भारतीय संविधान (Articles of Constitution of India in Hindi) दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है इसमे 25 भागों और 12 अनुसूचियों में 449 अनुच्छेद शामिल हैं और इसे कुल 101 बार संशोधित किया गया है। यह देश का सर्वोच्च कानून है और यह मौलिक अधिकारों, निर्देशक सिद्धांतों और नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों को निर्धारित करते हुए मौलिक राजनीतिक संहिता, संरचना, प्रक्रियाओं, शक्तियों और सरकारी संस्थानों के कर्तव्यों की रूपरेखा तैयार करता है।
संविधान क्या है?
संविधान एक लिखित दस्तावेज है जिसमें सरकार के लिए नियमों का एक समूह होता है। यह सरकार की संरचना, प्रक्रियाओं, शक्तियों और कर्तव्यों को स्थापित करने वाले मौलिक राजनीतिक सिद्धांतों को परिभाषित करता है। यह शोषण को रोकने के लिए सरकार की शक्ति को सीमित करता है और लोगों को कुछ अधिकारों की गारंटी देता है। शब्द संविधान किसी भी समग्र कानून पर लागू किया जा सकता है जो सरकार के कामकाज को परिभाषित करता है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
स्वतंत्रता मिलने के साथ ही भारत के लिए एक संविधान की आवश्यकता महसूस हुई। यहां इसको अमल में लाने के उद्देश्य से 1946 में एक संविधान सभा का गठन किया गया और 26 जनवरी, 1950 को संविधान अस्तित्व में आया।
यह पढ़ें :- संवैधानिक विकास का चरण – ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारतीय संविधान के तहत अनुच्छेद (Articles of Constitution of India in Hindi)
संघ का नाम और राज्यक्षेत्र (अनुच्छेद-1 से अनुच्छेद- 4)
- अनुच्छेद 1 : संघ का नाम और राज्यक्षेत्र
- अनुच्छेद 2 : नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना
- अनुच्छेद 3 : नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन
- अनुच्छेद-4 : नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के के लिए अनुच्छेद 2 और अनुच्छेद 3 के अधीन बनाई गई विधियाँ
नागरिकता (अनुच्छेद-5 से अनुच्छेद-11)
- अनुच्छेद-5 : संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता
- अनुच्छेद-6 : पाकिस्तान से भारत को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार
- अनुच्छेद-7 : पाकिस्तान को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार
- अनुच्छेद-8 : भारत के बाहर रहने वाले भारतीय उद्भव के कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार
- अनुच्छेद-9 : विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित करने वाले व्यक्तियों का नागरिक न होना
- अनुच्छेद-10 : नागरिकता के अधिकारों का बना रहना
- अनुच्छेद-11 : संसद द्वारा नागरिकता के अधिकार का विधि द्वारा विनियमन किया जाना
मूल अधिकार (अनुच्छेद-12 से अनुच्छेद-35)
- अनुच्छेद-12 : मौलिक अधिकार परिभाषा
- अनुच्छेद-13 : मूल अधिकारों से असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाली विधियाँ
- अनुच्छेद 14 : विधि के समक्ष समता
- अनुच्छेद 15 : धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध
- अनुच्छेद 16 : लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता
- अनुच्छेद 17 : अस्पृश्यता का अंत
- अनुच्छेद 18 : उपाधियों का अंत
- अनुच्छेद 19 : वाक्-स्वातंत्र्य आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण
- अनुच्छेद 20 : अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण
- अनुच्छेद 21 : प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण
- अनुच्छेद 22 : कुछ दशाओं में गिरपतारी और निरोध से संरक्षण
- अनुच्छेद 23 : मानव के दुर्व्यापार और बलात्श्रम का प्रतिषेध
- अनुच्छेद 24 : कारखानों आदि में बालकों के नियोजन का प्रतिषेध
