By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
Times DarpanTimes DarpanTimes Darpan
  • Home
  • Politics
  • Constitution
  • National
  • Bookmarks
  • Stories
Times DarpanTimes Darpan
  • Home
  • Politics
  • Constitution
  • National
  • Bookmarks
  • Stories
Search
  • Home
  • Politics
  • Constitution
  • National
  • Bookmarks
  • Stories
Have an existing account? Sign In
Follow US
© 2024 Times Darpan Academy. All Rights Reserved.

नीतिशास्त्र क्या है ? नैतिकता के पहलू का वर्णन करें

Times Darpan
Last updated: 2021-07-25 11:58
By Times Darpan 2.8k Views
Share
9 Min Read
नीतिशास्त्र क्या है ? नैतिकता के पहलू का वर्णन करें

नीतिशास्त्र की परिभाषा अनेक प्रकार से की गई है। परिभाषा का प्रयोजन इसके विषय को संक्षेप में किन्तु पूर्णतः वर्णित करना है। यद्यपि नीतिशास्त्र की अनेक परिभाषाएँ हैं किन्तु उन सभी में एक समान धारा प्रवाहित है। वे वास्तव में नीतिशास्त्र को समझने के विभिन्न मार्ग हैं। हम अपना विवेचन नीतिशास्त्र की कुछ सामान्य परिभाषाओं से आरंभ करेंगे। इन परिभाषाओं में हमें नीतिशास्त्र की व्यापक जानकारी मिलेगी जिससे हम नैतिक प्रश्नों और मुद्दों को उचित परिप्रेक्ष्य में देख (समझ) पाएँगे।

Contents
नीतिशास्त्र क्या है ?नैतिकता के पहलू1. विषय वस्तु के आधार पर नैतिक निर्णयन2. रूप व मनोवृत्ति पर आधारित नैतिक निर्णयः सही और उत्तमनिष्कर्ष नीतिशास्त्र

नीतिशास्त्र क्या है ?

एक सामान्य परिभाषा के अनुसार “नीतिशास्त्र, क्रिया-कलापों (कार्यों) के सही और गलत ठहराने के प्रतिमानों या मानकों का अध्ययन करता है। प्रतिमानों या मानकों को मानदण्ड या सिद्धान्त भी कहते हैं। नीति निर्णय नैतिक कार्यों को सही या गलत बताते हैं, या मानवीय उद्देश्यों, अभिप्रेरकों (motives) एवं लक्ष्यों को अच्छा या बुरा निर्णीत करते हैं। हम लोग अक्सर अनेक विभिन्न स्थितियों में नैतिक निर्णयन करते हैं।”

एक सरल उदाहरण के तौर पर हम देखते हैं कि ‘राम’ अपने पड़ोसी ‘श्याम’ को अपना पर्स भूल से छोड़ कर जाते हुए देख लेता है। ‘ राम ‘ को पर्स और धन अपने पास रख लेने का बहुत लालच आता है किन्तु वह इस लालच का मुकाबला करता है। ऐसा करने में वह नीतिशास्त्रीय निर्णय करता है, अर्थात् जो हमारा अपना नहीं है, उसे लेना गलत (अनुचित) है। यह उदाहरण एक सरल-सी नैतिक (नीतिशास्त्रीय) समस्या को प्रस्तुत करता है। इस परिदृश्य से नीतिशास्त्र को मानव के सामने आने वाली नैतिक समस्याओं का अध्ययन भी माना जा सकता है।

दूसरा विचार यह है कि नीतिशास्त्र ऐसे कार्यों (आचरणों) को देखने का काम करता है जो सही या गलत माने जाते हैं। आचरण (कार्य) को नीतिशास्त्र में ‘नैतिक जीवन’ बताया गया है। इस विचार पर प्रकाश डालते हुए हम यह कह सकते हैं कि नीतिशास्त्र सही या गलत, बुरे या अच्छे के दृष्टिकोण से देखे गए आचरण के विषय में हमारे निर्णयों का व्यवस्थित ब्यौरा देता है। ये निर्णय दो रूप ले लेते हैं।

  • निर्णय का एक प्रकार अलग-अलग घटनाओं या कार्यों में या केवल अलग-अलग या विशिष्ट कार्यों में यथा प्रदर्शित आचरण के बारे में है।
  • निर्णय का दूसरा प्रकार किसी खास प्रकार के कार्यों के लिए नहीं है अपितु यह मानव उत्प्रेरकों, उद्देश्यों और कर्मों (कार्यों) को नैतिक दृष्टि से मूल्यांकित करने के लिए उपयुक्त मानकों या मानदण्डों के चयन के सम्बन्ध में है।

