अनुच्छेद 80 (Article 80 in Hindi) – राज्यसभा की संरचना
(1) राज्य सभा –
- (क) राष्ट्रपति द्वारा खंड (3) के उपबंधों के अनुसार नामनिर्देशित किए जाने वाले 12 सदस्यों, और
- (ख) राज्यों के और संघ राज्यक्षेत्रों के 238 से अनधिक प्रतिनिधियों, से मिलकर बनेगी।
(2) राज्यसभा में राज्यों के और संघ राज्यक्षेत्रों के तिनिधियों द्वारा भरे जाने वाले स्थानों का आबंटन चौथी अनुसूची में इस निमित्त अंतर्विष्ट उपबंधों के अनुसार होगा।
(3) राष्ट्रपति द्वारा खंड (1) के उपखंड (क) के अधीन नामनिर्देशित किए जाने वाले सदस्य ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्हें निम्नलिखित विषयों के संबंध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव है, अर्थात् : —
- साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा।
(4) राज्य सभा में प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधियों का निर्वाचन उस राज्य की विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा किया जाएगा।
(5) राज्य सभा में संघ राज्यक्षेत्रों के प्रतिनिधि ऐसी रीति से चुने जाएँगे जो संसद विधि द्वारा विहित करे।
अनुच्छेद 80 (Article 80 in Hindi) – राज्यसभा
अनुच्छेद 80 के अनुसार, राज्यसभा की संरचना का वर्णन है। इसे उच्च सदन भी कहा जाता है। इसके बारे में —
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राज्यसभा (राज्यों की परिषद)
- यह उच्च सदन (द्वितीय सदन) है और यह भारतीय संघ के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करता है।
- राज्यसभा को संसद का स्थायी सदन कहा जाता है क्योंकि यह कभी भी पूरी तरह से भंग नहीं होती है।
- भारतीय संविधान की अनुसूची IV राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिये राज्यसभा में सीटों के आवंटन से संबंधित है।
राज्यसभा (अनुच्छेद 80) की संरचना
राज्यसभा सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 है, जिनमें से 238 सदस्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधि होए हैं (अप्रत्यक्ष रूप से चुने गए) और 12 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होते हैं।
- वर्तमान में राज्यसभा में 245 सदस्य हैं, 229 सदस्य राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं एवं 4 सदस्य केंद्रशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करते हैं। साथ ही 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित किये गए हैं।
राज्यसभा में प्रतिनिधियों का चुनाव
राज्यों के प्रतिनिधियों का चुनाव राज्य विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा किया जाता है।
- राज्यसभा में प्रत्येक केंद्रशासित प्रदेश के प्रतिनिधि इस उद्देश्य के लिये विशेष रूप से गठित एक निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं।
- केवल तीन केंद्रशासित प्रदेशों (दिल्ली, पुद्दुचेरी और जम्मू-कश्मीर) का राज्यसभा में प्रतिनिधित्व है।
- राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य वे होते हैं जिन्हें कला, साहित्य, विज्ञान और समाज सेवा में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव होता है।
- इसके पीछे तर्क यह है कि बिना चुनाव हुए प्रतिष्ठित व्यक्तियों को सदन में जगह दी जाए।
राज्यसभा में कार्य
लोकसभा द्वारा शुरू किये गए कानूनों की समीक्षा करने और उन्हें बदलने में राज्यसभा की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
- यह कानून बनाने की प्रक्रिया शुरू कर सकती है और कानून बनाने के लिये राज्यसभा से एक विधेयक पारित करने की आवश्यकता होती है।
राज्यसभा (अनुच्छेद 80) की शक्ति
राज्य से संबंधित मामले:
- राज्यसभा राज्यों को प्रतिनिधित्व प्रदान करती है। इसलिये राज्यों को प्रभावित करने वाले किसी भी मामले को उसकी सहमति और अनुमोदन के लिये उसके पास भेजा जाना चाहिये।
- यदि केंद्रीय संसद किसी मामले को राज्य सूची से हटाना/स्थानांतरित करना चाहती है, तो राज्यसभा का अनुमोदन आवश्यक है।
राज्यसभा चुनाव में भाग लेने के लिए योग्यता
वह भारत का नागरिक होना चाहिये और उसकी आयु कम से कम 30 वर्ष होनी चाहिये।
- उसे यह कहते हुए शपथ या प्रतिज्ञान करना चाहिये कि वह भारत के संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखेगा।
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार, उसे उस राज्य में मतदाता के रूप में पंजीकृत होना चाहिये, जहाँ से वह राज्यसभा के लिये चुनाव की मांग कर रहा है।
- हालाँकि वर्ष 2003 में यह घोषणा करते हुए एक प्रावधान किया गया था कि कोई भी भारतीय नागरिक किसी भी राज्यसभा का चुनाव लड़ सकता है, चाहे वह किसी भी अन्य राज्य में रहता हो।
राज्य सभा चुनाव में अयोग्यताएँ
संवैधानिक आधार पर:
- यदि वह केंद्र या राज्य सरकार के तहत लाभ का कोई पद धारण करता है ( मंत्री या संसद द्वारा छूट प्राप्त किसी अन्य कार्यालय को छोड़कर)।
- यदि वह विकृत मानसिकता का है और अदालत द्वारा ऐसा घोषित किया गया है।
- अगर वह घोषित दिवालिया है।
- यदि वह भारत का नागरिक नहीं है।
- यदि वह संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून के तहत अयोग्य है।
वैधानिक आधार पर
- यदि चुनाव में कुछ चुनावी अपराधों/भ्रष्ट आचरणों का दोषी पाया गया।
- किसी भी अपराध के लिये दोषी ठहराया गया जिसके परिणामस्वरूप दो या अधिक वर्षों के लिये कारावास हो
- भ्रष्टाचार या राज्य के प्रति वफादारी न करने के लिये सरकारी सेवा से बर्खास्त कर दिया गया हो।
- विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने या रिश्वतखोरी के अपराध के लिये दोषी ठहराया गया हो।
- अस्पृश्यता, दहेज और सती जैसे सामाजिक अपराधों के प्रचार और अभ्यास के लिये दंडित किया गया हो।
राज्य सभा सदस्य का कार्यकाल
राज्यसभा के प्रत्येक सदस्य का छह वर्ष का सुरक्षित कार्यकाल होता है।
- इसके एक-तिहाई सदस्य हर दो साल बाद सेवानिवृत्त होते हैं।
- वे सदस्यता के लिये फिर से चुनाव लड़ने के हकदार हैं।
राज्यसभा के अधिकारी
- भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। वह राज्यसभा की बैठकों की अध्यक्षता करता है।
- उसकी अनुपस्थिति में उपसभापति (सदस्यों द्वारा आपस में से निर्वाचित) सदन की बैठक की अध्यक्षता करता है।