- अनुच्छेद 25 : अंतःकरण की और धर्म की अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 26 : धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 27 : किसी विशिष्ट धर्म की अभिवृद्धि के लिए करों के संदाय के बारे में स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 28 : कुछ शिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के बारे में स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 29 : अल्पसंख्यक-वर्गों के हितों का संरक्षण
- अनुच्छेद 30 : शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक-वर्गों का अधिकार
- अनुच्छेद 31 : संपत्ति का अनिवार्य अर्जन
- अनुच्छेद 32 : संवैधानिक उपचारों का अधिकार
- अनुच्छेद 33 : इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों का, बलों आदि को लागू होने में, उपांतरण करने की संसद की शक्ति
- अनुच्छेद 34 : जब किसी क्षेत्र में सेना विधि प्रवृत्त है तब इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों पर निर्बन्धन
- अनुच्छेद 35 : इस भाग के उपबंधों को प्रभावी करने के लिए विधान
राज्य के नीति निर्देशक तत्व (अनुच्छेद-36 से अनुच्छेद-51)
- अनुच्छेद 36 : राज्य निति-निर्देशक तत्व – परिभाषा
- अनुच्छेद 37 : इस भाग में अंतर्विष्ट तत्त्वों का लागू होना अर्थात न्यायलाय मे विवाद योग्य नहीं
- अनुच्छेद 38 : राज्य लोक कल्याण की अभिवृद्धि के लिए सामाजिक व्यवस्था बनाएगा
- अनुच्छेद 39 : राज्य द्वारा अनुसरणीय कुछ नीति तत्त्व ( राज्य पुरुष और स्त्री सभी नागरिकों को समान रूप से जीविका के पर्याप्त साधन)
- अनुच्छेद 40 : ग्राम पंचायतों का संगठन
- अनुच्छेद 41 : कुछ दशाओं में काम, शिक्षा और लोक सहायता पाने का अधिकार
- अनुच्छेद 42 : काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं का तथा प्रसूति सहायता का उपबंध
- अनुच्छेद 43 : कर्मकारों के लिए निर्वाह मजदूरी आदि
- अनुच्छेद 44 : नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता
- अनुच्छेद 45 : बालकों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का उपबंध
- अनुच्छेद 46 : अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य दुर्बल वर्गों के शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की अभिवृद्धि
- अनुच्छेद 47 : पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊँचा करने तथा लोक स्वास्नय का सुधार करने का राज्य का कर्तव्य
- अनुच्छेद 48 : कृषि और पशुपालन का संगठन
- अनुच्छेद 49 : राष्ट्रीय महत्व के संस्मारकों, स्थानों और वस्तुओं का संरक्षण
- अनुच्छेद 50 : कार्यपालिका से न्यायपालिका का पृथक्करण
- अनुच्छेद 51 : अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि
मूल कर्तव्य (अनुच्छेद-51क)
राष्टपति और उप-राष्टपति (अनुच्छेद-52 से अनुच्छेद-73)
- अनुच्छेद 52 : भारत का राष्ट्रपति
- अनुच्छेद 53 : संघ की कार्यपालिका शक्ति
- अनुच्छेद 54 : राष्ट्रपति का निर्वाचन
- अनुच्छेद 55 : राष्ट्रपति के निर्वाचन की रीति (कोटा)
- अनुच्छेद 56 : राष्ट्रपति की पदावधि
- अनुच्छेद 57 : पुनर्निर्वाचन के लिए पात्रता
- अनुच्छेद 58 : राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिए योग्यता
- अनुच्छेद 59 : राष्ट्रपति के पद के लिए शर्तें
- अनुच्छेद 60 : राष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
- अनुच्छेद 61 : राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया
- अनुच्छेद 62 : राष्ट्रपति के पद में रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन करने का समय और आकस्मिक रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति की पदावधि
- अनुच्छेद 63 : भारत का उपराष्ट्रपति
- अनुच्छेद 64 : उपराष्टपति का राज्यसभा का पदेन सभापति होना
- अनुच्छेद 65 : राष्ट्रपति के पद में आकस्मिक रिक्ति के दौरान या उसकी अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति का राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना या उसके कृत्यों का निर्वहन
