सूर्याघात, जिसे उष्माघात भी कहते हैं,एक जीवन-घातक दशा है जिसमें शरीर का उष्मा-नियंत्रक तंत्र उच्च तापमानों से सामना होने पर काम करना बंद कर देता है।ऐसा तब होता है जब भीषण गतिविधि या बहुत गर्म वातावरण के कारण शरीर अपने भीतर की अतिरिक्त गर्मी से छुटकारा पाने में असमर्थ हो जाता हैं।ऊचे तापमानों के कारण शरीर के प्रमुख अवयव काम करना बंद कर देते हैं।
उष्माघात गर्मी से संबंधित समस्याओं में सबसे गंभीर है,जो अकसर गर्म वातावरणों में अपर्याप्त द्रव सेवन के साथ कसरत या भारी काम करने के परिणामस्वरूप होता हैं।
सूर्याघात किसे होता है ?
हालांकि सूर्याघात किसी को भी हो सकता है फिर भी कुछ लोग अधिक संवेदनशील होते हैं। इनमें बच्चे,एथलीट,मधुमेह के रोगी,शराबी और ऐसे लोग जिन्हें भीषण गर्मी और धूप की आदत नहीं हो,शामिल हैं। कुछ दवाइया भी उष्माघात होने की संभावना बढ़ा देती है।
सूर्याघात के चिन्ह और लक्षण क्या हैं?
आतपघात का मुख्य चिन्ह है,व्यक्तित्व में परिवर्तन से लेकर भ्रांति और कोमा तक मानसिक स्थिति में बदलावों के साथ शरीर के तापमान का अत्यधिक बढ़ जाना (104 डिग्री फा. से अधिक).त्वचा गर्म और सूखी रह सकती है –यद्यपि कसरत से उत्पन्न उष्माघात में त्वचा गीली रह सकती हैं।
अन्य चिन्ह और लक्षणों में शामिल हैं:
- तेज हृदयगति/ नाड़ी
- तेज और उथली श्वासक्रिया
- उच्च या कम रक्तचाप
- पसीने का बंद हो जाना
- चिड़चिड़ापन,भ्रांति या बेहोशी
- चक्कर आना या सिर का हल्कापन
- सिरदर्द
- मतली (उल्टी)
- मूर्च्छा,जो अधिक उम्र के वयस्कों में पहला चिन्ह हो सकता है
यदि सूर्याघात बना रहा तो निम्न गंभीर लक्षण हो सकते हैं
- मानसिक भ्रम
- अतिसंवातन
- शरीर में ऐठन
- भुजाओं और पैरों में दर्दमय आकुंचन
- दौरे
- कोमा
प्राथमिक उपचार
- रोगी को धूप से हटाकर छांव या वातानुकूलित स्थान में ले जाएं]
- रोगी को लिटा दें और पैरों को जरा सा ऊंचा उठा दें।
- कपड़ों को ढीला कर दें या निकाल दें।
- पीने को ठंडा पानी या अन्य बिना शराबवाला या कैफीन रहित पेय दें।
- ठंडे पानी का स्प्रे या स्पंज करके रोगी को ठंडा करें।
- रोगी की ध्यानपूर्वक निगरानी करें.आतपश्रांति तेजी से उष्माघात में बदल सकती हैं।
यदि ज्वर 102 डिग्री फा. से अधिक हो जाय,और मूर्च्छा,भ्रांति या दौरे पड़ने लगें तो तुरंत आपात्कालीन डाक्टरी मदद लें।
सूर्याघात की रोकथाम कैसे करें ?
सूर्याघात से बचने का लिये,बड़ी मात्रा में तरल पदार्थ पियें और घर के बाहर की गतिविधियों के समय शरीर को सामान्य तापमान पर रखें.शराब और कैफीन से दूर रहें क्यौंकि उनसे निर्जलीकरण हो सकता है. हल्के रंग के और ढीले कपड़े पहनें तथा द्रव पीने और शरीर का जलस्तर बनाए रखने के लिये ब्रेक लेते रहें.
Source:- vikaspedia.in
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