अनुच्छेद 33 (Article 33 in Hindi) – इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों का, बलों आदि को लागू होने में, उपांतरण करने की संसद की शक्ति
संसद, विधि द्वारा, अवधारण कर सकेगी कि इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों में से कोई,–
- (क) सशस्त्र बलों के सदस्यों को, या
- (ख) लोक व्यवस्था बनाए रखने का भारसाधन करने वाले बलों के सदस्यों को, या
- (ग) आसूचना या प्रति आसूचना के प्रयोजनों के लिए राज्य द्वारा स्थापित किसी ब्यूरो या अन्य संगठन में नियोजित व्यक्तियों को, या
- (घ) खंड (क) से खंड (ग) में निर्दिष्ट किसी बल, ब्यूरो या संगठन के प्रयोजनों के लिए स्थापित दूरसंचार प्रणाली में या उसके संबंध में नियोजित व्यक्तियों को,
लागू होने में, किस विस्तार तक निर्बन्धित या निराकृत किया जाए जिससे उनके कर्तव्यों का उचित पालन और उनमें अनुशासन बना रहना सुनिश्चित रहे।
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अनुच्छेद 33, संविधान के भाग तीन का अपवाद गठित करता है। अनुच्छेद 13 (2), यह उपबन्धित करता है कि राज्य कोई भी ऐसी विधि नहीं बनायेगा जो भाग 3 द्वारा प्रदत्त मूल अधिकारों (Fundamental Rights) को छीनती है या न्यून करती है, किन्तु अनुच्छेद 33, संसद को यह शक्ति प्रदान करता है कि वह कुछ विशिश्ट वर्गो के सम्बन्ध में विशिश्ट प्रयोजनों की पूर्ति हेतु मूल अधिकारों (Fundamental Rights) को निबन्र्धित या निराकृत करने वाली विधि बना सकती है।
ध्यातव्य है कि अनुच्छेद 33 के अन्तर्गत केवल संसद को विधि बनाने की शक्ति दी गयी है राज्य विधानमण्डलों को नहीं।
अनुच्छेद 33 (Article 33 in Hindi)
यह संसद को यह अधिकार देता है कि वह सशस्त्र बलों, अर्द्धसैनिक बलों, पुलिस बलों, खुफिया एजेंसियों और अन्य के मौलिक अधिकारों को युक्तियुक्त प्रतिबंधित कर सके।
- इस प्रावधान का उद्देश्य उनके समुचित कार्य करने एवं उनके बीच अनुशासन को बनाए रखना है।
- अनुच्छेद 33 के तहत कानून बनाने का अधिकार सिर्फ संसद को है न कि राज्य विधानमंडल को।
- संसद द्वारा बनाए गए कानून को किसी न्यायालय में किसी मौलिक अधिकार के उल्लंघन के संबंध में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
- सैन्य बलों के सदस्यों की अभिव्यक्ति का अभिप्राय है इसमें वे कर्मचारी भी शामिल हैं जो सेना में नाई, बढ़ई, मैकेनिक, बावर्ची, चौकीदार, बूट बनाने वाला, दर्जी आदि का कार्य करते हैं।