क्या है इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (Electronic Voting Machine-EVM)
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन, जिसे ईवीएम के नाम से भी जाना जाता है, इलेक्ट्रॉनिक साधनों के उपयोग या सहायता से मतदान के दौरान वोट डालने और उसके बाद वोटों की गिनती करने के लिए उपयोग की जाने वाली एक इलेक्ट्रॉनिक युक्ति है।
ईवीएम को दो इकाइयों के के संयोजन से तैयार किया किया गया है:
- नियंत्रण इकाई (control unit)
- मतदान इकाई (balloting unit)
इन इकाइयों को एक केबल द्वारा एक साथ जोड़ा जाता है। ईवीएम की नियंत्रण इकाई पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास रखी जाती है। मतदाताओं को वोट डालने के लिए बैलेटिंग यूनिट को मतदान कक्ष के भीतर रखा जाता है।
ईवीएम में प्रत्येक उम्मीदवार के लिए एक अलग बटन होता है; जिसके सामने उम्मीदवार का चुनाव चिन्ह या वह जिस दल का उम्मीदवार होता है; उस दल का चुनाव चिन्ह अंकित होता है।
भारत में EVM का पहली बार इस्तेमाल मई 1982 में केरल के परूर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में हुआ था।
ईवीएम के विरोध का आधार
हमेशा से कुछ राजनीतिक दल ईवीएम के उपयोग को इसकी पारदर्शिता और विश्वसनीयता के आधार पर प्रतिबंधित करने की मांग करते रहे है।
- 17वीं लोकसभा के चुनाव में EVM के उपयोग के रोकने के लिए 22 विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया था।
- वर्ष 2006 में ईवीएम का इस्तेमाल करने वाले सबसे पुराने देशों में शामिल नीदरलैंड ने इसके उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया।
- वर्ष 2009 में जर्मनी की सर्वोच्च न्यायालय ने ईवीएम को गैर संवैधानिक घोषित किया था।
- इसके बाद इटली ने परिणामों के बदले जाने की आशंका को देखते हुए इसके उपयोग पर रोक लगा दी थी।
चुनाव आयोग ने EVM के हैक और उसमें धांधली होने के तमाम आरोपों को ख़ारिज करते हुए EVM के काम करने के सभी चरणों के बारे में जानकारी साझा की थी। विपक्षी दलों का मानना है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का इस्तेमाल कई देशों ने शुरू किया था, लेकिन इसकी सटीकता और सुरक्षा को लेकर इन मशीनों पर सवाल उठने के बाद यहाँ इनके उपयोग को रोक दिया गया।
ईवीएम के पक्ष में तर्क
ईवीएम चिप आधारित मशीन होती है; जिसे सिर्फ़ एक बार ही प्रोग्राम किया जा सकता है। उसी प्रोग्राम के माध्यम से उसमें डेटा संग्रहित किए जा सकते हैं। भारत के चुनावों में इस्तेमाल हो रही ईवीएम में इंटरनेट, ब्लूटूथ के जरिए छेड़छाड़ संभव नहीं है; क्योकि इसके डेटा की कहीं से किसी तरह की कनेक्टिविटी नहीं होती है; ये ईवीएम दूसरी मशीनों से अलग रखी जाती है।
इसके अलावा इन मशीनों में अब VVPAT को जोड़ा जाता है; जिसके माध्यम से मतदाता अपना मत प्रकट के तुरंत बाद यह जान सकता है; कि उसने किसे अपना मत दिया है।
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