इस लेख में राष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान, राष्ट्रपति के वेतन एवं पेंशन, राष्ट्रपति को प्राप्त विशेषाधिकार, राष्ट्रपति की पदावधि से सम्बंधित चर्चा की गयी है।
राष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
राष्ट्रपति पद ग्रहण करने से पूर्व शपथ या प्रतिज्ञान लेता है। अपनी शपथ में राष्ट्रपति शपथ लेता है, मैं;
- श्रद्धापूर्वक राष्ट्रपति पद का कार्यपालन करूंगा;
- संविधान और विधि का परिरक्षण, संरक्षण और प्रतिरक्षण करूंगा, और;
- भारत की जनता की सेवा और कल्याण में निरत रहूंगा।
उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और उसकी अनुपस्थिति में वरिष्ठतम न्यायाधीश द्वारा राष्ट्रपति को पद की शपथ दिलाई जाती है। अन्य किसी भी व्यक्ति को जो राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है अथवा राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वाह करता है, इसी प्रकार शपथ लेनी होती है।
राष्ट्रपति के वेतन एवं पेंशन
- 2018 संसद ने राष्ट्रपति का वेतन रु. 1.50 लाख माह से बढ़ाकर रु. 08 लाख प्रतिमाह कर दिया।
- वर्ष 2008 में राष्ट्रपति की पेंशन रु. 00 लाख सालाना से बढ़ाकर उनके प्रतिमाह के वेतन का 50 प्रतिशत कर दी गई थी।
- इसके अलावा भृतपूर्व राष्ट्रपतियों को पूर्ण सुसज्जित आवास, फोन की सुविधा, कार, चिकित्सा सुविधा, यात्रा सुविधा, सचिवालयीन स्टाफ एवं 1,00,000 हजार रूपये प्रतिवर्ष तक कार्यालयीन खर्च मिलता है।
- राष्ट्रपति के निधन के बाद उनके पति/पत्नी को परिवार पेंशन मिलती है, जो कि राष्ट्रपति को मिलने वाली पेंशन से आधी होती है।
इसके अलावा उन्हें पूर्ण सुसज्जित आवास, फोन की सुविधा, कार, चिकित्सा सुविधा, यात्रा सुविधा, सचिवालयीन स्टाफ एवं 20 हजार रुपये प्रतिवर्ष तक कार्यालयीन खर्च मिलता है।’
राष्ट्रपति को प्राप्त विशेषाधिकार
राष्ट्रपति को अनेक विशेषाधिकार भी प्राप्त हैं।
- उसे अपने आधिकारिक कार्यों में किसी भी विधिक जिम्मेदारियों से उन्मुक्ति होती है।
- अपने कार्यकाल के दौरान उसे किसी भी आपराधिक कार्यवाही से उन्मुक्ति होती है, यहां तक कि व्यक्तिगत कृत्य से भी।
- वह गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, न ही जेल भेजा जा सकता है,
हालांकि दो महीने के नोटिस देने के बाद उसके कार्यकाल में उस पर उसके निजी कृत्यों के लिए अभियोग चलाया जा सकता है।
राष्ट्रपति की पदावधि
राष्ट्रपति की पदावधि उसके पद धारण करने की तिथि से पांच वर्ष तक होती है। हालांकि वह अपनी पदावधि में किसी भी समय अपना त्याग-पत्र उप-राष्ट्रपति को दे सकता है। इसके अतिरिक्त, उसे कार्यकाल पूरा होने के पूर्व महाभियोग चलाकर भी उसके पद से हटाया जा सकता है।
जब तक उसका उत्तराधिकारी पद ग्रहण न कर ले राष्ट्रपति अपन पाच वर्ष के कार्यकाल के उप-रांत भी पद पर बना रह सकता है। वह इस पद पर पुन: निर्वाचित हो सकता है। वह कितनी ही बार पुनः निर्वाचित हो सकता है हालांकि अमेरिका में एक व्यक्ति दो बार से अधिक राष्ट्रपति नहीं बन सकता।
Read more Topic:-
- भारत का राष्ट्रपति की संवैधानिक स्थिति तथा संबंधित अनुच्छेद
- क्या है राष्ट्रपति का निर्वाचन की पूरी प्रक्रिया
- राष्ट्रपति के पद की रिक्तता तथा महाभियोग
- राष्ट्रपति की शक्तियां व कर्तव्य क्या है?
- राष्ट्रपति की वीटो शक्ति क्या है तथा यह जरुरी क्यों है?
- राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति
- राष्ट्रपति की क्षमादान करने की शक्तियाँ
Read more Chapter:-
- Chapter-1: संवैधानिक विकास का चरण – ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- Chapter-2: संविधान का निर्माण
- Chapter-3: भारतीय संविधान की विशेषताएं व आलोचना
- Chapter-4: संविधान की प्रस्तावना
- Chapter-5: संघ एवं इसका क्षेत्र
- Chapter-6: नागरिकता | Citizenship
- Chapter-7: मूल अधिकार | Fundamental Rights
- Chapter-8: राज्य के नीति निदेशक तत्व
- Chapter-9: मूल कर्तव्य | Fundamental Duties
- Chapter-10: संविधान का संशोधन प्रक्रिया क्या है? आलोचना व महत्व
- Chapter-11: संविधान की मूल संरचना का विकास, सिद्धांत, तत्व और सम्बंधित मामले
- Chapter-12: संसदीय व्यवस्था की परिभाषा, विशेषतायें, गुण तथा दोष
- Chapter-13: संघीय व्यवस्था तथा एकात्मक व्यवस्था
- Chapter-14: केंद्र-राज्य संबंध
- Chapter-15: अंतर्राज्यीय संबंध | Interstate Relation
- Chapter-16: आपातकालीन प्रावधान | Emergency Provision
- Chapter-17: भारत का राष्ट्रपति | President of India