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राष्ट्रपति की शक्तियां व कर्तव्य क्या है?

Times Darpan
Last updated: 2022-10-28 23:13
By Times Darpan 681 Views
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10 Min Read
राष्ट्रपति की शक्तियां व कर्तव्य

इस लेख में राष्ट्रपति की शक्तियां व कर्तव्य से सम्बंधित चर्चा की गयी है।

Contents
राष्ट्रपति की शक्तियां व कर्तव्य1. कार्यकारी शक्तिया2. विधायी शक्तियां3. वित्तीय शक्तियां4. न्यायिक शक्तियां5. कूटनीतिक शक्तियां6. सैन्य शक्तियां7. आपातकालीन शक्तियांRead more Chapter:-

राष्ट्रपति की शक्तियां व कर्तव्य

राष्ट्रपति द्वारा प्रयोग की जाने वाली शक्तियां व किए जाने वाले कार्य (राष्ट्रपति की शक्तियां व कर्तव्य) निम्नलिखित हैं:

  • कार्यकारी शक्तियां
  • विधायी शक्तियां
  • वित्तीय शक्तियां
  • न्यायिक शक्तियां
  • कूटनीतिक शक्तिया
  • सैन्य शक्तियां
  • आपातकालीन शक्तिया

1. कार्यकारी शक्तिया

राष्ट्रपति की कार्यकारी शक्तिया व कार्य हैं:

i. शासन संबंधी शक्तियां

  • भारत सरकार के सभी शासन संबंधी कार्य उसके नाम पर किए जाते हैं।
  • वह नियम बना सकता है ताकि उसके नाम पर दिए जाने वाले आदेश और अन्य अनुदेश वैध हों।
  • वह ऐसे नियम बना सकता है जिससे केंद्र सरकार सहज रूप से कार्य कर सके तथा मंत्रियों को उक्त कार्य सहजता से वितरित हो सकें।

ii. नियुक्ति संबंधी शक्तियां

  • प्रधानमंत्री तथा अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है
  • महान्यायवादी की नियुक्ति करता है
  • भारत के महानियंत्रक व महालेखा परीक्षक,
  • मुख्य चुनाव आयुक्त तथा अन्य चुनाव आयुक्तों,
  • संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों,
  • राज्य के राज्यपालों,
  • वित्त आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों आदि की नियुक्ति करता है।
  • अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़े वर्गों के लिए एक आयोग की नियुक्ति
  • केंद्र-राज्य तथा विभिन्न राज्यों के मध्य सहयोग के लिए एक अंतर्राज्यीय परिषद की नियुक्ति

iii. प्रशासनिक कार्यों संबंधी शक्तियां

  • वह केंद्र के प्रशासनिक कार्यों और विधायिका के प्रस्तावों से संबंधित जानकारी की मांग प्रधानमंत्री से कर सकता है।
  • प्रधानमंत्री से किसी ऐसे निर्णय का प्रतिवेदन भेजने के लिये कह सकता है, जो किसी मंत्री द्वारा लिया गया हो, किंतु पूरी मंत्रिपरिषद ने इसका अनुमोदन नहीं किया हो।
  • वह स्वयं द्वारा नियुक्त प्रशासकों के द्वारा केंद्रशासित राज्यों का प्रशासन सीधे संभालता है।
  • वह किसी भी क्षेत्र को अनुसूचित क्षेत्र चोषित कर सकता है। उसे अनुसूचित क्षेत्रों तथा जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन की शक्तियां प्राप्त हैं।

2. विधायी शक्तियां

राष्ट्रपति भारतीय संसद का एक अभिन्न अंग है तथा उसे निम्नलिखित विधायी शक्तियां प्राप्त हैं:

i. अधिवेशन संबंधी शक्तियां

  • वह संसद की बैठक बुला सकता है अथवा कुछ समय के लिए स्थगित कर सकता है
  • लोकसभा को विघटित कर सकता है।
  • वह संसद के संयुक्त अधिवेशन का आह्वान कर सकता है जिसकी अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करता है।
  • वह प्रत्येक नए चुनाव के बाद तथा प्रत्येक वर्ष संसद के प्रथम अधिवेशन को संबोधित कर सकता है।