- अनुच्छेद 66 : उपराष्ट्रपति का निर्वाचन
- अनुच्छेद 67 : उपराष्ट्रपति की पदावधि
- अनुच्छेद 68 : उपराष्ट्रपति के पद में रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन करने का समय और आकस्मिक रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति की पदावधि।
- अनुच्छेद 69 : उपराष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
- अनुच्छेद 70 : अन्य आकस्मिकताओं में राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन
- अनुच्छेद 71 : राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित या संसक्त विषय
- अनुच्छेद 72 : क्षमा आदि की और कुछ मामलों में दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण की राष्ट्रपति की शक्ति
- अनुच्छेद 73 : संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार
केन्द्रीय मंत्रिपरिषद और भारत का महान्यायवादी (अनुच्छेद-74 से अनुच्छेद-78)
- अनुच्छेद 74 : राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रि-परिषद
- अनुच्छेद 75 : मंत्रियों के बारे में अन्य उपबंध
- अनुच्छेद 76 : भारत का महान्यायवादी
- अनुच्छेद 77 : भारत सरकार के कार्य का संचालन
- अनुच्छेद 78 : राष्ट्रपति को जानकारी देने आदि के संबंध में प्रधानमंत्री के कर्तव्य
संसद (अनुच्छेद-79 से अनुच्छेद-123)
- अनुच्छेद 79 : संसद का गठन
- अनुच्छेद 80 : राज्यसभा की संरचना
- अनुच्छेद 81 : लोकसभा की संरचना
- अनुच्छेद 82 : प्रत्येक जनगणना के पश्चात् पुनः समायोजन
- अनुच्छेद 83 : संसद के सदनों का अवधि
- अनुच्छेद 84 : संसद की सदस्यता के लिए अर्हता
- अनुच्छेद 85 : संसद के सत्र, सत्रावसान और विघटन
- अनुच्छेद 86 : सदनों में अभिभाषण का और उनको संदेश भेजने का राष्ट्रपति का अधिकार
- अनुच्छेद 87 : राष्ट्रपति का विशेष अभिभाषण
- अनुच्छेद 88 : सदनों के बारे में मंत्रियों और महान्यायवादी के अधिकार
- अनुच्छेद 89 : राज्य सभा का सभापति और उपसभापति
- अनुच्छेद 90 : उपसभापति का पद रिक्त होना, पदत्याग और पद से हटाया जाना
- अनुच्छेद 91 : सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन करने या सभापति के रूप में कार्य करने की उपसभापति या अन्य व्यक्ति की शक्ति
- अनुच्छेद 92 : जब सभापति या उपसभापति को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना
- अनुच्छेद 93 : लोकसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
- अनुच्छेद 94 : अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना, पद त्याग और पद से हटाया जाना।
- अनुच्छेद 95 : अध्यक्ष के पद के कर्तव्यों का पालन करने या अध्यक्ष के रूप में कार्य करने की उपाध्यक्ष या अन्य व्यक्ति की शक्ति
- अनुच्छेद 96 : जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना।
- अनुच्छेद 97 : सभापति और उपसभापति तथा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के वेतन और भत्ते।
- अनुच्छेद 98 : संसद् का सचिवालय
- अनुच्छेद 99 : सदस्यों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
- अनुच्छेद 100 : सदनों में मतदान, रिक्तियों के होते हुए भी सदनों की कार्य करने की शक्ति और गणपूर्ति
- अनुच्छेद 101 : स्थानों का रिक्त होना
- अनुच्छेद 102 : सदस्यता के लिए निरर्हताएँ
- अनुच्छेद 103 : सदस्यों की निरर्हताओं से संबंधित प्रश्नों पर विनिश्चय
- अनुच्छेद 104 : अनुच्छेद 99 के अधीन शपथ लेने या प्रतिज्ञान करने से पहले या अर्हित न होते हुए या निरर्हित किए जाने पर बैठने और मत देने के लिए शास्ति
- अनुच्छेद 105 : संसद के सदनों की तथा उनके सदस्यों और समितियों की शक्तियाँ, विशेषाधिकार आदि
- अनुच्छेद 106 : सदस्यों के वेतन और भत्ते
