रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन प्रणाली (आरएफआईडी)
ईंधन, समय बचाने और प्रदूषण में कमी लाने तथा यातायात की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करने के क्रम में, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन प्रोग्राम (एनईटीसी) शुरू किया है। इसके माध्यम से आरएफआईडी प्रौद्योगिकी पर आधारित फास्टैग के माध्यम से उपभोक्ता शुल्क वसूली की सुविधा प्रदान की जा रही है।
क्या है रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) प्रणाली?
रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) रेडियो तरंगों के उपयोग पर आधारित एक ऐसी तकनीक है; जिसमें टैग की गई वस्तु की पहचान के लिए रेडियो तरंगों का उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग कई वाणिज्यिक और औद्योगिक अनुप्रयोगों में किया जाता है; जिसमें किसी आपूर्ति श्रृंखला में वस्तुओं की ट्रैकिंग से लेकर लाइब्रेरी के किताबों तक को ट्रैक करना शामिल है।
रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक मूलतः दो भागों में आधारित है; पहला टैग दूसरा इस टैग को रीड करने वाला यंत्र। इसमें जहां एक और टैग को रीड करने वाला यंत्र रेडियो तरंगे छोड़ता है एवं आरएफआईडी टैग से पुनः तरंगों/ संकेत को वापस प्राप्त करता है वही दूसरी ओर आरएफआईडी टैग रेडियो तरंगों का उपयोग अपनी पहचान और अन्य सूचनाओं को संप्रेषित करने के लिए करता है।
प्रत्येक RFID टैग में एक छोटा रेडियो ट्रांसपोंडर, एक ट्रांसमीटर और एक रेडियो रिसीवर होता है; आमतौर पर टैग को कारों, यात्री ट्रेनों या बसों, किताबों आदि से चिपका दिया जाता है।
रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक बारकोड से काफी तेज है; क्योंकि इसमें एक साथ कई RFID टैग को कई बार रीड किया जा सकता है; जबकि बार कोड तकनीक में एक समय में केवल एक बार कोड को रीड किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि 1970 के दशक से ही यह तकनीक मौजूद थी; लेकिन इसका प्रयोग व्यापक रूप से अभी किया जा रहा है।
इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली का प्रयोग
भारत में राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क प्रदान करने के लिए इसी रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन की इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली का प्रयोग किया जाता है जिसे फास्टैग प्रणाली कहा जा रहा है। टोल प्लाजाओं पर टोल कलेक्शन सिस्टम से होने वाली समस्याओं के समाधान हेतु भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने भारत में इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम शुरू किया है। इसके उपयोग से टोल प्लाजाओं पर समय और ईधन की बचत के साथ-साथ डिजिटल इंडिया को बढ़ावा और वीआईपी कल्चर समाप्त करने में मदद हुई है।
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