तवा मत्स्य संघ: जब जंगल के बड़े क्षेत्रों को जानवरों के लिए अभ्यारण्य घोषित कर दिया जाता है; और बड़े बाँधों का निर्माण किया जाता है तो हज़ारों लोग विस्थापित होते हैं। पूरे के पूरे गाँवों के लोगों को अपनी जड़ों को छोड़कर कहीं और नए घर बनाने और नयी ज़िंदगी आरंभ करने के लिए मजबूर कर दिया जाता है; इन विस्थापितों में से अधिकांश लोग गरीब होते हैं।
तवा मत्स्य संघ का गठन
छिंदवाड़ा जिले की महादेव पहाड़ियों से निकलने वाली तवा नदी, होशंगाबाद में नर्मदा से मिलने के लिए बैतूल होती हुई आती है। तवा पर एक बाँध का निर्माण 1958 में आरंभ हुआ और 1978 में पूरा हुआ। जंगल के बड़े हिस्से के साथ ही बहुत-सी कृषि भूमि भी बाँध में डूब गई, जिससे जंगल के निवासी अपना सब कुछ खो बैठे। इनमें से कुछ विस्थापितों ने बाँध के आस-पास रहकर I थोड़ी-बहुत खेती के अलावा मछली पकड़ने का व्यवसाय आरंभ किया; यह सब करके भी वे बहुत थोड़ा-सा कमा पाते थे।
1994 में सरकार ने तवा बाँध के क्षेत्र में मछली पकड़ने का काम निजी ठेकेदारों को सौंप दिया। इन ठेकेदारों ने स्थानीय लोगों को काम से अलग कर दिया और बाहरी क्षेत्र से सस्ते श्रमिकों को ले आए। ठेकेदारों ने गुंडे बुलाकर गाँव वालों को धमकियाँ देना भी आरंभ कर दिया; क्योंकि लोग वहाँ से हटने को तैयार नहीं थे। गाँव वालों ने एकजुट होकर तय किया; कि अपने अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ने और संगठन बनाकर सामने खड़े होने का वक्त आ गया है; इस तरह ‘तवा मत्स्य संघ‘ नाम के संगठन को बनाया गया।
तवा मत्स्य संघ का प्रभाव
नवगठित ‘तवा मत्स्य संघ’ (टी.एम.एस.) ने सरकार से माँग की कि लोगों के जीवन निर्वाह के लिए बाँध में मछलियाँ पकड़ने के काम को जारी रखने की अनुमति दी जाए। यह माँग करते हुए ‘चक्का जाम’ शुरू किया गया। उनके प्रतिरोध को देखकर सरकार ने पूरे मामले की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की। समिति ने गाँव वालों के जीवनयापन के लिए उनको मछली पकड़ने का अधिकार देने की अनुशंसा की।
1996 में मध्य प्रदेश सरकार ने तय किया कि; तवा बाँध के जलाशय से मछली पकड़ने का अधिकार यहाँ के विस्थापितों को ही दिया जाएगा;। दो महीने बाद सरकार ने तवा मत्स्य संघ को बाँध में मछली पकड़ने के लिए पाँच वर्ष का पट्टा (लीज) देना स्वीकार कर लिया। उन्होंने एक सहकारी समिति बनाई; जो पकड़ी गई मछलियों की प्रत्येक खेप की उचित कीमत सीधे उन्हें देती है; सारा माल बाजार तक पहुँचाना और वहाँ भी उचित मूल्य प्राप्त करना समिति का ही काम है।
मछुआरों को फायदा
तवा मत्स्य संघ (टी.एम.एस.) के साथ जुड़कर मछुआरों ने लगातार अपनी आय में इजाफा दर्ज किया। तवा मत्स्य संघ ने ‘जाल’ खरीदने और रखरखाव की जरूरत के लिए मछुआरों को ऋण देने की भी व्यवस्था की है। मछुआरों के लिए अच्छी आमदनी प्राप्त करने के साथ-साथ तवा मत्स्य संघ ने इस बात की भी व्यवस्था की है; कि जलाशय में मछलियों को ठीक ढंग से पलने बढ़ने की स्थितियाँ मिलें;। टी.एम. एस. ने सभी के सामने यह बात सिद्ध कर दी है; कि लोगों को जब आजीविका का अधिकार मिलता है; तो वे अच्छे प्रबंधन के गुणों का परिचय भी देते हैं।
Read more: