अनुच्छेद 212 (Article 212 in Hindi) – न्यायालयों द्वारा विधान-मंडल की कार्यवाहियों की जाँच न किया जाना
(1) राज्य के विधान-मंडल की किसी कार्यवाही की विधिमान्यता को प्रक्रिया की किसी अभिकथित अनियमितता के आधार पर प्रश्नगत नहीं किया जाएगा।
(2) राज्य के विधान-मंडल का कोई अधिकारी या सदस्य, जिसमें इस संविधान द्वारा या इसके अधीन उस विधान-मंडल में प्रक्रिया या कार्य संचालन का विनियमन करने की अथवा व्यवस्था बनाए रखने की शक्तियाँ निहित हैं, उन शक्तियों के अपने द्वारा प्रयोग के विषय में किसी न्यायालय की अधिकारिता के अधीन नहीं होगा।
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- हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम, 1970 (1970 का 53) की धारा 46 द्वारा (25-1-1971 से) अंतःस्थापित।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम, 1971 (1971 का 81) की धारा 71 द्वारा (21-1-1972 से) ” हिमाचल प्रदेश राज्य के विधान-मंडल” के स्थान पर प्रतिस्थापित।
- मिजोरम राज्य अधिनियम, 1986 (1986 का 34) की धारा 39 द्वारा (20-2-1987 से) अंतःस्थापित।
- अरुणाचल प्रदेश राज्य अधिनियम, 1986 (1986 का 69) की धारा 42 द्वारा (20-2-1987 से) ” मिजोरम राज्य के विधान-मंडल” के स्थान पर प्रतिस्थापित।
- गोवा, दमण और दीव पुनर्गठन अधिनियम, 1987 (1987 का 18) की धारा 63 द्वारा (30-5-1987 से) ” अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम” के स्थान पर प्रतिस्थापित।
अनुच्छेद 212 – न्यायालयों द्वारा विधान-मंडल की कार्यवाहियों की जाँच न किया जाना
संविधान के अनुच्छेद 212 के अंतर्गत, राज्य के विधान-मंडल की किसी कार्यवाही की जाँच न्यायलय द्वारा नहीं किया जा सकता है।