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अनुच्छेद- 81 | भारत का संविधान

Times Darpan
Last updated: 2022-02-16 01:06
By Times Darpan 2.4k Views
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8 Min Read
अनुच्छेद 52-151

अनुच्छेद 81 (Article 81 in Hindi) – लोकसभा की संरचना

Contents
अनुच्छेद 81 (Article 81 in Hindi) – लोकसभालोकसभा (लोगों का सदन)लोकसभा (अनुच्छेद 81) की संरचनालोकसभा में प्रतिनिधियों का चुनावलोकसभा में कार्यलोकसभा (अनुच्छेद 81) की शक्तियाँलोकसभा (अनुच्छेद 81) चुनाव में भाग लेने के लिए योग्यतालोक सभा चुनाव में अयोग्यताएँलोक सभा सदस्य का कार्यकाललोक सभा (अनुच्छेद 81) के अधिकारी

(1) अनुच्छेद 331 के उपबंधों के अधीन रहते हुए लोकसभा–

  • (क) राज्यों में प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने गए पाँच सौ तीस से अनधिक सदस्यों, और
  • (ख) संघ राज्यक्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने के लिए ऐसी रीति से, जो संसद‌ विधि द्वारा उपबंधित करे, चुने हुए बीस से अधिक सदस्यों, से मिलकर बनेगी।

(2) खंड (1) के उपखंड (क) के प्रयोजनों के लिए,–

  • (क) प्रत्येक राज्य को लोकसभा में स्थानों का आबंटन ऐसी रीति से किया जाएगा कि स्थानों की संख्‍या से उस राज्य की जनसंख्‍या का अनुपात सभी राज्यों के लिए यथासाध्य एक ही हो, और
  • (ख) प्रत्येक राज्य को प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों में ऐसी रीति से विभाजित किया जाएगा कि प्रत्येक निर्वाचन-क्षेत्र की जनसंख्‍या का उसको आबंटित स्थानों की संख्‍या से अनुपात समस्त राज्य में यथासाध्य एक ही हो :
    • परन्तु इस खंड के उपखंड (क) के उपबंध किसी राज्य को लोकसभा में स्थानों के आबंटन के प्रयोजन के लिए तब तक लागू नहीं होंगे जब तक उस राज्य की जनसंख्‍या साठ लाख से अधिक नहीं हो जाती है।

(3) इस अनुच्छेद में, ”जनसंख्‍या” पद से ऐसी अंतिम पूर्ववर्ती जनगणना में अभिनिश्चित की गई जनसंख्‍या अभिप्रेत है जिसके सुसंगत आँकड़े प्रकाशित हो गए हैं;

परन्तु इस खंड में अंतिम पूर्ववर्ती जनगणना के प्रति, जिसके सुसंगत आँकड़े प्रकाशित हो गए हैं, निर्देश का, जब तक (सन 2026) के पश्चात्‌ की गई पहली जनगणना के सुसंगत आँकड़े प्रकाशित नहीं हो जाते हैं, यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह, —

  • खंड (2) के उपखंड (क) और उस खंड के परन्तुक के प्रयोजनों के लिए 1971 की जनगणना के प्रति निर्देश है; और
  • खंड (2) के उपखंड (ख) के प्रयोजनों के लिए 2001 की जनगणना के प्रतिनिर्देश है।

अनुच्छेद 81 (Article 81 in Hindi) – लोकसभा

अनुच्छेद 81 के अनुसार, लोकसभा की संरचना का वर्णन है। इसे निम्न सदन तथा युवाओं का सदन भी कहा जाता है। इसके बारे में —

[contents h3]

लोकसभा (लोगों का सदन)

  • यह निचला सदन (प्रथम सदन या लोकप्रिय सदन है और समग्र रूप से भारत के लोगों का प्रतिनिधित्व करता है।

लोकसभा (अनुच्छेद 81) की संरचना

लोकसभा सदस्यों की अधिकतम संख्या 550 निर्धारित की गई है, जिसमें से 530 सदस्य राज्यों और 20 सदस्य केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधि होते हैं।

  • वर्तमान में लोकसभा में 543 सदस्य हैं, जिसमें से 530 सदस्य राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं और 13 केंद्रशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • इससे पहले राष्ट्रपति ने एंग्लो-इंडियन समुदाय के दो सदस्यों को भी नामित किया था, लेकिन 95वें संशोधन अधिनियम, 2009 द्वारा यह प्रावधान केवल 2020 तक ही मान्य था।

लोकसभा में प्रतिनिधियों का चुनाव

राज्यों के प्रतिनिधि सीधे राज्यों के क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों के लोगों द्वारा चुने जाते हैं।

