वर्तमान में भारत के साथ लगभग पूरा विश्व COVID-19 या कोरोनावायरस महामारी की चपेट में है; लेकिन ऐसा नहीं है कि ऐसा भारत में पहली बार हुआ है। दरअसल भारत में महामारियों का इतिहास 1900 के दशक से ही रहा है।
भारत ने 1990 के दशक से कई महामारियों के प्रकोप देखे हैं जैसे कि सार्स का प्रकोप, स्वाइन फ्लू का प्रकोप और कोरोना का प्रकोप इत्यादि लेकिन इनमें कोई भी प्रकोप COVID-19 जैसा व्यापक और घातक नहीं था। आज COVID-19 के प्रकोप से हर कोई वाकिफ होगा; लेकिन ऐसे कई महामारियों है जो मनुष्य के जीवन को प्रभावित किया है।
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महामारी क्या होती है? (What is an Epidemic)
अक्सर हमें सामान्य बीमारी और महामारी में अंतर कर पाना मुश्किल हो जाता है। सबसे पहले हमें यह जान लेना जरुरी है कि महामारी क्या होती है? जब किसी रोग का प्रकोप सामान्य की अपेक्षा बहुत अधिक होता तो उसे महामारी कहते हैं। जैसे कि महामारी किसी एक स्थान, क्षेत्र या जनसंख्या के भूभाग पर सीमित होती है। यदि कोई बीमारी दूसरे देशों और दूसरे महाद्वीपों में भी फ़ैल जाए या एक ही समय दुनिया के अलग-अलग देशों में लोगों में फैल रही हो तो उसे महामारी कहते हैं। WHO ने अब कोरोना वायरस को पैनडेमिक यानी महामारी घोषित कर दिया है।
भारत में महामारियों का इतिहास
भारत में 1990 के दशक से भारत में फैले अब तक के प्रमुख महामारियों जिन्होंने मनुष्य जीवन को आर्थिक और सामाजिक बहुत नुकसान पहुंचाया है।
1. कोरोनावायरस (Coronavirus) :- 2019
कोरोनावायरस रोग से आज लगभग विश्व का कोई भी देश अछूता नहीं है। कोरोनावायरस रोग (COVID-19) एक नयी बीमारी है जो 2019 में चीन से शुरू हुई थी। लेकिन 2020 में यह पुरे विश्व में फ़ैल चुकी है; इसके संक्रमण के सामान्य संकेतों में श्वसन संबंधी लक्षण, बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ और सांस लेने में कठिनाई शामिल हैं। अधिक गंभीर मामलों में, संक्रमण निमोनिया, गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम, गुर्दे की विफलता और यहां तक कि मृत्यु का कारण बन सकता है। अब तक इससे 192 देशों में लगभग हज़ारो लोगों की मृत्यु हो चुकी है।
2. निपाह वायरस (Nipah Virus) :- 2018
मई 2018 में, केरल में चमगादड़ों के कारण संक्रमण शुरू हुआ था। वायरस के व्यापक प्रसार के कुछ दिनों के भीतर, राज्य सरकार ने वायरस के प्रसार को कम करने के लिए कई सुरक्षात्मक उपायों को लागू किये था। निवारक उपायों के कारण, जून के महीने तक केरल में इस पर अंकुश लग गया था; इस तरह यह महामारी ज्यादा नुक़सान नहीं पंहुचा पायी।
3. एन्सेफलाइटिस (Encephalitis) :- 2017
मच्छरों के काटने के कारण, 2017 में, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर में सैकड़ों बच्चों की मौत हो गयी थी। जापानी इंसेफेलाइटिस और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से इन बच्चों की मौत हो गई थी। इन दोनों वायरल संक्रमणों से मस्तिष्क की सूजन होती है; जिसके परिणामस्वरूप शारीरिक विकलांगता होती है और कुछ मामलों में मृत्यु भी हो जाती है।
