हाल ही में भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नारवाने ने पूर्वी लद्दाख में विभिन्न उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों और पैंगोंग झील (Pangong Tso Lake) के आसपास के क्षेत्रों में समग्र सैन्य तैयारियों की समीक्षा की थी; इस क्षेत्र में पिछले वर्ष मई से भारत और चीन आमने-सामने हैं; भारत और चीन के बीच आठ दौर की वार्ता हो चुकी है; लेकिन सेनाओं की वापसी पर अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं आ पाया है।
पिछले वर्ष अगस्त माह में चीनी सेना ने इस क्षेत्र में हस्तक्षेप करने का प्रयास किया था; जिसके बाद पुनः भारतीय सेना ने मुंगपारी, रेचिन ला और मगर पहाड़ी क्षेत्रों में पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे के आसपास कई सामरिक ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया था।
Pangong Tso Lake (पैंगोंग झील)
पैंगोंग झील या पैंगोंग त्सो लद्दाख में भारत-चीन सीमा क्षेत्र में स्थित है। यह 4350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित 134 किलोमीटर लंबी है जो लद्दाख से तिब्बत तक फैली हुई है।
भारत में इस झील की लंबाई 45 किलोमीटर तथा जनवादी गणराज्य चीन में इसकी लंबाई 90 किलोमीटर हैं;। दोनों देशो के बीच की वास्तविक नियंत्रण रेखा इस झील से गुज़रती है।
शीत ऋतु में जमने के बाद इस खारे पानी की झील में आइस स्केटिंग और पोलो खेला जाता हैं। खारे पानी के कारण इसमें जलीय जीवन अनुकूल नहीं है; लेकिन यह कई प्रवासी पक्षियों के लिये एक महत्त्वपूर्ण प्रजनन स्थल है।
19वीं शताब्दी के मध्य में यह झील जॉनसन रेखा के दक्षिणी छोर पर थी; जॉनसन रेखा अक्साई चीन क्षेत्र में भारत और चीन के बीच सीमा निर्धारण का एक प्रारंभिक प्रयास था।
इस क्षेत्र में स्थित खर्नाक किला पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर स्थित है; यह किला अब चीन के नियंत्रण में है;। 20 अक्तूबर, 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान चीनी सेना ने यहां सैन्य कार्रवाई की थी ।
पैंगोंग झील या पैंगोंग त्सो का भ्रमण करने के लिए एक इनर लाइन परमिट की आवश्यकता होती है; क्योंकि यह भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थित है।
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