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भारत के उप राष्ट्रपति का निर्वाचन, अर्हताएं, शक्तियां और कार्य

Times Darpan
Last updated: 2022-10-29 23:00
By Times Darpan 780 Views
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10 Min Read
भारत के उप राष्ट्रपति का निर्वाचन

उप राष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सर्वोच्च पद होता है। आधिकारिक क्रम में उसका पद राष्ट्रपति के बाद आता है। भारत के उप राष्ट्रपति का पद, अमेरिका के उप राष्ट्रपति की तर्ज पर बनाया गया है।

Contents
उप राष्ट्रपति का निर्वाचनभारत के उप राष्ट्रपति के अर्हताएंउप राष्ट्रपति का शपथ या प्रतिज्ञानउप राष्ट्रपति पद की शर्तेउप राष्ट्रपति का पदावधिउप राष्ट्रपति का पद रिक्तताभारत के उप राष्ट्रपति का शक्तियां और कार्यउप-राष्ट्रपति वेतन और पेंशनभारत एवं अमेरिकी उप-राष्ट्रपतियों की तुलनाउप-राष्ट्रपति से संबंधित अनुच्छेद: एक नजर मेंRead more Chapter:-

उप राष्ट्रपति का निर्वाचन

राष्ट्रपति की तरह उप राष्ट्रपति को जनता द्वारा सीध नहीं चुना जाता बल्कि परोक्ष विधि से चुना जाता है। वह संसद के दोनों सदनों के सदस्यों के निर्वाचक मंडल द्वारा चुना जाता है।’

अत: यह निर्वाचक मंडल, राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल से दो बातों में भिन्न है:

  • इसमें संसद के निर्वाचित और मनोनीत दोनों सदस्य होते हैं
  • इसमें राज्य विधानसभाओं के सदस्य शामिल नहीं होते हैं

डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने इन विभिन्नताओं की व्याख्या करते हुए कहा :

राष्ट्रपति, राष्ट्र का प्रमुख होता है और उसमें केंद्र तथा राज्य दोनों के प्रशासन करने की शक्तियां निहित हैं। इस प्रकार उसके चुनाव में यह आवश्यक है कि न केवल संसद के सदस्य अपितु राज्य विधायिका के सदस्य भी भाग लें। परंतु उप राष्ट्रपति के कार्य सामान्य है। उसका मुख्य कार्य राज्यसभा की अध्यक्षता करना है। यह एक विरल अवसर होता है और वह भी अल्पकालिक समय के लिए; जब उस राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए कहा जाता है। इस प्रकार यह आवश्यक नहीं लगता कि राज्य विधायिकाओं के सदस्यों का उप-राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेने हेतु आमंत्रित किया जाए।”

किंतु दोनों मामलों में चुनाव प्रक्रिया समान होती है अर्थात्‌ राष्ट्रपति के चुनाव की तरह उप-राष्ट्रपति का चुनाव भी आनुपातिक प्रतिनिधित्व आधार पर एकल संक्रमण मत द्वारा और गप्त मतदान से होता है।’

उप-राष्ट्रपति के चुनाव से संबंधित सभी शंकाएं व विवादों की जांच और निर्णय उच्चतम न्यायालय द्वारा किए जाते हैं, जिसका निर्णय अंतिम होगा।

भारत के उप राष्ट्रपति के अर्हताएं

उप-राष्ट्रपति के चुनाव हेतु किसी व्यक्ति को निम्नलिखित अर्हताएं पूर्ण करनी चाहिए:

  • वह भारत का नागरिक हो।
  • वह 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो।
  • वह राज्यसभा सदस्य बनने के लिए अर्हित हो।
  • वह सार्वजनिक प्राधिकरण के अंतर्गत किसी लाभ के पद पर न हो।
  • उम्मीदवार के कम-से-कम 20 प्रस्तावक तथा 20 अनुमोदक होने चाहिये।
  • उम्मीदवार को RBI में 15,000 रुपये जमानत राशि के रूप में जमा करना आवश्यक होता है।

उसे राज्यसभा के एक प्रभावी बहुमत से पारित संकल्प द्वारा हटाया जा सकता है, जिस पर लोकसभा की भी सामान्य बहुमत से सहमति है।

