क्षेत्रीय परिषदें सांविधिक निकाय हैं (न कि सांविधानिक)। इसका गठन संसद द्वारा अधिनियम बनाकर किया गया है, जो कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 है। इस कानून ने देश को पांच क्षेत्रों में विभाजित किया है। (उत्तरी, मध्य-पूर्वी, पश्चिमी तथा दक्षिणी) तथा प्रत्येक क्षेत्र के लिए एक क्षेत्रीय परिषद का गठन किया है।
क्षेत्रीय परिषदें
जब ऐसे क्षेत्र बनाए जाते हैं तो कई चीजों को ध्यान में रखा जाता है, जिनमें सम्मिलित हैं-
- देश का प्राकृतिक विभाजन,
- नदी तंत्र एवं संचार के साधन,
- सांस्कृतिक एवं भाषायी संबंध,
- आर्थिक विकास की आवश्यकता,
- सुरक्षा तथा कानून और व्यवस्था।
प्रत्येक क्षेत्रीय परिषद में निम्नलिखित सदस्य होते हैं-
- केंद्र सरकार का गृहमंत्री,
- क्षेत्र के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री.
- क्षेत्र के प्रत्येक राज्य से दो अन्य मंत्री
- क्षेत्र में स्थित प्रत्येक केन्द्र शासित प्रदेश के प्रशासक।
इसके अतिरिक्त निम्नलिखित व्यक्ति क्षेत्रीय परिषद से सलाहकार (बैठक में बिना मताधिकार के) के का में संबंधित हो सकते हैं:
- योजना आयोग द्वारा मनोनीत व्यक्ति,
- क्षेत्र में स्थित प्रत्येक राज्य सरकार के मुख्य सचिव,
- क्षेत्र के प्रत्येक राज्य के विकास आयुक्त।
केंद्र सरकार का गृहमंत्री पांचों क्षेत्रीय परिषदों का अध्यक्ष होता है। प्रत्येक मुख्यमंत्री क्रमानुसार एक वर्ष के समय के लिए परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करता है।
क्षेत्रीय परिषदों का उद्देश्य
क्षेत्रीय परिषदों का उद्देश्य राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों की के बीच सहभागिता तथा समन्वयता को बढ़ावा देना है। ये आर्थिक तथा सामाजिक योजना, भाषायी अल्पसंख्यक सीमा किन अंतर्रज्यीय परिवहन आदि जैसे संबंधित विषयों पर विचार-विमर्श संस्तुति करती हैं। ये केवल चर्चात्मक तथा परामर्शदात्री निकाय है।
परिषदों के उद्देश्य (अथवा कार्य) विस्तारपूर्वक निम्नलिखित है।
- भावुकतापूर्ण देश का एकीकरण प्राप्त करना।
- तीक्ष्ण राज्य-भावना, क्षेत्रवाद, भाषायी तथा विशेषतावाद के विकास को रोकने में सहायता करना।
- विभाजन के बाद के प्रभावों को दूर करना ताकि पुनर्गठन एकीकरण तथा आर्थिक विकास की प्रक्रिया एक साथ चल सके।
- केंद्र तथा राज्यों को सामाजिक तथा आर्थिक विषयों पर एक-दूसरे की सहायता करने में तथा एक समान नीतियों के विकास के लिए विचारों तथा अनुभवों के आदान-प्रदान में सक्षम बनाना।
- मुख्य विकास योजनाओं के सफल तथा तीव्र क्रियान्वयन के लिए एक-टूसरे की सहायता करना।
- देश के अलग-अलग क्षेत्रों के मध्य राजनैतिक साम्य सुनिश्चित करना।
भारत में क्षेत्रीय परिषदें
S.No | नाम | सदस्य | मुख्यालय |
1. | उत्तर क्षेत्रीय परिषद् | पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख | नयी दिल्ली |
2. | मध्य क्षेत्रीय परिषद् | मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड एवं छत्तीसगढ़ | इलाहाबाद |
3. | पूर्वी क्षेत्रीय परिषद | बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़ीशा, झारखंड | कोलकाता |
4. | पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद | महाराष्ट्र गुजरात गोवा, दमन एवं दीव तथा दादरा तथा नगर हवेली | मुंबई |
5. | दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद | कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल तथा पुडुचेरी | चेन्नई |
पूर्वोत्तर परिषद
उपरोक्त क्षेत्रीय परिषदों के अतिरिक्त एक पूर्वोत्तर परिषद का गठन एक अलग संसदीय अधिनियम-पूर्वोत्तर परिषद अधिनियम, 1971 द्वारा किया गया है।
इसके सदस्यों में असम, मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा तथा सिक्किम सम्मिलित हैं।
इसके कार्य कुछ अतिरिक्त कार्यों सहित वही हैं जो क्षेत्रीय परिषदों के है। यह एक एकीकृत तथा समच्वित क्षेत्रीय योजना बनाती है, जिसम साझे महत्व के विषय सम्मिलित हों। इसे समय-समय पर सदस्य राज्यों द्वारा क्षेत्र में सुरक्षा तथा सार्वजनिक व्यवस्था के रख-रखाव के लिए कदमों की समीक्षा करनी होती है।
Read more Topic:-
- अंतर्राज्यीय संबंध क्या है? सम्बंधित अनुच्छेद
- अंतरराज्यीय जल विवाद क्या है? कारण, चुनौतियाँ, अधिनियम, न्यायाधिकरण
- अंतरराज्यीय परिषद क्या है? स्थापना, समिति, कार्य, बैठक
- अंतर्राज्यीय व्यापार तथा वाणिज्य से सम्बंधित नियम क्या है?
Read more Chapter:-
- Chapter-1: संवैधानिक विकास का चरण – ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- Chapter-2: संविधान का निर्माण
- Chapter-3: भारतीय संविधान की विशेषताएं व आलोचना
- Chapter-4: संविधान की प्रस्तावना
- Chapter-5: संघ एवं इसका क्षेत्र
- Chapter-6: नागरिकता | Citizenship
- Chapter-7: मूल अधिकार | Fundamental Rights
- Chapter-8: राज्य के नीति निदेशक तत्व
- Chapter-9: मूल कर्तव्य | Fundamental Duties
- Chapter-10: संविधान का संशोधन प्रक्रिया क्या है? आलोचना व महत्व
- Chapter-11: संविधान की मूल संरचना का विकास, सिद्धांत, तत्व और सम्बंधित मामले
- Chapter-12: संसदीय व्यवस्था की परिभाषा, विशेषतायें, गुण तथा दोष
- Chapter- 13: संघीय व्यवस्था तथा एकात्मक व्यवस्था
- Chapter- 14: केंद्र-राज्य संबंध
- Chapter- 15: अंतर्राज्यीय संबंध | Interstate Relation