एकल या एकात्मक सरकार क्या है?
एकल या एकात्मक सरकार वह है, जिसमें समस्त शक्तियां एवं कार्य केंद्रीय सरकार और क्षेत्रीय सरकार में निहित होती हैं। ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, चीन, इटली, बेल्जियम, नॉर्वे, स्वीडन, स्पेन आदि में सरकार का एकात्मक स्वरूप है।
संविधान की एकात्मक विशेषताएं
उपरोक्त संघीय ढांचे के अलावा भारतीय संविधान की निम्नलिखित एकात्मक या गैर संघीय विशेषताए भी , जो इस प्रकार हैं.
1. सशक्त केंद्र
शक्तियों का विभाजन केंद्र के पक्ष में है, जो कि संघीय दृष्टिकोण के काफी विरुद्ध है।
- प्रथमत: केंद्रीय सूची में राज्य के मुकाबले ज्यादा विषय हैं।
- दूसरा, केंद्रीय सूची में ज्यादा महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं।
- तीसरे, समवर्ती सूची में केंद्र को ऊपर रखा गया है।
अंतत: अवशेषीय शक्तियों में भी केंद्र प्रमुख है, जबकि अमेरिका में ये राज्यों में निहित हैं। इस तरह संविधान केंद्र को सशक्त बनाता है।
2. राज्य अनश्रवर
अन्य संघों के विपरीत, भारत में राज्यों को क्षेत्रीय एकता का अधिकार नहीं है। संसद एकतरफा कार्यवाही द्वारा उनके क्षेत्र, सीमाओं या राज्य के नाम को परिवर्तित कर सकती है; अर्थात् इसके लिए साधारण बहुमत की जरूरत होती है न कि विशेष बहुमत की। इस तरह भारतीय संघ-‘नश्वर राज्यों का अनश्वर संघ है (An indestructible Union of destructible states) | दूसरी तरफ अमेरिकी संघ “अनश्वर राज्यों का अनश्वर केंद्र’ है (An indeotructible Union of indestructible States)
3. एकल संविधान
सामान्यतः एक संघ में राज्यों को केंद्र से हटकर अपना संविधान बनाने का अधिकार होता है। भारत में इससे इतर राज्यों को ऐसी कोई शक्ति नहीं दी गई है। भारतीय संविधान सिर्फ केंद्र का ही नहीं, राज्यों का भी है। राज्य एवं केंद्र दोनों को इसी एक ढांचे का पालन अनिवार्य है। सिर्फ जम्मू एवं कश्मीर एक अपवाद था, जिसका अपना (राज्य) पृथक संविधान था।
4. संविधान का लचीलापन
अन्य संघीय प्रणालियों की तुलना में भारतीय संविधान में संशोधन प्रक्रिया कम कठोर है। संविधान के एक बड़े हिस्से को, संसद द्वारा साधारण या विशेष बहुमत द्वारा एकल प्रणाली से संशोधित किया जा सकता है। यानी संविधान संशोधन की शक्ति सिर्फ केंद्र में निहित है। अमेरिका में राज्य भी संविधान संशोधन का प्रस्ताव रख सकते हैं।
4. राज्य प्रतिनिधित्व में समानता का अभाव
राज्यों की जनसंख्या के आधार पर राज्यसभा में प्रतिनिधित्व दिया जाता है। अतः सदस्यता में 1 से 31 तक की भिन्नता है। अमेरिका में राज्यों के प्रतिनिधित्व के सिद्धांत को उच्च सदन में पूर्णरूपेण महत्ता दी जाती है। इस तरह अमेरिकी सीनेट में 100 सदस्य होते हैं, प्रत्येक राज्य से दो। यह सिद्धांत छोटे राज्यों के लिए सुरक्षा कवच के समान होता है।
5. आपातकालीन उपबंध
संविधान तीन तरह की आपातकाल व्यवस्था निर्धारित करता है-
- राष्ट्रीय,
- राज्य एवं
- वित्त।
आपातकाल के दौरान केंद्र सरकार के पास सभी शक्तियां आ जाती हैं और राज्य, केंद्र के पूर्ण नियंत्रण में आ जाते हैं। यह बिना किसी संविधान संशोधन के संघीय ढांचे को एकल ढांचे में बदल देता है। ऐसी व्यवस्था अन्य किसी संघ में नहीं पाई जाती है।
6. एकल नागरिकता
दोहरी व्यवस्था के बावजूद भारत का संविधान, कनाडा की तरह एकल नागरिकता व्यवस्था को अपनाता है। यहां केवल भारतीय नागरिकता है, कोई अन्य पृथक् राज्य नागरिकता नहीं है। अन्य संघीय व्यवस्था वाले देशों, जैसे- अमेरिका, स्विट्जरलैंड एवं ऑस्ट्रेलिया में दोहरी (राष्ट्रीय एवं राज्य) नागरिकता का प्रावधान है।
7. एकीकृत न्यायपालिका
भारतीय संविधान द्वारा सबसे ऊपर उच्चतम न्यायालय के साथ एकात्मक न्यायपालिका की स्थापना की गई है और इसके अधीन राज्य-उच्च न्यायालय होते हैं। न्यायालयों की एकल व्यवस्था, केंद्र एवं राज्य कानूनों दोनों पर लागू होती है। दूसरी ओर, अमेरिका में न्यायालयों की दोहरी व्यवस्था है। संघीय कानून, संघीय न्यायपालिका और राज्य कानून, राज्य न्यायपालिका द्वारा लागू किए जाते हैं।