उप राष्ट्रपति का शपथ या प्रतिज्ञान

उप-राष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करने से पहले शपथ या प्रतिज्ञान करेगा और उस पर अपने हस्ताक्षर करेगा। अपनी शपथ में उप-राष्ट्रपति शपथ लेगा:

  • मैं भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूगा।
  • मैं अपने पद और कर्तव्यों का निर्वाह श्रद्धापूर्वक करूंगा।

उप राष्ट्रपति को उसके पद की शपथ राष्ट्रपति अथवा उसके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति द्वारा दिलवाई जाती है।

उप राष्ट्रपति पद की शर्ते

संविधान द्वारा उप-राष्ट्रपति पद हेतु निम्नलिखित दो शर्ते निर्धारित की गई हैं:

  • वह संसद के किसी भी सदन अथवा राज्य विधायिका के किसी भी सदन का सदस्य न हो।
  • वह किसी लाभ के पद पर न हो।

उप राष्ट्रपति का पदावधि

  • उप-राष्ट्रपति की पदावधि उसके पद ग्रहण करने से लेकर 5 वर्ष तक होता है।
  • हालाकि वह अपनी पदावधि में किसी भी समय अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को दे सकता है।

उसे राज्यसभा द्वारा बहुमत में पारित कर विशेष अधिकार द्वारा हटाया जा सकता है और इसे लोकसभा की सहमति आवश्यक है। उसे हटाने के लिए औपचारिक महाभियोग को आवश्यकता नहीं है।

  • यह संकल्प केवल राज्यसभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है लोकसभा में नहीं।
  • परन्तु ऐसा कोई प्रस्ताव पेश नहीं किया जा सकता जब तक 14 दिन का अग्रिम नोटिस न दिया गया हो।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि संविधान में उसे हटाने हेतु कोई आधार नहीं है।

उप-राष्ट्रपति अपनी 5 वर्ष को पदावधि के उपरांत भी पद पर बना रह सकता है जब तक उसका उत्तराधिकारी पद ग्रहण न करे। वह उस पद पर पुनर्निर्वाचन के योग्य भी होता है। वह इस पद पर कितनी ही बार निर्वाचित हो सकता है।

उप राष्ट्रपति का पद रिक्तता

उप-राष्ट्रपति का पद निम्नलिखित कारणों से रिक्त हो सकता है:

  • उसकी 5 वर्षीय पदावधि की समाप्ति होने पर।
  • उसके द्वारा त्याग-पत्र देने पर।
  • उसे बर्खास्त करने पर।
  • उसकी मृत्यु पर।
  • वह पद ग्रहण करने के अयोग्य हो अथवा उसका निर्वाचन अवैध घोषित हो।

जब पद रिक्त होने का कारण उसके कार्यकाल का समाप्त होना हो तब उस पद को भरने हेतु उसका कार्यकाल पूर्ण होने से पूर्व नया चुनाव कराना चाहिए।

यदि उसका पद उसकी मृत्यु, त्याग-पत्र निष्कासन अथवा अन्य किसी कारण से रिक्त होता है, उस स्थिति में शीघ्रातिशीघ्र चुनाव कराने चाहिये।

भारत के उप राष्ट्रपति का शक्तियां और कार्य

उप-राष्ट्रपति के कार्य दोहरे होते हैं:

1. वह राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में कार्य करता है।

  • उसकी शक्तियां व कार्य लोकसभा अध्यक्ष की भाति ही होते हैं।
  • अमेरिका के उप-राष्ट्रपति के समान ही कार्य करता है, वह भी सीनेट-अमेरिका के उच्च सदन का सभापति होता है।

2. वह कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में भी कार्य करता है।

  • जब राष्ट्रपति का पद उसके त्याग-पत्र निष्कासन, मृत्यु तथा अन्य कारणों से रिक्त होता है
  • वह कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में अधिकतम छह महीने की अवधि तक कार्य कर सकता है।

कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने के दौरान उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य नहीं करता है। इस अवधि में उसके कार्यों का निर्वाहन उप-सभापति द्वारा किया जाता है।

