भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। यहां हम दिवाली पर निबंध लेकर आए हैं जिनसे आपको, दिवाली क्यों मनाते हैं? दीपावली (का अर्थ) मनाने का कारण, दिवाली का महत्व? आदि पता चलेगा। साथ ही स्कूल, कॉलेजों के छात्र भी यहां से अपनी आवश्यकता के अनुसार दीपावली पर हिन्दी निबंध चुन सकते हैं।
दिवाली पर निबंध – Diwali Essay in Hindi 2020, Essay on Diwali in Hindi
यहाँ पर हमने दीवाली पर निबंध का तीन श्रेणियों में विभाजित किया है, इसमें आप अपने मनपसंद का कोई भी निबंध लिख सकते है।
दिवाली पर हिन्दी निबंध भाग -1
दिवाली या दीपावली भारत में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्यौहार है। यह हिंदुओं का त्योहार है। इस त्यौहार को भारतवर्ष में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार दशहरा के ठीक 20 दिन बाद पड़ता है। हर साल अक्टूबर या नवंबर आता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान् राम के १४ साल बाद वनवास से लौटने की ख़ुशी में दिवाली का त्यौहार मनाया जाता हैं।
जिस दिन राम ने रावण का वध किया था उस दिन को दशहरा के रूप में मनाया जाता हैं। रावण के वध के २० दिन बात राम अपने घर लौट आये। उसी दिन भगवन राम के स्वागत में दीपक और रौशनी से घरों को सजाया गया। तब से लेकर आज भी ठीक वैसे ही आज भी हम अपने घरों को दिवाली से पहले रौशनी से सजाते हैं।
इस दिनों ऐसा महसूस होता है मानो भगवान् राम फिर से घर लौट रहे है। दिवाली पर सभी नए कपडे पहनते है। घरों में मिठाई बनाई जाती है। दिवाली के २ दिन पहले धनतेरस आता है। हिन्दू लोग धनतेरस के दिन कुछ खरीदना शुभ मानते हैं। दिवाली के दिन लक्ष्मी की पूजा की जाती हैं। यह त्यौहार बच्चों में बहुत ख़ुशी लाता हैं। लड़कियां इस दिन रंगोली बनाती हैं।
लेकिन आज की दिवाली पहले जैसी दिवाली बिलकुल नहीं रही है क्योंकि दीवाली दीपों का त्योहार है और वर्तमान दिवाली में जियो का बहुत ही कम इस्तेमाल देखने को मिलता है। अब लोग दीपक की बजाए रोशनी के लिए इलेक्ट्रॉनिक लाइट का उपयोग करते हैं। पटाखों का बहुत ज्यादा प्रयोग होने लगा है जिससे भारी प्रदूषण फैलता है। पटाखों को कई जगह प्रतिबंध भी किया गया है लेकिन फिर भी लोग नहीं मानते हैं।
हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। दिवाली खुशी का त्योहार है हमें यह त्योहार मिलजुलकर ख़ुशी से मनाना चाहिए। बहुत से गरीब लोग हैं जिनके पास पटाखे तो क्या दिए खरीदने के लिए भी पैसे नहीं है। आप जितने पैसे पटाखों में बर्बाद करते हैं उतने ही पैसे किसी गरीब को दे सकते हैं ताकि वह खुशी से दिवाली मना सकें।
दिवाली पर हिन्दी निबंध भाग -2
दीपावली दीपों का पर्व है। दीपावली का शाब्दिक अर्थ है – दीपों की या अवली माला। दीपावली के त्योहार पर हर घर के सामने दीपों की माला सजाई जाती है। यह त्योहार हर साल कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है। अमावस्या के घोर अंधकार मे दीपों की माला बड़ी प्यारी लगती है। शाम होते ही दिए जलाए जाते हैं।
दीपावली का अर्थ है दीपों की पंक्ति। दीपावली के कुछ दिन पहले से ही लोग अपने घरों की सफाई और पुताई करने में लग जाते हैं। बाजारों में कुछ दिन पहले से ही मिठाइयां, खिलौने, पटाखे, दीए आदि की दुकानें सजने लगती हैं।
यह त्यौहार 5 दिन तक चलता है। हर तरफ से सफाई, सजावट और हजारों दीपों की रोशनी की जाती है। लोग लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं।
माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे। अयोध्यावासियों का हृदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा था। श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए। कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं।
