अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (International Financial Services Centers – IFSC) क्या है?
अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (International Financial Services Centers -IFSC) को किसी भी देश में स्थापित करने का प्रमुख लक्ष्य अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवाओं का विकास करना होता है। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफ़एससी) को किसी भी देश में अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों और व्यापार के विकास हेतु एक प्रवेश द्वार माना जाता है।
यह घरेलू अर्थव्यवस्था के क्षेत्राधिकार से बाहर के ग्राहकों की वित्तीय सेवाओं से संबन्धित आवश्यकताओं की पूर्ति करता है;। अर्थात IFSC उन वित्तीय सेवाओं और निवेश को भारत में वापस लाने में सक्षम बनाता है; जो वर्तमान में भारतीय कॉर्पोरेट संस्थाओं और विदेशी शाखाओं/वित्तीय संस्थानों की सहायक कंपनियों द्वारा भारत में व्यावसायिक और विनियामक स्थिति प्रदान करके प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान की तुलना में विश्व के अन्य वित्तीय केंद्रों जैसे – लंदन और सिंगापुर में किये जाते हैं।
गौरतलब है कि भारत का पहला अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) गुजरात के गांधीनगर में स्थापित किया गया है;। वर्तमान में आईएफ़एससी में बैंकिंग, पूंजी बाजार और बीमा क्षेत्रों को कई नियामकों, अर्थात्; आरबीआई, सेबी और आईआरडीएआई द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
हालिया मुद्दे
क. हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक, 2019 (International Financial Srvices Centres Authority Bill, 2019) के अंतर्गत भारत में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (International Financial Services Centres-IFSCs) के तहत सभी वित्तीय सेवाओं को विनियमित करने के लिये एक एकीकृत प्राधिकरण की स्थापना को मंज़ूरी दी है।
ख. हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन- आईओएससीओ (IOSCO) का सहयोगी सदस्य बन गया है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) को इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ इंश्योरेंस सपुरवाइजर्स (International Association of Insurance Supervisors -IAIS) की सदस्यता भी मिल चुकी है।