- अनुच्छेद 107 : विधेयकों के पुरःस्थापन और पारित किए जाने के संबंध में उपबंध
- अनुच्छेद 108 : कुछ दशाओं में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक
- अनुच्छेद 109 : धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रिया
- अनुच्छेद 110 : धन विधेयक की परिभाषा
- अनुच्छेद 111 : धन विधेयक की परिभाषा
- अनुच्छेद 112 : वार्षिक वित्तीय विवरण
- अनुच्छेद 113 : संसद में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया
- अनुच्छेद 114 : विनियोग विधेयक
- अनुच्छेद 115 : अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदान
- अनुच्छेद 116 : लेखानुदान, प्रत्ययानुदान और अपवादानुदान
- अनुच्छेद 117 : वित्त विधेयक के बारे में विशेष उपबंध
- अनुच्छेद 118 : प्रक्रिया के नियम
- अनुच्छेद 119 : संसद् में वित्तीय कार्य संबंधी प्रक्रिया का विधि द्वारा विनियमन
- अनुच्छेद 120 : संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा
- अनुच्छेद 121 : संसद में चर्चा पर निर्बन्धन
- अनुच्छेद 122 : न्यायालयों द्वारा संसद की कार्यवाहियों की जाँच न किया जाना
- अनुच्छेद 123 : संसद के विश्रांतिकाल में अध्यादेश प्रख्यापित करने की राष्ट्रपति की शक्ति
उच्चतम न्यायालय (अनुच्छेद-124 से अनुच्छेद-147)
- अनुच्छेद 124 : उच्चतम न्यायालय की स्थापना और गठन
- अनुच्छेद 125 : न्यायाधीशों के वेतन आदि
- अनुच्छेद 126 : कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति की नियुक्ति
- अनुच्छेद 127 : तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति
- अनुच्छेद 128 : उच्चतम न्यायालय की बैठकों में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की उपस्थिति
- अनुच्छेद 129 : उच्चतम न्यायालय का अभिलेख न्यायालय होना
- अनुच्छेद 130 : उच्चतम न्यायालय का स्थान
- अनुच्छेद 131 : उच्चतम न्यायालय की आरंभिक अधिकारिता
- अनुच्छेद 132 : कुछ मामलों में उच्च न्यायालयों से अपीलों में उच्चतम न्यायालय की अपीली अधिकारिता
- अनुच्छेद 133 : उच्च न्यायालयों से सिविल विषयों से संबंधित अपीलों में उच्चतम न्यायालय की अपीली अधिकारिता
- अनुच्छेद 134 : दांडिक विषयों में उच्चतम न्यायालय की अपीली अधिकारिता
- अनुच्छेद 135 : विद्यमान विधि के अधीन फेडरल न्यायालय की अधिकारिता और शक्तियों का उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रयोक्तव्य होना
- अनुच्छेद 136 : अपील के लिए उच्चतम न्यायालय की विशेष इजाजत
- अनुच्छेद 137 : निर्णयों या आदेशों का उच्चतम न्यायालयों द्वारा पुनर्विलोकन
- अनुच्छेद 138 : उच्चतम न्यायालय अधिकारिता की वृद्धि
- अनुच्छेद 139 : कुछ रिट निकालने की शक्तियों का उच्चतम न्यायालय को प्रदत्त किया जाना
- अनुच्छेद 140 : उच्चतम न्यायालय को आनुषंगिक शक्तियां।
- अनुच्छेद 141 : उच्चतम न्यायालय द्वारा घोषित विधि का सभी न्यायालयों पर आबद्धकर होना
- अनुच्छेद 142 : उच्चतम न्यायालय की डिक्रियों और आदेशों का प्रवर्तन और प्रकटीकरण आदि के बारे में आदेश
- अनुच्छेद 143 : उच्चतम न्यायालय से परामर्श करने की राष्ट्रपति की शक्ति
- अनुच्छेद 144 : सिविल और न्यायिक प्राधिकारियों द्वारा उच्चतम न्यायालय की सहायता में कार्य किया जाना
- अनुच्छेद 145 : न्यायालय के नियम आदि
- अनुच्छेद 146 : उच्चतम न्यायालय के अधिकारी और सेवक तथा व्यय
- अनुच्छेद 147 : निर्वचन
भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (अनुच्छेद-148 से अनुच्छेद-151)
- अनुच्छेद 148 : भारत का नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (CAG)
- अनुच्छेद 149 : नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के कर्त्तव्यों और शक्तियां
- अनुच्छेद 150 : संघ के और राज्यों के लेखाओं का प्रारूप
- अनुच्छेद 151 : संपरीक्षा प्रतिवेदन (लेखाओं संबंधी प्रतिवेदनों को राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा)