व्यापारिक दृष्टि से देखे तो दीपावली नेपाल और भारत में सबसे बड़े शॉपिंग सीजन में से एक है; इस दौरान लोग कारें और सोने के गहने आदि महंगी वस्तुएँ तथा स्वयं और अपने परिवारों के लिए कपड़े, उपहार, उपकरण, रसोई के बर्तन आदि खरीदते हैं। इस दिन बच्चे अपने माता-पिता और बड़ों से अच्छाई और बुराई या प्रकाश और अंधेरे के बीच लड़ाई के बारे में प्राचीन कहानियों, कथाओं, मिथकों के बारे में सुनते हैं।
दुनिया के अन्य प्रमुख त्योहारों के साथ ही दीवाली का पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव चिंता योग्य है। विद्वानों के अनुसार आतिशबाजी के दौरान इतना वायु प्रदूषण नहीं होता जितना आतिशबाजी के बाद। जो प्रत्येक बार पूर्व दीवाली के स्तर से करीब चार गुना बदतर और सामान्य दिनों के औसत स्तर से दो गुना बुरा पाया जाता है।
हिन्दी निबंध भाग -3
दीपावली, दिवाली या दीवाली आध्यात्मिक रूप से यह ‘अन्धकार पर प्रकाश की विजय’ को दर्शाता है। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्हात् (हे भगवान!) मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाइए। यह उपनिषदों की आज्ञा है। दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है।
दीपावली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों ‘दीप’ अर्थात ‘दिया’ व ‘आवली’ अर्थात ‘लाइन’ या ‘श्रृंखला’ के मिश्रण से हुई है। इसके उत्सव में घरों के द्वारों, घरों व मंदिरों पर लाखों प्रकाशकों को प्रज्वलित किया जाता है। दीवाली का उल्लेख पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में भी मिलता है। माना जाता है दीये (दीपक) को स्कन्द पुराण में सूर्य के हिस्सों का प्रतिनिधित्व करने वाला माना गया है, सूर्य जो जीवन के लिए प्रकाश और ऊर्जा का लौकिक दाता है।
माना जाता है कि दीपावली के दिन यह त्योहार भगवान् राम और सीता के वनवास के 14 वर्ष पुरे होने के बाद लौटने का भी प्रतीक है। श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए। कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। कुछ क्षेत्रों में हिन्दू दीवाली को यम और नचिकेता की कथा के साथ भी जोड़ते हैं। नचिकेता की कथा जो सही बनाम गलत, ज्ञान बनाम अज्ञान, सच्चा धन बनाम क्षणिक धन आदि के बारे में बताती है; पहली सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व उपनिषद में लिखित है।
दीपावली को हिंदू, जैन और सिखों द्वारा मनायी जाती है लेकिन वे सब बुराई पर अच्छाई, अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और निराशा पर आशा की विजय के दर्शाते हैं। हिन्दू धर्म मानने वाले इस दिन धन और समृद्धि की देवी – लक्ष्मी या एक से अधिक देवताओं की पूजा करते है। दीवाली की रात को, आतिशबाजी आसमान को रोशन कर देती है। बाद में, परिवार के सदस्य और आमंत्रित मित्रगण भोजन और मिठायों के साथ रात को दीपावली मनाते हैं।
निष्कर्ष
दीवाली का त्यौहार भारत में एक प्रमुख खरीदारी की अवधि का प्रतीक है। इस त्योहार पर खर्च और ख़रीद को शुभ माना जाता है क्योंकि लक्ष्मी को, धन, समृद्धि, और निवेश की देवी माना जाता है। एक अनुमान के अनुसार प्रत्येक वर्ष दीवाली के दौरान पांच हज़ार करोड़ रुपए के पटाखों आदि की खपत होती है।
हिन्दुओं के योग, वेदान्त, और सांख्य दर्शन में यह विश्वास है कि इस भौतिक शरीर और मन से परे वहां कुछ है जो शुद्ध, अनन्त, और शाश्वत है जिसे आत्मन् या आत्मा कहा गया है। दीवाली, आध्यात्मिक अन्धकार पर आन्तरिक प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई का उत्सव है।
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