8. अखिल भारतीय सेवाएं
अमेरिका में संघीय सरकार एवं राज्य सरकारों की अपनी लोक सेवाएं हैं। भारत में भी केंद्र एवं राज्यों की पृथक लोक सेवाएं हैं लेकिन इसके अतिरिक्त अखिल भारतीय सेवाएं (आईएएस, आईपीएस और आईएफएस, केंद्र एवं राज्य, दोनों के लिए हैं। केंद्र द्वारा इन सेवाओं के सदस्यों का चयन किया जाता है एवं उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है। उन पर केंद्र का पूर्णरूपेण निमंत्रण भी होता है। अत: ये सेवाएं संविधान के अंतर्गत संघीय सिद्धांत का उल्लंघन करती हैं।
9. एकीकृत लेखा जांच मशीनरी
भारत का नियंत्रक एवं लेखा महापरीक्षक न केवल केंद्र के बल्कि राज्यों के खातों की भी जांच करता है लेकिन उसकी नियुक्ति एवं बर्खास्तगी बिना राज्यों की सलाह के राष्ट्रपति द्वारा होती है। इस तरह यह व्यवस्था राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता पर अंकुश लगाती है। इसके विपरीत अमेरिका के नियंत्रक एवं लेखा महापरीक्षक, की राज्यों के लेखाओं के संबंध में कोई भूमिका नहीं होती।
10. राज्य सूची पर संसद का प्राधिकार
इस सूची के विषयों पर राज्यों को काफी अधिकार दिये जाने के बावजूद केंद्र का सूची के विषयों पर अंतिम आधिकार बना रहता है। संसद को यह अधिकार प्राप्त है कि वह राज्य सूची में राष्ट्रीय महत्व को प्रभावित करने वाले विषयों पर राज्य सभा द्वारा पारित होने पर विधान बना सकती है। इसका तात्पर्य है कि बिना संविधान संशोधन के संसद की विधायिका संबंधी शक्ति को बढ़ाया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि ऐसा तब भी किया जा सकता है, जब किसी प्रकार की आपातकालीन व्यवस्था न हो।
11. राज्यपाल की नियुक्ति
राज्यपाल, राज्य प्रमुख होता है, जिसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। वह केन्द्र के ऐजेन्ट के रूप में भी कार्य करता है, राज्यपाल के माध्यम से केन्द्र, राज्य पर नियंत्रण करता है। इसके विपरीत अमेरिका में राज्य प्रमुख निर्वाचित होते हैं, इस संदर्भ में भारत ने कनाडाई प्रणाली को अपनाया है।
12. एकीकृत निर्वाचन मशीनरी
चुनाव आयोग न केवल केंद्रीय चुनाव संपन्न करता है बल्कि राज्य विधानमंडलों के चुनाव भी कराता है। लेकिन इस इकाई की स्थापना राष्ट्रपति द्वारा होती है और राज्य इस मामले में कुछ नहीं कर सकते। इसके सदस्यों को भी इसी प्रकार हटाया जा सकता है। इसके विपरीत अमेरिका में संघ एवं राज्य दोनों के निर्वाचन के लिए अलग मशीनरी होती है।
13. राज्यों के विधेयकों पर वीटो
राज्यपाल को राज्य विधानमंडल द्वारा पारित कुछ विधेयकों को राष्ट्रपति की संस्तुति के लिए सुरक्षित रखने का अधिकार है। राष्ट्रपति अपनी संस्तुति के लिए इसे न केवल पहली बार बल्कि दूसरी बार भी रोक सकता है। इस तरह राष्ट्रपति के पास राज्य विधेयकों पर वीटो अधिकार है। लेकिन अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया में राज्य स्वायत्त इकाई हैं और वहां इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है।
Read more Chapter:-
- Chapter-1: संवैधानिक विकास का चरण – ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- Chapter-2: संविधान का निर्माण
- Chapter-3: भारतीय संविधान की विशेषताएं व आलोचना
- Chapter-4: संविधान की प्रस्तावना
- Chapter-5: संघ एवं इसका क्षेत्र
- Chapter-6: नागरिकता | Citizenship
- Chapter-7: मूल अधिकार | Fundamental Rights
- Chapter-8: राज्य के नीति निदेशक तत्व
- Chapter-9: मूल कर्तव्य | Fundamental Duties
- Chapter-10: संविधान का संशोधन प्रक्रिया क्या है? आलोचना व महत्व
- Chapter-11: संविधान की मूल संरचना का विकास, सिद्धांत, तत्व और सम्बंधित मामले
- Chapter-12: संसदीय व्यवस्था की परिभाषा, विशेषतायें, गुण तथा दोष
- Chapter- 13: संघीय व्यवस्था तथा एकात्मक व्यवस्था