विचारों और विचारधाराओं ने विश्व इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सदियों से, विचार से सहमत होना और अपनी राय व्यक्त करना मानव सभ्यता का एक महत्वपूर्ण भाग रहा है। हमारे विचारों से संघर्ष, प्रगति और सामाजिक विकास हुआ है। यही कारण है कि “यूरो-केंद्रित” विचारधारा एक महत्वपूर्ण पक्ष है। यह विश्व इतिहास में यूरोपीय देशों और उनके विचारों को मान्यता और महत्व प्राप्त करने वाली राष्ट्रीय या सांस्कृतिक मध्यस्थता है। यद्यपि, यूरो-केंद्रित दृष्टिकोण से सहमत होना मुश्किल हो सकता है। हम इस ब्लॉग लेख में यूरो-केंद्रित (Euro-Centric) क्या है और विश्व इतिहास के अध्ययन में यूरो-केंद्रित विचार से सहमत होना क्यों मुश्किल है।
यूरो-केंद्रित क्या है? (What is Euro-Centric)
पश्चिमी विचारकों ने यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि विश्व की महान भौतिक एवं वैचारिक उपलब्धियाँ पश्चिमी विश्व में ही प्रकट हुईं तथा पश्चिम से ही उनका प्रसार विश्व के अन्य क्षेत्रों में हुआ। यानी यूरो-केंद्रित यह एक विचारधारा है जो मुख्य रूप से यूरोपीय इतिहास, संस्कृति, भूगोल, आर्थिक प्रगति, राजनीतिक व्यवस्था, दर्शन और सामाजिक विकास से जुड़ा हुआ है और ब्रिटिश और यूरोपीय देशों ने अपने समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विकास का बोझ उठाने के लिए प्रचारित किया। जिसके अनुसार पश्चिमी संस्कृति को विश्व के सभ्यता का मूल आधार बताया गया है और यूरोपीय भाषाएं, साहित्य, कला, विज्ञान और तकनीक की महत्वपूर्ण भूमिका को बताया गया है।
यूरो-केंद्रित विचार से सहमति के पक्ष (Aspects to the euro-centric view)
यूरो-केंद्रित विचारधारा के लोग मानते हैं कि यूरोप का इतिहास, संस्कृति और राजनीति विश्व इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान है। उनका कहना है कि यूरोप ने विज्ञान, तकनीक, साहित्य, कला और दर्शन में बहुत कुछ बदल दिया है। वे इसे भाषा, समाज और संस्कृति की उत्कृष्टता से जोड़ते हैं और इसे पश्चिमी संस्कृति और विकास का सर्वोच्च आधार मानते हैं।
यूरो-केंद्रित दृष्टिकोण से सहमति के कुछ महत्वपूर्ण पहलु
विश्व इतिहास: विरोधियों का कहना है कि यूरो-केंद्रित विचारधारा विश्व इतिहास के कुछ महत्वपूर्ण हिस्सों को समझ सकती है। उनका कहना है कि यूरोपीय इतिहास, उसकी संस्कृति, भूगोल, राजनीति और युद्धों का अध्ययन विश्व इतिहास में महत्वपूर्ण हो सकता है।
उत्पत्ति और विकास: यूरो-केंद्रित विचारधारा के समर्थक कहते हैं कि यूरोप का इतिहास विश्व इतिहास में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उसके जन्म और विकास से जुड़ा है। उन्हें लगता है कि यूरोपीय देशों की संस्कृति, शक्ति और आर्थिक प्रगति ने विश्व को बदल दिया है।
प्रगति और परिवर्तन के उदाहरण: समर्थक कहते हैं कि यूरोपीय विचारधारा ने विज्ञान, तकनीक, कला और साहित्य में महान प्रगति की है। वे यूरोपीय संस्कृति और विकास का समर्थन करते हैं, विश्वविद्यालयों, कला-संस्थानों और शोध संस्थानों का महत्व बताते हैं।
भाषा, समाज और संस्कृति का महत्व: यूरो-केंद्रित विचारधारा वाले लोगों का कहना है कि यूरोपीय समाज, भाषा और संस्कृति का मूल्यांकन किया जाना चाहिए। वे इसे अन्य संस्कृतियों से तुलना करते हैं और इसे मानवता की प्रगति का एक महत्वपूर्ण उदाहरण मानते हैं।
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यूरो-केंद्रित विचार से सहमत होना क्यों कठिन है? Problems to agree with Euro-centric views?