4.स्वाइन फ्लू (Swine flu) :- 2014-2015
2014 के अंतिम महीनों के दौरान, H1V1 वायरस का प्रकोप बढ़ने लगा। स्वाइन फ्लू एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा वायरस है और 2014 में, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, महाराष्ट्र और तेलंगाना वायरस के कारण सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में से थे। मार्च 2015 तक कई सार्वजनिक जागरूकता अभियान के बाद भी, देश भर में लगभग 33,000 मामले सामने आए और लगभग 2000 लोगों ने अपनी जान गंवाई।
5. पीलिया (Jaundice) :- 2014 – 2015
ओडिशा में सितंबर 2014 में पीलिया का प्रकोप देखा गया था और इसका मुख्य कारण दूषित पानी था। रिपोर्टों के अनुसार, पीने के पानी की पाइपलाइनों में गन्दा पानी प्रवेश कर गया; जो कि इस बीमारी का कारण बना था।
6. हेपेटाइटिस (Hepatitis) :- 2009
आज भी कुछ सरकारी संस्थाओं के द्वारा हेपेटाइटिस का टीका लगाया जाता है। गुजरात में फरवरी 2009 में बहुत से लोग हेपेटाइटिस बी से संक्रमित थे जो संक्रमित रक्त और अन्य तरल पदार्थों के शरीर में संचरण के कारण फैला था। ऐसा माना जाता है कि गुजरात के स्थानीय डॉक्टरों ने दूषित और इस्तेमाल किए गए सिरिंज का प्रयोग किया था; जिसके कारण यह रोग फैला था।
7. डेंगू और चिकनगुनिया (Dengue and Chikungunya) :- 2006
डेंगू और चिकनगुनिया का प्रकोप 2006 से शुरू हुआ था और आजकल भी बारिश के मौसम में डेंगू होना का खतरा बढ़ जाता है। डेंगू और चिकनगुनिया का प्रकोप दोनों ही मच्छर जनित विशिष्ट रोग थे और देश के विभिन्न हिस्सों में पानी के ठहराव ने इन मच्छरों के लिए प्रजनन आधार प्रदान किया। इन्होने पूरे भारत में लोगों को प्रभावित किया था। इन प्रकोपों के कारण देश के कई हिस्से प्रभावित हुए और राष्ट्रीय राजधानी यानी दिल्ली में सबसे अधिक मरीज सामने आए थे।
8. सार्स (Sars) :- 2002 – 2004
21वीं सदी में, सार्स पहली गंभीर बीमारी थी जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाली थी।सार्स वायरस का प्रकोप 2002 से दिखना शुरू हुआ था जो कि कोरोना वायरस के परिवार का एक हिस्सा था। यह एक गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम (acute respiratory syndrome) था और सार्स का कारण COVID-19 के समान था; जिसे SARS CoV नाम दिया गया था। यह वायरस लगातार उत्परिवर्तन (mutations) के लिए जाना जाता था और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसी और छींकने के माध्यम से फैलता था।
9. प्लेग (Plague) :- 1994
सितंबर 1994 में, न्यूमोनिक प्लेग ने सूरत में दस्तक दी जिसके कारण बड़ी संख्या में लोग इस शहर को छोड़कर अन्य शहरों में भाग गये जिसके कारण यह भारत के अन्य शहरों में भी फ़ैल गया था। अफवाहों और गलत इलाज़ की अफवाहों ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया था। लोगों के सामानों की होर्डिग घर में कर ली जिससे अन्य लोगों के सामने खाद्य संकट पैदा हो गया था।