राज्यपाल (अनुच्छेद-152 से अनुच्छेद-162)
- अनुच्छेद 152 : संघ के अंतर्गत राज्यों की परिभाषा
- अनुच्छेद 153 : राज्यों के राज्यपाल
- अनुच्छेद 154 : राज्य की कार्यपालिका शक्ति
- अनुच्छेद 155 : राज्यपाल की नियुक्ति
- अनुच्छेद 156 : राज्यपाल की पदावधि
- अनुच्छेद 157 : राज्यपाल के नियुक्ति के लिए योग्यताएं
- अनुच्छेद 158 : राज्यपाल के कार्यालय की शर्तें
- अनुच्छेद 159 : राज्यपाल द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
- अनुच्छेद 160 : कुछ आकस्मिकताओं में राज्यपाल के कृत्यों का निर्वहन
- अनुच्छेद 161 : क्षमा आदि की और कुछ मामलों में दंडादेश के निलम्बन, परिहार या लघुकरण की राज्यपाल की शक्ति
- अनुच्छेद 162 : राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार
राज्य मंत्रिपरिषद और महाधिवक्ता (अनुच्छेद-163 से अनुच्छेद-167)
- अनुच्छेद 163 : राज्यपाल को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रि-परिषद
- अनुच्छेद 164 : मंत्रियों के बारे में अन्य उपबंध
- अनुच्छेद 165 : राज्य का महाधिवक्ता
- अनुच्छेद 166 : राज्य की सरकार के कार्य का संचालन
- अनुच्छेद 167 : राज्यपाल को जानकारी देने आदि के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री के कत्र्तव्य
राज्य का विधान मण्डल (अनुच्छेद-168 से अनुच्छेद-213)
- अनुच्छेद 168 : राज्यों के विधान-मण्डलों का गठन
- अनुच्छेद 169 : राज्यों में विधान परिषदों का उत्सादन या सृजन
- अनुच्छेद 170 : विधानसभाओं की संरचना
- अनुच्छेद 171 : विधान परिषदों की संरचना
- अनुच्छेद 172 : राज्यों के विधान-मंडलों की अवधि
- अनुच्छेद 173 : राज्य के विधान-मंडल की सदस्यता के लिए अर्हता
- अनुच्छेद 174 : राज्य के विधान-मंडल के सत्र, सत्रावसान और विघटन
- अनुच्छेद 175 : सदन या सदनों में अभिभाषण का और उनको संदेश भेजने का राज्यपाल का अधिकार
- अनुच्छेद 176 : राज्यपाल का विशेष अभिभाषण
- अनुच्छेद 177 : सदनों के बारे में मंत्रियों और महाधिवक्ता के अधिकार
- अनुच्छेद 178 : विधानसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
- अनुच्छेद 179 : अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना, पदत्याग और पद से हटाया जाना
- अनुच्छेद 180 : अध्यक्ष के पद के कर्तव्यों का पालन करने या अध्यक्ष के रूप में कार्य करने की उपाध्यक्ष या अन्य व्यक्ति की शक्ति
- अनुच्छेद 181 : जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना
- अनुच्छेद 182 : विधान परिषद का सभापति और उपसभापति
- अनुच्छेद 183 : सभापति और उपसभापति का पद रिक्त होना, पदत्याग और पद से हटाया जाना
- अनुच्छेद 184 : सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन करने या सभापति के रूप में कार्य करने की उपसभापति या अन्य व्यक्ति की शक्ति
- अनुच्छेद 185 : अध्यक्ष या उपसभापति को पद से हटाने का प्रस्ताव विचाराधीन होने के दौरान अध्यक्षता नहीं करना
- अनुच्छेद 186 : अध्यक्ष और उपाध्यक्ष तथा सभापति और उपसभापति के वेतन और भत्ते ।
- अनुच्छेद 187 : राज्य के विधान-मंडल का सचिवालय
- अनुच्छेद 188 : सदस्यों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
- अनुच्छेद 189 : सदनों में मतदान रिक्तियों के होते हुए भी सदनों की कार्य करने की शक्ति और गणपूर्ति।
- अनुच्छेद 190 : स्थानों का रिक्त होना
- अनुच्छेद 191 : सदस्यता के लिए निरर्हताएँ
- अनुच्छेद 192 : सदस्यों की निरर्हताओं से सम्बन्धित प्रश्नों पर विनिश्चय
- अनुच्छेद 193 : अनुच्छेद 188 के अधीन शपथ लेने या प्रतिज्ञान करने से पहले या अर्हित न होते हुए या निरर्हित किए जाने पर बैठने और मत देने के लिए शास्ति
- अनुच्छेद 194 : विधान-मंडलों के सदनों की तथा उनके सदस्यों और समितियों की शक्तियाँ, विशेषाधिकार, आदि
