सपफ्रेज मूवमेंट (महिला मताधिकार आंदोलन): आजकल कोई भी सरकार अपने आपको तब तक लोकतांत्रिक नहीं कह सकती; जब तक वह देश के सभी वयस्क नागरिकों को वोट देने का अधिकार न दे। एक समय ऐसा था जब लोकतांत्रिक सरकारें औरतों और गरीबों को चुनाव में भाग नहीं लेने देती थी अपने शुरुआती दौर में सरकारें केवल उन्हीं पुरुषों को वोट देने देती थीं; जो पढ़े-लिखे थे और जिनके पास अपनी संपत्ति होती थी; इसका मतलब था कि औरतों, गरीबों और अशिक्षितों को वोट देने का अधिकार नहीं था। ऐसी स्थिति में देश उन्हीं नियमों के सहारे चलते थे; जो ये गिने-चुने पुरुष बनाते थे।
सपफ्रेज मूवमेंट (महिला मताधिकार आंदोलन)
‘सफ्रेज़‘ का मतलब होता है वोट देने का अधिकार; संसार में कहीं भी सरकारों ने स्वेच्छा से अपनी शक्ति लोगों के साथ नहीं बाँटी है; पूरे यूरोप और अमरीका में महिलाओं और गरीबों को सरकार के कार्यों में भागीदारी के लिए संघर्ष करना पड़ा; प्रथम विश्व युद्ध के दौरान महिलाओं द्वारा मताधिकार के लिए किए गए संघर्ष ने और मजबूती पकड़ी। इस आंदोलन को महिला मताधिकार आंदोलन कहते हैं; और अंग्रेजी में इसे ‘सपफ्रेज मूवमेंट‘ कहते हैं।
युद्ध के दौरान बहुत-से पुरुष लड़ाई में थे; इसीलिए महिलाओं को उन कामों को करने के लिए बुलाया गया जो पहले पुरुषों के काम माने जाते थे। जब महिलाओं ने विभिन्न प्रकार के काम और उनकी व्यवस्था करना शुरू किया तो लोगों को यह देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ; कि उन्होंने महिलाओं और उनकी क्षमताओं के बारे में क्यों इतनी गलत रूढ़िबद्ध धारणाएँ बना रखीं थीं; कि महिलाएँ ये काम नहीं कर सकतीं।
इस तरह महिलाओं को निर्णय लेने में समान रूप से योग्य माना जाने लगा। महिला मताधिकार आंदोलन की साथियों ने सभी महिलाओं के लिए वोट देने के अधिकार की माँग की। उनकी आवाज़ सुनी जाए, इसके लिए उन्होंने जगह-जगह पर अपने आपको लोहे की जंजीरों से बाँधकर प्रदर्शन किया; उनमें से कई क्रांतिकारी महिलाएँ जेल गई और भूख हड़ताल पर बैठीं।
अमरीका में औरतों को वोट देने का अधिकार 1920 में मिला; जबकि इंग्लैंड की औरतों को यह अधिकार कुछ साल बाद 1928 में मिला।
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