अनुच्छेद 178 (Article 178 in Hindi) – विधानसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
प्रत्येक राज्य की विधानसभा, यथाशक्य शीघ्र, अपने दो सदस्यों को अपना अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनेगी और जब-जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष का पद रिक्त होता है तब-तब विधानसभा किसी अन्य सदस्य को, यथास्थिति, अध्यक्ष या उपाध्यक्ष चुनेगी।
अनुच्छेद 178 : विधानसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 93 लोकसभा के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष की नियुक्ति का प्रावधान करता है, वहीं संविधान का अनुच्छेद 178 विधानसभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष की नियुक्ति के संबंध में प्रावधान करता है।
विधान सभाध्यक्ष के कर्त्तव्य और अधिकार
विधानसभा अध्यक्ष राज्य विधायिका का एक प्रमुख अंग होता है। विधानसभा के परिसर में उसका प्राधिकार सर्वोच्च है।
राज्यों की विधायिका विधानसभा के लिये निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से गठित होती है। इन जनप्रतिनिधियों को विधायक कहा जाता है।
- विधानसभा की कार्यवाही को सुचारु रूप से संचालित करने के लिये एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष का प्रावधान संविधान में है।
- विधानसभा का गठन होने के बाद उसके प्रथम सत्र में ही विधानसभा सदस्यों द्वारा विधानसभा अध्यक्ष चुना जाता है।
- अध्यक्ष के अलावा विधानसभा के सदस्य उपाध्यक्ष का चुनाव भी करते हैं; जो अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उसका कार्यभार संभालता है।
विधानसभा अध्यक्ष के प्रमुख कार्यों में वही सब कार्य आते हैं; जो लोकसभा अध्यक्ष करता है, जैसे-
- सदन में अनुशासन बनाए रखना
- सदन की कार्यवाही का सुचारु रूप से संचालन करना
- सदस्यों को बोलने की अनुमति प्रदान करना
- पक्ष और विपक्ष में समान मत आने पर निर्णायक मत प्रदान करना
पीठासीन अधिकारी यानी विधानसभा अध्यक्ष विधानसभा एवं विधानसभा सचिवालय का प्रमुख होता है, जिसे संविधान, प्रक्रिया, नियमों एवं स्थापित संसदीय परंपराओं के तहत व्यापक अधिकार प्राप्त होते हैं।