ii. संसद सदस्यों संबंधी शक्तियां

  • यदि लोकसभा के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोनों के पद रिक्त हों तो वह लोकसभा के किसी भी सदस्य को सदन की अध्यक्षता सौंप सकता है।
  • यदि राज्यसभा के सभापति व उप-सभापति दोनों पद रिक्त हों तो वह राज्यसभा के किसी भी सदस्य को सदन की अध्यक्षता सौंप सकता है।
  • वह साहित्य, विज्ञान, कला व समाज सेवा से जुड़े अथवा जानकार व्यक्तियों में से ।2 सदस्यों को राज्यसभा के लिए मनोनीत करता है।
  • वह लोकसभा में दो आंग्ल-भारतीय समुदाय के व्यक्तियों को मनोनीत कर सकता है।
  • वह चुनाव आयोग से परामर्श कर संसद सदस्यों की निरहता के प्रश्न पर निर्णय करता है।

iii. विधेयक संबंधी शक्तियां

  • वह संसद में लंबित किसी विधेयक या अन्यथा किसी संबंध में संसद को संदेश भेज सकता है।
  • संसद में कुछ विशेष प्रकार के विधेयकों को प्रस्तुत करने के लिए राष्ट्रपति की सिफारिश अथवा आज्ञा आवश्यक है।
  • जब एक विधेयक संसद द्वारा पारित होकर राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है तो वहः
    • विधेयक को अपनी स्वीकृति देता है; अथवा
    • विधेयक पर अपनी स्वीकृति सुरक्षित रखता है; अथवा
    • विधेयक को (यदि वह धन विधेयक नहीं है तो) संसद के पुनर्विचार के लिए लौटा देता है।

हालांकि यदि संसद विधेयक को संशोधन या बिना किसी संशोधन के पुन: पारित करती है तो राष्ट्रपति की अपनी सहमति देनी ही होती है।

iv. राज्य विधायिका संबंधी शक्तियां

राज्य विधायिका द्वारा पारित किसी विधेयक को राज्यपाल जब राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखता है तब राष्ट्रपति:

  • विधेयक को अपनी स्वीकृति देता है; अथवा
  • विधेयक पर अपनी स्वीकृति सुरक्षित रखता है, अथवा;
  • राज्यपाल को निर्देश देता है कि विधेयक (यदि वह धन विधेयक नहीं है तो) को राज्य विधायिका को पुनर्विचार हेतु लौटा दे।

यह ध्यान देने की बात है कि यदि राज्य विधायिका विधेयक को पुनः राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेजती है तो राष्ट्रपति स्वीकृति देने के लिए बाध्य नहीं है।

v. अध्यादेश संबंधी शक्तियां

  • वह संसद के सत्रावसान की अवधि में अध्यादेश जारी कर सकता है।
  • यह अध्यादेश संसद की पुन: बैठक के छह हफ्तो के भीतर संसद द्वारा अनमोदित करना आवश्यक है।
  • वह किसी अध्यादेश को किसी भी समय वापस ले सकता है।

vi. अन्य शक्तियां

  • वह महानियंत्रक व लेखा परीक्षक संघ लोक सेवा आयोग, वित्त आयोग व अन्य की रिपोर्ट संसद के समक्ष रखता है।
  • वह अंडमान व निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, दादरा एवं नागर हवेली तथा दमन व दीव में शांति, विकास व सुशासन के लिए विनियम बना सकता है।
  • पुडुचेरी के लिए भी वह नियम बना सकता है परंतु केवल तब जब वहां की विधानसभा निलंबित हो अथवा विघटित अवस्था में हो।

3. वित्तीय शक्तियां

राष्ट्रपति की वित्तीय शक्तियां व कार्य निम्नलिखित हैं:

  • धन विधेयक राष्ट्रपति की पूर्वानुमति से ही संसद में प्रस्तुत किया जा सकता है।
  • वह वार्षिक वित्तीय विवरण (केंद्रीय बजट) को संसद के समक्ष रखता है।
  • अनुदान की कोई भी मांग उसकी सिफारिश के बिना नहीं की जा सकती है।
  • वह भारत की आकस्मिक निधि से, किसी अदृश्य व्यय हेतु अग्रिम भुगतान की व्यवस्था कर सकता है।
  • वह राज्य व केंद्र के मध्य राजस्व के बंटवारे के लिए प्रत्येक पांच वर्ष में एक वित्त आयोग का गठन करता है।