नैतिकता के पहलू

नीतिशास्त्रीय दार्शनिक अक्सर नैतिकता (नीतिशास्त्र) के दो अलग-अलग पर अंतसंम्बन्धित पहलुओं पर चर्चा करते हैं। ये हैं-

  1. कार्य या अभिप्राय (इरादा), तथा
  2. कोई कार्य कैसे और क्यों किया जाता है।

नैतिक (नीतिशास्त्रीय) निर्णय में दोनों बातों पर विचार किया जाता है; क्या किया जाता है या मंशा थी तथा कार्य कैसे और क्यों किया गया है।

नैतिक-शास्त्र के पुराने ग्रंथ निम्न दो पहलु का उल्लेख करते हैं:-

  • नैतिकता की ‘सामग्री’ (matter) या ‘विषय-वस्तु’ तथा
  • नैतिकता को ‘रूप’ (form) या ‘अभिरुचि’ (attitude)

इन दो प्रकारों को हम नीचे दी गई सारणी से दिखा सकते हैं:

1. विषय वस्तु के आधार पर नैतिक निर्णयन

नैतिकताओं की विषय-वस्तु पर आधारित नैतिक निर्णय दो दृष्टिकोणों –

निर्णयन 1. मानव के अपने मन के ‘उच्चतर’ (Higher) और ‘निम्नतर’ (lower); तथा

पहला परिदृश्य भावना के जीवन तथा हाड़-मांस (शरीर) के जीवन, सूक्ष्मता से स्थूलतर तथा उदात्त से अधमतर के बीच तुलना का है। ये दो परस्पर विरोधी प्रवृत्तियाँ मानव प्रकृति का हिस्सा हैं। आक्रमण (आक्रामकता), आत्म-परिरक्षण एवं प्रजनन हेतु नैसर्गिक प्रवृत्ति के बिना मानव जाति समाप्त हो जाती। किन्तु अपनी पूरी सामर्थ्य को अनुभव करने के लिए मानव को इन मनोभावों तथा आवेगों को अन्य प्रेरकों से नियन्सि करना है। मानसिक व नैतिक अनुशासन की प्रक्रिया के माध्यम से उच्चतर या आदर्श रुचियों का अनुसरण कर मानव अपनी (वैचारिक) जिन्दगी को सर्वोत्तम बना सकता है।

निर्णयन 2. उसके दूसरों के प्रति व्यवहार पर आधारित है।

नैतिक निर्णय करने के लिए दूसरा दृष्टिकोण अन्यों के प्रति व्यवहार से सम्बन्धित नैतिकताओं की विषय-वस्तु पर आधारित है। इस संकल्पना में न्याय, उदारता तथा ईसाइयत का सुनहरी नियम (दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करो जैसा कि तुम चाह हो कि तुम्हारे साथ हो) सही और उत्तम हैं। अन्याय, क्रूरता, स्वार्थ गलत और बुरे हैं। एक-दूसरे के विपरीत ये गुण सद्गुण एवं अवगुण कहलाते हैं।

2. रूप व मनोवृत्ति पर आधारित नैतिक निर्णयः सही और उत्तम

जब हम किसी आचरण को सही कहते हैं तो हम उसका निर्णय करते हैं। हम उसे एक मानक के संदर्भ में देखते हैं और उसका मूल्यांकन करते हैं। हम इस मानक को ‘नैतिक नियम’ (Moral law) मान लेते हैं जिसका हमें पालन करना चाहिए। हम इसके प्राधिकार को सम्मान देते हैं। हम मानक को अपने मनोवेगों और इच्छाओं पर नियन्त्रण रखने वाला) मानते हैं। शुद्ध अन्तःकरण वाले लोग वे हैं जो ऐसे नियमों को मानते और अपना कर्तव्य पालन करते हैं।

जब हम किसी आचरण को अच्छा मानते हैं तो हम इसे मूल्य के दृष्टिकोण (आधार-बिन्दु) से देखते हैं। हम यह सोच रहे होते हैं कि अपेक्षित क्या है। यह एक मानक भी है लेकिन यह मानक (पालन किए जाने वाले) कानून की अपेक्षा एक अनुसरित लक्ष्य माना गया है। नैतिक कर्त्ताओं को इसे ‘चुनना होगा और इसको आदर्श मानना होगा। इस दृष्टिकोण से देखने पर शुद्ध अन्तःकरण वाला व्यक्ति, मनोवेग का अनुसरण करने या उन पर ध्यान दिए बिना किसी शुभ दीखने वाले को स्वीकार करने की बजाय वास्तविक शुभ (अच्छा) को पाने का प्रयास करेगा।

