1930 की महामंदी | Black Tuesday | 1930-The Great Depression
अभी पूरा विश्व कोरोना वायरस की चपेट है। हर देश इसके भयावह प्रकोप से जूझ रहा है। जहां एक तरफ इस वायरस ने इंसानी जीवन उसके दिनचर्या को तहस-नहस कर रखा है वही दूसरी और पूरा विश्व आर्थिक महामंदी की तरफ अग्रसर हो रहा है। आज बहुत से सर्वे की अनुमान के तहत यह कहा जा रहा है की पूरा विश्व 1930 की तरह ही महामंदी (1930-The Great Depression) के चपेट में आ सकता है तो आइए जानते है कि 1930 की महामंदी (1930-The Great Depression) क्या है? आखिर 1930 में ऐसा क्या हुआ था कि पूरा विश्व महामंदी के चपेट में आ गया था?
इससे पहले कि हम 1930 की महामंदी (1930-The Great Depression)के बारे में बात करें पहले समझ लेते हैं आखिर मंदी क्या होती है? सरल सी भाषा में, कहे तो मंदी वो अवस्था है जब लोगों को जरुरत के साथ अन्य चीज़े को खरीदने के कैपिबिलिटी खत्म होने लग जाती है। मार्किट में सामान बिक नहीं पाता है। और इस तरह डिमांड ख़त्म हो जाती है और डिमांड ख़त्म होने से फैक्ट्रियां भी बंद होने लगती हैं और लोगों के रोजगार भी ख़त्म होने लगते हैं।
जिस तरह से आज हम देख सकते है कि कोरोना के कारण हमारा देश के साथ-साथ कई देश लॉक-डाउन की स्तिथि में है। ऐसे में जनता वही सामान खरीदते है जिसकी उन्होंने ज्यादा जरुरत होती है। क्युकिं बहुत सी कम्पनियों बंद होने के कारण लोगो की रोज़गार भी चली गयी है। ये सब महामंदी की शुरुवात होती है।
आइए अब बात करते है 1930 की मंदी (1930-The Great Depression in hindi) के बारे में –
कैसी थी वो आर्थिक मंदी (1930-The Great Depression)
- उसकी शुरुआत अमेरिका से हुई और उसने सारी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया था।
- वर्ष 1923 में अमेरिका का शेयर बाजार चढ़ना शुरू हुआ और चढ़ता ही चला गया। लेकिन 1929 तक आते-आते अस्थिरता के संकेत आने लगे।
- आखिरकार 24 अक्टूबर 1929 को एक दिन में करीब पाँच अरब डॉलर का सफाया हो गया। अगले दिन भी बाजार का गिरना जारी रहा।
- 29 अक्टूबर 1929 को अमेरिकी शेयर बाजार फिर लुढ़का और 14 अरब डॉलर का नुकसान दर्ज किया गया। बाजार बंद होने तक 12 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी थी।
- लाखों लोगों की बचत ख़तम हो गयी। इसे ब्लैक ट्यूजडे (Black Tuesday) के नाम से भी जाना जाता है।
- मांग में भारी कमी हो गई और औद्योगिक विकास के पहिये जाम हो गए। लाखों लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा। कृषि उत्पादन में भी 60 फीसदी तक की कमी हो गई।
- जुलाई 1932 तक यही सिलसिला चलता रहा जब शेयर बाजार 1929 के चरम से 89 प्रतिशत नीचे आ चुका था। शेयर को संभलने में वर्षों लगे।
क्या था कारण उस महामंदी का ?
