अनुच्छेद 128 (Article 128 in Hindi) – उच्चतम न्यायालय की बैठकों में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की उपस्थिति
इस अध्याय में किसी बात के होते हुए भी, भारत का मुख्य न्यायाधीश, किसी भी समय, राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से किसी व्यक्ति से, जो उच्चतम न्यायालय या फेडरल न्यायालय के न्यायाधीश का पद धारण कर चुका है [या जो उच्च न्यायालय के न्यायाधीश का पद धारण कर चुका है और उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए सम्यक् रूप से अर्हित है,]* उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में बैठने और कार्य करने का अनुरोध कर सकेगा और प्रत्येक ऐसा व्यक्ति, जिससे इस प्रकार अनुरोध किया जाता है,
इस प्रकार बैठने और कार्य करने के दौरान, ऐसे भत्तों का हकदार होगा जो राष्ट्रपति आदेश द्वारा अवधारित करे और उसको उस न्यायालय के न्यायाधीश की सभी, अधिकारिता शक्तियाँ और विशेषाधिकार होंगे, किन्तु उसे अन्यथा उस न्यायालय का न्यायाधीश नहीं समझा जाएगा;
परन्तु जब तक यथापूर्वोक्त व्यक्ति उस न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में बैठने और कार्य करने की सहमति नहीं दे देता है तब तक इस अनुच्छेद की कोई बात उससे ऐसा करने की अपेक्षा करने वाली नहीं समझी जाएगी।
अनुच्छेद 128 – सेवानिवृत्त न्यायाधीश
भारत का मुख्य न्यायाधीश किसी भी समय उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश (जो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के योग्य है) से अनुरोध कर सकता है कि वह अस्थायी अवधि के लिये सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य करे।
ऐसा नियुक्त किये जाने वाले व्यक्ति एवं राष्ट्रपति की पूर्व सहमति होने पर ही किया जा सकता है।
- ऐसा न्यायाधीश राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित भत्ते प्राप्त करने के योग्य होता है। वह सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की तरह न्यायनिर्णयन, शक्तियों एवं विशेषाधिकारों को प्राप्त करेगा किंतु वह उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नहीं माना जाएगा।