्माताओं को भी लाभान्वित करेंगे।
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