- हालांकि 1930 की महामंदी का कोई एक कारण नहीं था, लेकिन बैंकों का विफल होना और शेयर बाजार की भारी गिरावट को प्रमुख कारण माना जाता है, जिससे शेयरधारकों के 40 अरब डॉलर का सफाया हो गया।
- अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट का इतना मनोवैज्ञानिक असर पड़ा कि वहां के लोगों ने अपने खर्चो में दस फीसदी तक की कमी कर दी जिससे मांग प्रभावित हुई। लोगों ने खरीदारी बंद कर दी, जिससे कंपनियाँ बंद होने लगीं। नौकरियाँ जाने लगी।
- मंदी की इस आँधी में 9000 बैंकों का दिवाला निकल गया। बैंक में जमा राशि का बीमा न होने से लोगों की पूँजी खत्म हो गई। जो बैंक बचे रहे उन्होंने पैसे का लेन-देन रोक दिया।
महामंदी का महाप्रभाव
- 1 करोड़ 30 लाख लोग बेरोजगार हो गए।
- 1929 से 1932 के दौरान औद्योगिक उत्पादन की दर में 45 फीसदी की गिरावट आई।
- 1929 से 1932 के दौरान आवास निर्माण की दर में 80 फीसदी तक की कमी हो गई।
- इस दौरान 5 हजार से भी अधिक बैंक बंद हो गए।
प्रमुख परिवर्तन
- साम्यवाद के प्रति बढ़ा रुझान
- फासीवाद को बढ़ावा
- शस्त्र अर्थव्यवस्था का उदय
- पूंजीवाद मजबूत हुआ
आर्थिक संकट का विश्व के प्रमुख देशों पर प्रभाव
आज भी हम देखते है जब भी अमेरिका की मुद्रा डॉलर पर कोई असर होता है तो उसके साथ पुरे विश्व की आर्थिक व्यवस्थाओं पर असर होती है। 1930 की महामंदी (1930-The Great Depression in hindi) भी अमेरिका के साथ विश्व के कई देश पर असर डालना शुरू कर दिया।
- जर्मनी पर प्रभाव – आर्थिक संकट के परिणामस्वरूप जर्मनी में बेरोजगारी अत्यधिक बढ़ी। 1932 ई. तक 60 लाख लोग बेरोजगार हो गये। इससे जर्मनी में बाह्य गणतंत्र की स्थिति दुर्बल हुईं हिटलर इसका फायदा उठाकर सत्ता में आ गया। इस प्रकार आर्थिक मंदी में जर्मनी ने नाजीवाद का शासन स्थापित किया।
- ब्रिटेन पर प्रभाव – 1931 ई. में आर्थिक मंदी के कारण ब्रिटेन को स्वर्णमान का परित्याग करना पड़ा। सरकार ने सोने का निर्यात बंद कर दिया। सरकार ने आर्थिक स्थिरीकरण की नीति अपनाई। इससे आर्थिक मंदी से उबरने में ब्रिटेन को मदद मिली। व्यापार में संरक्षण की नीति अपनाने से भी व्यापार संतुलन ब्रिटेन के पक्ष में हो गया। ब्रिटिश सरकार ने सस्ती मुद्रा दर को अपनाया जिससे बैंक दर में कमी आयी। इससे विभिन्न उद्योगों को बढ़ावा मिला।
- फ्रांस पर प्रभाव – जर्मनी से अत्यधिक क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के कारण फ्रांस की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ थी, अतः आर्थिक मंदी का उस पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ा। फ्रांस की मुद्रा फ्रेंक अपनी साख बचाये रखने में सफल रही।
- रूस पर प्रभाव –रूस में स्टालिन की आर्थिक नीतियों एवं पंचवर्षीय योजनाओं से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ थी। अतः वह भी आर्थिक मंदी से प्रभावित नहीं हुआ। इससे विश्व के समक्ष साम्यवादी व्यवस्था की मजबूती एवं पूँजीवादी व्यवस्था का खोखलापन उजागर हुआ।
- अमेरिका पर प्रभाव – अमेरिका में बेरोजगारी 15 लाख से बढ़कर 1 करोड़ 30 लाख हो गई। यूरोप में आर्थिक मंदी के कारण अमेरिका का यूरोपीय ऋण डूबने की स्थिति में आ गया। 1932 ई. के चुनाव में आर्थिक संकट के कारण रिपब्लिक पार्टी का हूवर पराजित हुआ। डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार रूसवेल्ट ने आर्थिक सुधार कार्यक्रम की घोषणा के बल पर ही चुनाव जीता।
- ऑस्ट्रेलिया पर प्रभाव आस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्था कृषि और औद्योगिक उत्पादों के निर्यात पर निर्भर थी, इसलिए उस पर सबसे अधिक असर पड़ा।
- कनाडा पर प्रभाव – कानाडा में औद्योगिक उत्पादन 58 प्रतिशत कम हो गया और राष्ट्रीय आय 55 प्रतिशत गिर गई।
- फ्रांस पर प्रभाव – फ्रांस काफी हद तक आत्मनिर्भर था इसलिए उस पर महामंदी का असर कम हुआ, लेकिन फिर भी बेरोजगारी बढ़ने से दंगे हुए और समाजवादी पापुलर फ्रंट का उदय हुआ।
- चिली, बोलिविया और पेरू जैसे लातिन अमेरिकी देशों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। एक असर ये हुआ कि वहाँ फाँसीवादी आंदोलन शुरू हो गए।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
- 1930 के आर्थिक संकट यानी महामंदी को The Great Depression के नाम से भी जाना जाता है
- इस पर ढेर सारी Books भी लिखी गयी जो कि काफी सफल भी हुई, इनमें सबसे प्रसिद्ध हुई जॉन स्टीनबेक लिखित ‘द ग्रेप्स ऑफ राथ’ जो 1939 में प्रकाशित हुई थी। इसे साहित्य का नोबेल पुरस्कार भी मिला।
- इस पर कई फिल्मे भी बनी जैसे कि हार्ड टाइम्स, गोल्ड डिगर्स ऑफ 1933, इट इज ए वंडरफुल लाइफ, क्रेडल विल रॉक, ओ ब्रदर, व्हेअर आर यू?, द पर्पल रोज ऑफ काइरो इत्यादि।
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