यूरो-केंद्रित विचार से सहमत होना विश्व इतिहास के अध्ययन में मुश्किल हो सकता है क्योंकि इसका मतलब होता है कि विश्व इतिहास को यूरोपीय संस्कृति और विकास के आधार पर देखना होगा। यह इसलिए मुश्किल है क्योंकि विश्व इतिहास में अलग-अलग संस्कृतियों, राष्ट्रों, और समाजों के विकास के लिए अलग-अलग कारण थे –
विश्व की प्राचीनतम सभ्यताएँ एशिया एवं अफ्रीका में विकसित हुईं, यथा- पश्चिम एशिया में मेसोपोटामिया की सभ्यता, भारत में सिंधु घाटी की सभ्यता तथा उत्तर-पूर्वी अफ्रीका में मिस्र की सभ्यता। इसके थोड़े समय बाद की चीन की सभ्यता थी। जहाँ तक यूरोप का सवाल है तो यूरोप की प्राचीनतम सभ्यता, यूनान कौ सभ्यता (ग्रीक सभ्यता) , ऊपर वर्णित सभ्यताओं से बहुत बाद की है।
उसी प्रकार, प्रथम वैश्विक साम्राज्य की स्थापना यूरोप में नहीं, बल्कि पश्चिम एशिया में हुई तथा इसे अखमनी साम्राज्य के नाम से जाना गया। इतना तक कि यूरोपीय पुनर्जागरण के उद्भव में भी पूर्वी सभ्यताओं का योगदान रहा है।
इसलिए, यूरो-केंद्रित विचार से सहमति प्राप्त करने के बजाय विश्व इतिहास के विभिन्न पहलुओं, विचारधाराओं, और संस्कृतियों के संबंध में एक विस्तृत अध्ययन करना और समझना उपयुक्त होता है।
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यूरो-केंद्रित विचार की सीमाओं का असर | limits of Eurocentric thought
यूरो-केंद्रित विचारधारा विश्व इतिहास के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण विचारधारा है, लेकिन इसके साथ कई सीमाएं हैं जो इसके प्रभाव को कम करते हैं। विश्व इतिहास के अध्ययन में इन सीमाओं का प्रभाव कुछ पहलुओं को अनदेखा कर सकता है, जिससे विभिन्न संस्कृतियों, देशों और समाजों के विकास को समझना कठिन हो सकता है।
यूरोपीय सेंट्रिस्म, जिससे यूरोप विश्व इतिहास को देखता है और यूरोप को संस्कृति और प्रौद्योगिकी के एक उत्कृष्ट केंद्र के रूप में मानता है, यूरो-केंद्रित विचारधारा का जन्म है। इससे दूसरे क्षेत्रों का योगदान और विकास अनदेखा हो सकता है।
यूरो-केंद्रित विचारधारा से यह प्रतीत होता है कि यूरोप ने विश्व इतिहास में धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक विकास का नेतृत्व किया है, जो अन्य संस्कृतियों और देशों पर अनपेक्षित प्रभाव डाल सकता है।
यूरो-केंद्रित विचारधारा ने यूरोपीय संस्कृति और समाज को महत्वपूर्ण माना है, जिससे विश्व इतिहास के अन्य हिस्सों में अलग-अलग संस्कृतियों और समाजों की भिन्नता को अनदेखा किया जा सकता है। इससे समाज और संस्कृति में मौजूद विविधता को समझना कठिन हो सकता है और विश्व इतिहास के संबंध में एक स्पष्ट दृष्टिकोण बनाना मुश्किल हो सकता है।
यूरो-केंद्रित विचार की इन सीमाओं के संदर्भ में, विश्व इतिहास को समृद्ध और संतुलित ढंग से समझने में मुश्किल हो सकता है. हालांकि, हमें याद रखना चाहिए कि हम अन्य संस्कृतियों, राष्ट्रों, और समाजों के साथ विश्व की एकता और विविधता को समझने की कोशिश करें।
निष्कर्ष
यूरो-केंद्रित विचार के साथ विश्व इतिहास का अध्ययन करना संभव नहीं है। हमें विभिन्न संस्कृतियों, देशों और समाजों के विकास और योगदान को समझने के लिए उनकी अनूठी भूमिका और महत्व को समझना चाहिए। विश्व इतिहास के अध्ययन में यूरो-केंद्रित विचार से सहमत होने के बजाय, हमें विभिन्न संस्कृतियों और समाजों को समझने की कोशिश करनी चाहिए, जो इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।