प्लेग का मुख्य कारण; शहर में खुली नालियों, खराब सीवेज प्रणाली आदि थी। हालांकि, सूरत की स्थानीय सरकार ने कचरा साफ किया और नालियों को खोला, और इस प्रकार प्लेग के फैलाव पर नियंत्रण पाया।
10. चेचक महामारी (Smallpox Epidemic):- 1974
चेचक, दो वायरस वेरिएंट में से किसी एक के कारण होता था: वैरियोला मेजर या वेरोला माइनर। रिपोर्टों के अनुसार, विश्व में चेचक के 60% मामले भारत में रिपोर्ट किए गए थे और दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में अधिक विषैले थे।
इस खतरनाक स्थिति से छुटकारा पाने के लिए, भारत ने राष्ट्रीय चेचक उन्मूलन कार्यक्रम (NSEP) शुरू किया था, लेकिन यह कार्यक्रम वांछित परिणाम प्राप्त करने में विफल रह था। इस भयावह स्थिति में भारत की मदद करने के लिए, सोवियत संघ के साथ WHO ने भारत को कुछ चिकित्सा सहायता भेजी और 1974 से शुरू हुआ; यह महामारी मार्च 1977 में भारत चेचक से मुक्त हुआ था।
11. फ्लू महामारी (Flu Pandemic):- 1968 – 1969
1968 में, फ्लू, इन्फ्लूएंजा ए वायरस के H3N2 स्ट्रेन के कारण हांगकांग में फैला और दो महीने के भीतर भारत पहुंच गया। वियतनाम युद्ध के बाद वियतनाम से लौट रहे अमेरिकी सैनिक इस वायरस के शिकार बन गए थे और इन महामारी से हज़ारों मौत हुई थी।
12. हैजा महामारी (Cholera pandemic):- 1961 – 1975
1817 के बाद से, विब्रियो कोलेरा (बैक्टीरिया का एक प्रकार) वैश्विक रूप से हैजा की महामारी का कारण बना। 5 साल की समयावधि के भीतर, यह वायरस एशिया के कुछ हिस्सों में फैल गया जहां से यह बांग्लादेश और भारत तक पहुंचा और 1961 से 1975 तक यह संक्रमण लाखों लोगो तक पहुंच गया था। कोलकाता में खराब जल संचय प्रणाली ने इस शहर को भारत में हैजा की महामारी का केंद्र बना दिया था; और भारत में इससे हज़ारों में मौत हुई थी।
13. स्पेनिश फ्लू (Spanish Flu) :- 1918 – 1920
‘स्पेनिश फ्लू’ वायरस सन 1918 में दस्तक दिया यह घातक महामारी में से एक था। जिस समय इस वायरस ने दुनिया में दस्तक दी थी उस समय दुनिया में इंसेफेलाइटिस लेटार्गिका अपना कहर वर्षा रही थी। यह एवियन इन्फ्लूएंजा के घातक स्ट्रेन के कारण शुरू हुआ और प्रथम विश्व युद्ध के कारण फैल गया था। भारत में, इस बीमारी को वे सैनिक लाये जो प्रथम विश्व युद्ध में लड़ाई लड़ने गये थे।
14. इंसेफेलाइटिस लेटार्गिका (Encephalitis Lethargica) :- 1915 – 1926
इसे सुस्त इंसेफेलाइटिस के रूप में भी जाना जाता है। यह एक पैनडेमिक थी और 1915 -1926 के बीच दुनिया भर में फैल गई थी। एन्सेफलाइटिस; एक तीव्र संक्रामक बीमारी थी; जिसका वायरस मानव के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर हमला करता था।
इस बीमारी की मुख्य विशेषताएं थी; बढ़ती हुई उदासीनता, उनींदापन और सुस्ती। यह नाक और मौखिक स्राव (nasal and oral secretions) से फैलता था। इंसेफेलाइटिस लेथार्गिका यूरोप में अपने महामारी रूप में था; लेकिन भारत में इसका प्रभाव इतना अधिक नहीं था।
ये थे भारत में महामारियों का इतिहास जिन्होंने 1990 के दशक के बाद से बहुत से लोगो को अपनी जान गवानी पड़ी। यदि उचित स्वच्छता और संयमित दिनचर्या अपनायी जाये तो इन में से कई रोगों को ठीक किया जा सकता है।