- अनुच्छेद 195 : सदस्यों के वेतन और भत्ते
- अनुच्छेद 196 : विधेयकों के पुरःस्थापन और पारित किए जाने के संबंध में उपबंध।
- अनुच्छेद 197 : धन विधेयकों से भिन्न विधेयकों के बारे में विधान परिषद की शक्तियों पर निर्बंधन
- अनुच्छेद 198 : धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रिया
- अनुच्छेद 199 : धन विधेयक” की परिभाषा
- अनुच्छेद 200 : विधेयकों पर अनुमति
- अनुच्छेद 201 : विचार के लिए आरक्षित विधेयक
- अनुच्छेद 202 : वार्षिक वित्तीय विवरण
- अनुच्छेद 203 : विधान-मंडल में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया
- अनुच्छेद 204 : विनियोग विधेयक
- अनुच्छेद 205 : अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदान
- अनुच्छेद 206 : लेखानुदान, प्रत्ययानुदान और अपवादानुदान
- अनुच्छेद 207 : वित्त विधेयकों के बारे में विशेष उपबंध
- अनुच्छेद 208 : प्रक्रिया के नियम
- अनुच्छेद 209 : राज्य के विधान-मंडल में वित्तीय कार्य संबंधी प्रक्रिया का विधि द्वारा विनियमन
- अनुच्छेद 210 : विधान-मंडल में प्रयोग की जाने वाली भाषा
- अनुच्छेद 211 : विधान-मंडल में चर्चा पर निर्बन्धन
- अनुच्छेद 212 : न्यायालयों द्वारा विधान-मंडल की कार्यवाहियों की जांच न किया जाना
- अनुच्छेद 213 : विधान-मंडल के विश्ररांतिकाल में अध्यादेश प्रख्यापित करने की राज्यपाल की शक्ति
उच्च न्यायालय (अनुच्छेद-214 से अनुच्छेद-232)
- अनुच्छेद 214 : राज्यों के लिए उच्च न्यायालय
- अनुच्छेद 215 : उच्च न्यायालयों का अभिलेख न्यायालय होना
- अनुच्छेद 216 : उच्च न्यायालयों का गठन
- अनुच्छेद 217 : उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति और उसके पद की शर्ते
- अनुच्छेद 218 : उच्चतम न्यायालय से संबधित कुछ उपबंधों का उच्च न्यायालयों में लागू होना
- अनुच्छेद 219 : उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
- अनुच्छेद 220 : स्थायी न्यायाधीश रहने के पश्चात् विधि-व्यवसाय पर निर्बन्धन
- अनुच्छेद 221 : न्यायाधीशों के वेतन आदि
- अनुच्छेद 222 : किसी न्यायाधीश का एक उच्च न्यायालय से दूसरे न्यायालय का अंतरण
- अनुच्छेद 223 : कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति की नियुक्ति
- अनुच्छेद 224 : अपर और कार्यकारी न्यायाधीशों की नियुक्ति
- अनुच्छेद 224क : उच्च न्यायालयों की बैठकों में सेवानिवृत न्यायाधीशों की नियुक्ति
- अनुच्छेद 225 : विद्यमान उच्च न्यायालयों की अधिकारिता
- अनुच्छेद 226 : कुछ रिट निकालने की उच्च न्यायालय की शक्ति
- अनुच्छेद 226क : अनुच्छेद-226 के अंतर्गत कार्रवाईयों में केंद्रीय अधिनियमों की संवैधानिक वैधता पर विचार नहीं (निरस्त)
- अनुच्छेद 227 : सभी न्यायालयों के अधीक्षण की उच्च न्यायालय की शक्ति
- अनुच्छेद 228 : कुछ मामलों का उच्च न्यायालय को अंतरण
- अनुच्छेद 228क : राज्य अधिनियमों की संवैधानिक वैधता से सम्बंधित प्रश्नों के निस्तारण के लिए विशेष प्रावधान (निरस्त)
- अनुच्छेद 229 : उच्च न्यायालयों के अधिकारी और सेवक तथा व्यय
- अनुच्छेद 230 : उच्च न्यायालयों की अधिकारिता का संघ राज्यक्षेत्रों पर विस्तार
- अनुच्छेद 231 : दो या अधिक राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय की स्थापना
- अनुच्छेद 232 : व्याख्या (निरस्त)
अधीनस्थ न्यायालय (अनुच्छेद-233 से अनुच्छेद-237)
- अनुच्छेद 233 : जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति
- अनुच्छेद 233क : कुछ जिला न्यायाधीशों की नियुक्तियों का और उनके द्वारा किए गए निर्णयों आदि का विधिमान्यकरण
- अनुच्छेद 234 : न्यायिक सेवा में जिला न्यायाधीशों से भिन्न व्यक्तियों की भर्ती
- अनुच्छेद 235 : अधीनस्थ न्यायालयों पर नियंत्रण
- अनुच्छेद 236 : निर्वचन
- अनुच्छेद 237 : कुछ वर्ग या वर्गों के मजिस्ट्रेटों पर इस अध्याय के उपबंधों का लागू होना