भारत का आयुर्वेद साढ़े तीन हजार वर्ष पुराना है जबकि सभी दूसरी थैरेपी इसके मुकाबले काफी नई हैं। पूरी दुनिया भारत के आचार्य सुश्रुत को फादर ऑफ सर्जरी मानती है। उन्होंने इसका विस्तार से उल्लेख भी किया है।
सुश्रुत (Sushruta biography in hindi)
- Sushruta (सुश्रुत संहिता’ के प्रणेता तथा आचार्य सुश्रुत का जन्म छठी शताब्दी ईसा पूर्व काशी में हुआ था।
- सुश्रुत संहिता में इनको विश्वामित्र का पुत्र कहा गया है। सुश्रुव का नाम नावनीतक में भी आता है।
- इनको शल्य चिकित्सा (सर्जरी) का पितामह माना जाता है।
- सुश्रुत संहिता में 25 तरह के उपकरणों के प्रयोग का वर्णन तथा शल्य चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से दिया गया है।
विज्ञान के विकास में योगदान
- इनके द्वारा कॉस्मेटिक सर्जरी में विशेष निपुणता हासिल की गई थी; तथा इनके द्वारा 300 प्रकार के ऑपरेशन प्रक्रियाओं को खोजा गया।
- सुश्रुत संहिता में मोतियाबिंद की ऑपरेशन विधि को विस्तार से बताया गया है; इसमें नेत्र रोगों के 26 प्रकार बताए गए हैं।
- Sushruta की विशेषता टूटी हुई हड्डियों का पता लगाने और उन्हें जोड़ने में थी।
- शल्य क्रिया के दौरान होने वाले दर्द से राहत हेतु सुश्रुत मद्यपान या विशेष औषधियाँ देते थे। मद्य संज्ञाहरण का कार्य करता था; इसलिये Sushruta को संज्ञाहरण का पिता भी कहा जाता है।
- इनको शल्य क्रिया के माध्यम से प्रसव कराने का भी ज्ञान था।
- ये श्रेष्ठ शल्य शिक्षक भी थे। इन्होंने अपने शिष्यों को शल्य चिकित्सा के सिद्धांत बताए तथा उनका अभ्यास भी कराया।
- प्रारंभिक अवस्था में अभ्यास हेतु फलों, सब्जियों और मोम के पुतलों का उपयोग किया जाता था।
- सुश्रुत संहिता आयुर्वेद के तीन मूल ग्रंथों में से एक है।
- आठवीं शताब्दी में किताब-ए-सुश्रुत नाम से इसका अनुवाद हुआ था। इसमें आठ प्रकार की शल्य चिकित्सा विधियों का वर्णन है। Sushruta शव के ऊपर शल्य क्रिया करके अपने शिष्यों को मानव शरीर की अंदरूनी संरचना समझाते थे।
- Sushruta ने अपने शिष्यों को शल्य चिकित्सा के साथ आयुर्वेद के अन्य पक्षों, जैसे- शरीर संरचना, बालरोग, मनोरोग, स्त्रीरोग आदि का भी ज्ञान दिया।
- सुश्रुत संहिता में 4 प्रकार की चिकित्सा पद्धतियों का विवरण दिया गया है।
- इसमें हड्डी खिसकने के 6 प्रकार तथा अस्थिभंग के 2 प्रकार दिये गए हैं।