उप-राष्ट्रपति वेतन और पेंशन

  • 2018 में संसद ने राज्यसभा के सभापति का वेतन 1.25 लाख रुपए से बढ़ाकर 4 लाख रुपए प्रतिमाह कर दिया।
  • पहले 2008 में सेवानिवृत्त उप-राष्ट्रपति की पेंशन को बीस हजार रूपए प्रतिमाह से बढ़ाकर वेतन का 50 प्रतिशत किया गया था।
  • इसके अलावा उसे देनिक भत्ता, नि:शुल्क पूर्ण सुसज्जित आवास, फोन की सुविधा, कार, चिकित्सा सुविधा, यात्रा सुविधा एवं अन्य सुविधायें भी मिलती हैं।

भारत एवं अमेरिकी उप-राष्ट्रपतियों की तुलना

यद्यपि भारत के उप-राष्ट्रपति का पद, अमेरिका के उप-राष्ट्रपति के मॉडल पर आधारित है, परंतु इसमें काफी भिन्नता है।

अमेरिका का उप-राष्ट्रपति, राष्ट्रपति का पद रिक्त होने पर अपने पूर्व राष्ट्रपति के कार्यकाल की शेष अवधि तक उस पद पर बना रहता है। दूसरी ओर, भारत का उप-राष्ट्रपति, राष्ट्रपति का पद रिक्त होने पर, पूर्व राष्ट्रपति के शेष कार्यकाल तक उस पद पर नहीं रहता है। वह एक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में तब तक कार्य करता है, जब तक कि नया राष्ट्रपति कार्यभार ग्रहण न कर ले।

उक्त बातों से स्पष्ट है कि संविधान ने उप-राष्ट्रपति की क्षमता के अनुरूप उसे कोई विशेष कार्य नहीं सोंपे हैं। यह पद भारत में राजनीतिक निरंतरता को बनाए रखने के लिए सृजित किया गया है।

उप-राष्ट्रपति से संबंधित अनुच्छेद: एक नजर में

अनुच्छेदविषयवस्तु
63भारत के उप-राष्ट्रपति
64उप-राष्ट्रपति का राज्यों की परिषद का पदेन सभापति होना
65उप-राष्ट्रपति का आकस्मिक रिक्तियों अथवा राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन
66उप-राष्ट्रपति का चुनाव
67उप-राष्ट्रपति का कार्यकाल
68उप-राष्ट्रपति कार्यालय की रिक्ति की पूर्ति के लिए चुनाव का समय निर्धारण तथा आकस्मिक रिक्ति को पूर्ति कर चुने गए व्यक्ति का कार्यकाल
69उप-राष्ट्रपति द्वारा शपथ ग्रहण
70अन्य आकस्मिकताओँ में राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन
71उप-राष्ट्रपति के चुनाव संबंधी अथवा उससे जुड़े मामले

 

Read more Chapter:-

  • Chapter-1: संवैधानिक विकास का चरण – ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
  • Chapter-2: संविधान का निर्माण
  • Chapter-3: भारतीय संविधान की विशेषताएं व आलोचना
  • Chapter-4: संविधान की प्रस्तावना
  • Chapter-5: संघ एवं इसका क्षेत्र
  • Chapter-6: नागरिकता | Citizenship
  • Chapter-7: मूल अधिकार | Fundamental Rights
  • Chapter-8: राज्य के नीति निदेशक तत्व
  • Chapter-9: मूल कर्तव्य | Fundamental Duties
  • Chapter-10: संविधान का संशोधन प्रक्रिया क्या है? आलोचना व महत्व
  • Chapter-11: संविधान की मूल संरचना का विकास, सिद्धांत, तत्व और सम्बंधित मामले
  • Chapter-12: संसदीय व्यवस्था की परिभाषा, विशेषतायें, गुण तथा दोष
  • Chapter-13: संघीय व्यवस्था तथा एकात्मक व्यवस्था
  • Chapter-14: केंद्र-राज्य संबंध
  • Chapter-15: अंतर्राज्यीय संबंध | Interstate Relation
  • Chapter-16: आपातकालीन प्रावधान | Emergency Provision
  • Chapter-17: भारत का राष्ट्रपति | President of India
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