चूँकि वह आदर्शों से दिशा-निर्देशित होता है, भला व्यक्ति निष्कपट होगा और ईमानदार होगा इसका तात्पर्य यह है कि वह दण्ड के डर से या रिश्वत लेकर अच्छाई (सत्कार्य) करने क लिए तैयार नहीं होगा बल्कि एक सच्चे आदमी होने के नाते सिद्धान्तों के प्रति आदर, कर्त्तव्य के बोध से संचालित होगा।

निष्कर्ष नीतिशास्त्र

नीतिशास्त्र का सम्बन्ध व्यावहारिक जीवन से है और यह केवल सिद्धान्त ही नहीं है। यह आदर्शक है (नियामक है) तथा आदर्श आचरण को तय करने के लिए नियम या विधि निर्धारित करता है। नीतिशास्त्र केवल नैतिक जीवन के तथ्यों से ही सम्बन्धित नहीं है अपितु यह नैतिक जीवन के नियमों से भी सरोकार रखता है। परवर्ती अध्ययन, समाजशास्त्र का भाग है जो समाजों के सामान्य ढाँचों ( संरचनाओं) से सम्बन्ध रखता है। बाद वाला अध्ययन नीतिशास्त्र है।

समाजशास्त्र एक सकारात्मक (या विवरणात्मक) विज्ञान है; नीतिशास्त्र एक नियामक (या निर्धारक) विज्ञान है, किन्तु इतना जरूर है कि नीतिशास्त्र की बात करते हुए हम उन नैतिकताओं को अनदेखा नहीं कर सकते जिनका पालन समाज वास्तव में करता है। प्रशासनिक संदर्भों में नीतिशास्त्र के प्रति सोच व्यवहारिक होनी चाहिए। यह वास्तविक जीवन में प्रशासन का कार्य करते हुए नियामक या नियमों पर आधारित होना चाहिए तथा नैतिक क्रीड़ाओं, पहेलियों या दुर्बोध सैद्धान्तिक प्रणालियों पर नहीं।

Related Post:

  • Rights: अर्थ और सिद्धांत,अधिकार की बहुमूल्य अवधारणा
  • UPSC Mains GS Paper- IV Syllabus
  • Human Rights क्या है? मानव अधिकारों के 09 मुख्य की विशेषताएं
  • भारत के कृषि क्षेत्र | कृषि समस्याएँ | Farming in India
  • NCERT Pdf download
TAGGED:UPSC GS Paper 4
Share This Article
Facebook Twitter Copy Link Print
Share
Previous Article आपूर्ति किसे कहते हैं, इसके निर्धारक, नियम और अपवाद आपूर्ति किसे कहते हैं, इसके निर्धारक, नियम और अपवाद
Next Article मानव कार्यों (नैतिक क्रियाकलापों) को समझने में प्रयुक्त अवधारणाएँ मानव कार्यों (क्रियाकलापों) को समझने में प्रयुक्त अवधारणाएँ
Leave a comment Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Article

Metamorphism
मेढक का जीवन चक्र और उससे संबंधित पूछे जाने वाली प्रश्न
MISC Tutorials
Tick life cycle
टिक का लाइफ चक्र तथा उससे सम्बंधित पूछें जाने वाले प्रश्न
MISC Tutorials Science and Tech
टोक्सोप्लाज्मा गोंडी जीवन चक्र तथा उससे सम्बंधित पूछें जाने वाले 3 प्रश्न
Science and Tech
photo-1546548970-71785318a17b
Vitamin C की कमी के 5 चेतावनी संकेत
MISC Tutorials
Population Ecology
Population क्या होता है? इसके संबंधित विषयों की चर्चा
Eco System
Times Darpan

Times Darpan website offers a comprehensive range of web tutorials, academic tutorials, app tutorials, and much more to help you stay ahead in the digital world.

  • contact@edu.janbal.org

Introduction

  • About Us
  • Terms of use
  • Advertise with us
  • Privacy policy
  • My Bookmarks

Useful Collections

  • NCERT Books
  • Full Tutorials

Always Stay Up to Date

Join us today and take your skills to the next level!
Join Whatsapp Channel
© 2024 edu.janbal.org All Rights Reserved.
Go to mobile version
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?