अनुच्छेद 79 (Article 79 in Hindi) – संसद का गठन
संघ के लिए एक संसद होगी जो राष्ट्रपति और दो सदनों से मिलकर बनेगी जिनके नाम राज्य सभा और लोकसभा होंगे।
अनुच्छेद 79 (Article 79 in Hindi) – संसद
अनुच्छेद 79 के अनुसार, संघ के लिये एक संसद होगी, जो राष्ट्रपति और दो सदनों से मिलकर बनेगी। भारतीय संविधान, लोकसभा और राज्यसभा को कुछ अपवादों को छोड़कर कानून निर्माण की शक्तियों में समान अधिकार देता है।
- संसद की जननी ब्रिटेन को कहा जाता है।
- Parliament शब्द फ्रांस से लिया गया है।
- इसका वास्तुकार एडविन लुटियन तथा बेकर्ड थे।
- संसद के 3 अंग होते हैं-
- लोक सभा,
- राज्य सभा और
- राष्ट्रपति।
यह सरकार के संसदीय स्वरूप (सरकार के ‘वेस्टमिंस्टर’ मॉडल) को अपनाने के कारण भारतीय लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था में प्रमुख और केंद्रीय स्थान रखता है।
संसद (अनुच्छेद 79) की शक्तियाँ/कार्य
संसद केंद्र सरकार का विधायी अंग है और भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। Parliament की मुख्यतः निम्न कार्य है-
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विधायी कार्य
केवल संसद ही संघ सूची के विषयों पर कानून बना सकती है। राज्य विधानमंडलों के साथ संसद को समवर्ती सूची पर कानून बनाने का अधिकार है।
- जिन विषयों का किसी सूची में उल्लेख नहीं है, उनकी अवशिष्ट शक्तियाँ Parliament में निहित होती हैं।
वित्तीय कार्य
यह जनता के धन का संरक्षक है। सरकार Parliament की मंज़ूरी के बिना न तो जनता पर कोई कर लगा सकती है और न ही पैसा खर्च कर सकती है।
- बजट को हर साल संसद द्वारा अनुमोदित किया जाता है।
चुनावी कार्य
यह भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेती है और उपराष्ट्रपति का चुनाव भी करती है।
- लोकसभा अपने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव करती है तथा राज्यसभा अपने उपसभापति का चुनाव करती है।
पदच्युत करनेे की शक्ति
कुछ उच्च पदाधिकारियों को संसद की पहल पर पद से हटाया जा सकता है।
- यह संविधान के उल्लंघन के लिये महाभियोग के माध्यम से राष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को हटा सकती है।
संविधान में संशोधन
संविधान के अधिकांश हिस्सों में संसद (अनुच्छेद 79) द्वारा विशेष बहुमत से संशोधन किया जा सकता है।
- कुछ प्रावधानों में केवल राज्यों के अनुमोदन से संसद द्वारा संशोधन किया जा सकता है।
- Parliament संविधान के मूल ढाँचे को नहीं बदल सकती है।
कार्यपालिका शक्ति
संसद प्रश्नकाल, शून्यकाल, ध्यानाकर्षण सूचना, स्थगन प्रस्ताव आदि के माध्यम से कार्यपालिका पर नियंत्रण रखती है।
- सरकार हमेशा इन प्रस्तावों को बहुत गंभीरता से लेती है क्योंकि सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की जाती है
- और अंततः मतदाताओं पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव का सामना सरकार को करना पड़ता है।