  • केंद्रशासित प्रदेश (लोगों के सदन का प्रत्यक्ष चुनाव) अधिनियम, 1965 के अनुसार, केंद्रशासित प्रदेशों में लोकसभा के सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है।
  • इससे पहले राष्ट्रपति ने एंग्लो-इंडियन समुदाय के दो सदस्यों को भी नामित किया था

लोकसभा में कार्य

लोकसभा के सबसे महत्त्वपूर्ण कार्यों में से एक कार्यपालिका का चयन करना है; व्यक्तियों का एक समूह जो संसद द्वारा बनाए गए कानूनों को लागू करने के लिये मिलकर कार्य करता है।

  • जब हम सरकार शब्द का प्रयोग करते हैं तो कार्यपालिका अक्सर हमारे दिमाग में आती है।

लोकसभा (अनुच्छेद 81) की शक्तियाँ

संयुक्त बैठक में निर्णय

  • किसी भी सामान्य कानून को दोनों सदनों द्वारा पारित करने की आवश्यकता होती है।
  • हालाँकि दोनों सदनों के बीच किसी भी मतभेद की स्थिति में दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को बुलाकर अंतिम निर्णय लिया जाता है।
  • अधिक संख्या में होने के कारण ऐसी बैठक में लोकसभा की राय प्रबल होने की संभावना है।

धन से जुड़े मामलों में शक्ति

धन से जुड़े मामलों में लोकसभा के पास अधिक शक्तियाँ होती हैं।  एक बार जब लोकसभा सरकार का बजट या किसी अन्य धन संबंधी कानून को पारित कर देती है, तो राज्यसभा इसे अस्वीकार नहीं कर सकती है।

  • राज्यसभा इसमें केवल 14 दिनों की देरी कर सकती है या इसमें बदलाव का सुझाव दे सकती है; हालाँकि लोकसभा इन परिवर्तनों को स्वीकृत अथवा अस्वीकृत कर सकती है।

मंत्रिपरिषद से जुड़ी शक्ति

लोकसभा मंत्रिपरिषद को नियंत्रित करती है।

  • यदि लोकसभा के अधिकांश सदस्य मंत्रिपरिषद में ‘अविश्वास’ जाहिर करते हैं; तो तो प्रधानमंत्री सहित सभी मंत्रियों को पद छोड़ना होगा।
  •  राज्यसभा के पास यह शक्ति नहीं है।

लोकसभा (अनुच्छेद 81) चुनाव में भाग लेने के लिए योग्यता

उसकी आयु 25 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिये।

  • उसे शपथ या प्रतिज्ञान के माध्यम से घोषित करना चाहिये कि वह संविधान के प्रति सच्चा विश्वास और निष्ठा रखता है तथा भारत की संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखेगा।
  • उसके पास ऐसी अन्य योग्यताएँ होनी चाहिये जो संसद ने कानून द्वारा निर्धारित की हैं; और उसे भारत के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता के रूप में पंजीकृत होना चाहिये।
  • आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने वाला व्यक्ति अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति, जिसके लिये भी आरक्षण लागू होता हो, से संबंधित होना चाहिये।

लोक सभा चुनाव में अयोग्यताएँ

संवैधानिक आधार पर:

  • यदि वह केंद्र या राज्य सरकार के तहत लाभ का कोई पद धारण करता है; ( मंत्री या संसद द्वारा छूट प्राप्त किसी अन्य कार्यालय को छोड़कर)।
  • यदि वह विकृत मानसिकता का है और अदालत द्वारा ऐसा घोषित किया गया है।
  • अगर वह घोषित दिवालिया है।
  • यदि वह भारत का नागरिक नहीं है।
  • यदि वह संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून के तहत अयोग्य है।

लोक सभा सदस्य का कार्यकाल

लोकसभा का सामान्य कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है। लेकिन राष्ट्रपति, मंत्रिपरिषद की सलाह पर पाँच साल की समाप्ति से पहले इसे भंग किया जा सकता है।

  • राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में इसकी अवधि एक बार में एक वर्ष के लिये बढ़ाई जा सकती है; लेकिन यह आपातकाल समाप्त होने के बाद छह महीने से अधिक नहीं होगा।

लोक सभा (अनुच्छेद 81) के अधिकारी

लोकसभा के पीठासीन अधिकारी को लोकसभा अध्यक्ष के रूप में जाना जाता है।

  • वह लोकसभा के भंग होने के बाद भी अध्यक्ष बना रहता है; जब तक कि अगला सदन उसके स्थान पर एक नए अध्यक्ष का चुनाव नहीं कर लेता।
  • अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष (सदन द्वारा निर्वाचित) बैठकों की अध्यक्षता करता है।
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