4. न्यायिक शक्तियां

राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियां व कार्य निम्नलिखित हैं:

वह उच्चतम न्यायालय से किसी विधि या तथ्य पर सलाह ले सकता है परंतु उच्चतम न्यायालय की यह सलाह राष्ट्रपति पर बाध्यकारी नहीं है।

वह किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध किसी व्यक्ति के लिए दण्डदेश को निलंबित, माफ या परिवर्तित कर सकता है, या दण्ड में क्षमादान, प्राणदण्ड स्थगित, राहत और माफी प्रदान कर सकता है।

  • उन सभी मामलों में, जिनमें सजा सैन्य न्यायालय में दी गई हो,
  • उन सभी मामलों में, जिनमें केंद्रीय विधियों के विरत अपराध के लिए सजा दी गई हो, और स. उन सभी मामलों में, जिनमें दंड का स्वरूप प्राण के हो।

5. कूटनीतिक शक्तियां

अंतर्राष्ट्रीय संधियां व समझौते राष्ट्रपति के नाम पर किए जाते है हालांकि इनके लिए संसद की अनुमति अनिवार्य है। वह अंतर्राष्ट्रीय मंचों व मामलों में भारत का प्रतिनिधित्व करता है और कूटनीतिज्ञों जैसे-राजदूतों व उच्चायुक्तों को भेजता है एवं उनका स्वागत करता है।

6. सैन्य शक्तियां

वह भारत के सैन्य बलों का सर्वोच्च सेनापति होता है। इस क्षमता में वह थल सेना, जल व वायु सेना के प्रमुखों की नियुक्ति करता है। वह युद्ध या इसकी समाप्ति की घोषणा करता है किंतु यह संसद की अनुमति के अनुसार होता है।

7. आपातकालीन शक्तियां

आपातकालीन शक्तियां उपरोक्त साधारण शक्तियों के अतिरिक्त संविधान ने राष्ट्रपति को निम्नलिखित तीन परिस्थितियों में आपातकालीन शक्तियां भी प्रदान की हैं:

  • राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352);
  • राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356 तथा 365), एवं;
  • वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360)।

Read more Topic:-

  • भारत का राष्ट्रपति की संवैधानिक स्थिति तथा संबंधित अनुच्छेद
  • क्या है राष्ट्रपति का निर्वाचन की पूरी प्रक्रिया
  • राष्ट्रपति के वेतन एवं पेंशन, पदावधि, तथा प्राप्त विशेषाधिकार
  • राष्ट्रपति के पद की रिक्तता तथा महाभियोग
  • राष्ट्रपति की वीटो शक्ति क्या है तथा यह जरुरी क्यों है?
  • राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति
  • राष्ट्रपति की क्षमादान करने की शक्तियाँ

Read more Chapter:-

  • Chapter-1: संवैधानिक विकास का चरण – ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
  • Chapter-2: संविधान का निर्माण
  • Chapter-3: भारतीय संविधान की विशेषताएं व आलोचना
  • Chapter-4: संविधान की प्रस्तावना
  • Chapter-5: संघ एवं इसका क्षेत्र
  • Chapter-6: नागरिकता | Citizenship
  • Chapter-7: मूल अधिकार | Fundamental Rights
  • Chapter-8: राज्य के नीति निदेशक तत्व
  • Chapter-9: मूल कर्तव्य | Fundamental Duties
  • Chapter-10: संविधान का संशोधन प्रक्रिया क्या है? आलोचना व महत्व
  • Chapter-11: संविधान की मूल संरचना का विकास, सिद्धांत, तत्व और सम्बंधित मामले
  • Chapter-12: संसदीय व्यवस्था की परिभाषा, विशेषतायें, गुण तथा दोष
  • Chapter-13: संघीय व्यवस्था तथा एकात्मक व्यवस्था
  • Chapter-14: केंद्र-राज्य संबंध
  • Chapter-15: अंतर्राज्यीय संबंध | Interstate Relation
  • Chapter-16: आपातकालीन प्रावधान | Emergency Provision
  • Chapter-17: भारत का राष्ट्रपति | President of India
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