नकदी फसलों (nakdi fasle) के अंतर्गत उन व्यापारिक फसलों को सम्मिलित करते हैं, जिन्हें आमदनी के लिए सीधे या अर्ध प्रसंस्कृत रूप से किसानों द्वारा बेचा जाता है। नकदी फसलों की श्रेणी में उन फसलों को शामिल किया गया है, जिन्हें खेतों से निकालकर सीधे बाज़ार में बेचा जाता है। या फिर ये कहे की जिन्हें अधिक समय तक भंडारित नहीं किया जा सकता।
क्या होती हैं नकदी फसलें (nakdi fasle)?
- इनमें गन्ना, तम्बाकू, रेशेदार फसलें कपास, जूट, मेस्ट एवं तिलहन फसलें जैसे सरसों, मूंगफली, अलसी आदि प्रमुख हैं।
- यद्यपि इनके अंतर्गत देश के कृषि क्षेत्रफल का केवल 26% भाग सम्मिलित है, परन्तु कृषि उत्पादन में इनका अंशदान लगभग 40% है।
- इनसे उद्योंगों को कच्चा माल प्राप्त होता है तथा किसानों को अपना जीवन स्तर सुधारने, कृषि विकास के लिए पूंजी की प्राप्ति होती है।
- कई उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में, जूट, कॉफी, कोको, गन्ना, केला, संतरा और कपास आम नकदी फसलें हैं।
- कूलर क्षेत्रों में अनाज फसलों, तेल फसलों उपज और कुछ सब्जियों प्रबल होना, इस का एक उदाहरण के संयुक्त राज्य अमेरिका है, जहां मक्का, गेहूं, सोयाबीन प्रमुख नकदी फसलों रहे हैं।
- तंबाकू ऐतिहासिक एक नकदी फसल हुई है, हालांकि विरोधी से बढ़ाकर दबाव-तम्बाकू कार्यकर्ताओं के साथ, यह लोकप्रियता में कमी आई है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे अधिक मूल्यवान नकदी फसल कैनबिस माना जाता है।
भारत जैसे कृषि प्रधान देश में नकदी फसलों की उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी होने की वजह से देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होती है। क्योंकि इन्हें बहार विदेशों में बेचने पर सरकार को अधिक राजस्व की प्राप्ति होती है।
शुरुआत में नकदी फसलों की खेती बहुत कम होती थी, लेकिन इनके उत्पाद को बेचने पर मिलने वाले अधिक लाभ को देखते हुए किसान की रूचि अब इन फसलों की तरफ ज्यादा होने लगी है। जिस कारण अब नकदी फसलों का भारतीय कृषि में योगदान बढ़ता जा रहा है।
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