अनुच्छेद 123 (Article 123 in Hindi) – संसद के विश्रांतिकाल में अध्यादेश प्रख्यापित करने की राष्ट्रपति की शक्ति
(1) उस समय को छोड़कर जब संसद के दोनों सदन सत्र में हैं, यदि किसी समय राष्ट्रपति का यह समाधान हो जाता है कि ऐसी परिस्थितियाँ विद्यमान हैं जिनके कारण तुरंत कार्रवाई करना उसके लिए आवश्यक हो गया है तो वह ऐसे अध्यादेश प्रख्यापित कर सकेगा जो उसे उन परिस्थितियों में अपेक्षित प्रतीत हों।
(2) इस अनुच्छेद के अधीन प्रख्यापित अध्यादेश का वही बल और प्रभाव होगा जो संसद के अधिनियम का होता है, किन्तु प्रत्येक ऐसा अध्यादेश —
- संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखा जाएगा और संसद के पुनः समवेत होने से छह सप्ताह की समाप्ति पर या यदि उस अवधि की समाप्ति से पहले दोनों सदन उसके अननुमोदन का संकल्प पारित कर देते हैं तो, इनमें से दूसरे संकल्प के पारित होने पर प्रवर्तन में नहीं रहेगा; और
- राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय वापस लिया जा सकेगा।
(3) यदि और जहाँ तक इस अनुच्छेद के अधीन अध्यादेश कोई ऐसा उपबंध करता है जिसे अधिनियमित करने के लिए संसद इस संविधान के अधीन सक्षम नहीं है तो और वहाँ तक वह अध्यादेश शून्य होगा।
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संविधान के अनुच्छेद 123 के अनुसार, कार्यपालिका को यह अधिकार प्राप्त है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में अध्यादेश जारी कर सकती है। अध्यादेश तभी जारी किया जा सकता है जब संसद (या राज्य विधायिका) के दोनों सदनों में से कोई एक सदन सत्र में नहीं हो एवं राष्ट्रपति इस बात से संतुष्ट हो कि तत्काल कार्रवाई करना आवश्यक है।