व्यवहार (behavior) एक व्यापक शब्द और एक जटिल गोचर हैं। इस खड के अध्याय में, हम व्यवहार की प्रकृति और लक्षणों पर चर्चा करेंगे। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, व्यवहार वह सब कुछ या कुछ भी है जो एक मानव या जन्तु करता है जिसे किसी भी तरह से देखा जा सकता है I
व्यवहार की प्रकृति और लक्षण (Nature and characteristics of behavior)
व्यवहार में, जीवों की वे सभी क्रियाए और प्रतिक्रियाएं शामिल हैं। जिन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मापा जा सकता हैं। व्यवहार का अर्थ केवल शारीरिक गति/ सचलन से नहीं है, बल्कि इसमें मानसिक और सज्ञानात्मक प्रक्रियाए भी शामिल हो सकती हैं। जैसे कि भावनायें, अभिवृत्ति, विचार, सवेग और अन्य सभी आंतरिक शारीरिक एवं मानसिक प्रक्रियाएँ, जिन्हें सीधे तौर पर (प्रत्यक्ष) नहीं देखा जा सकता है, लेकिन इनडायरेक्टली (अप्रत्यक्ष तौर से) मापा जा सकता है। जैसे कि, लोग क्या कहते हैं (मुखर व्यवहार), क्या करते हैं। (शारीरिक व्यवहार) और कैसे वे विभिन्न समस्याओं और स्थितियों के प्रति प्रतिक्रिया करते हैं।
व्यवहार की सामान्य विशेषताओं (General characteristics of behavior)
अब हम मानव व्यवहार (behavior) की कुछ सामान्य विशेषताओं पर विचार करेंगे, जैसा कि परमेस्वरन और बीना (1988, 2002) द्वारा वर्णित हैं। ये हैं।
व्यवहार कई कारकों से प्रभावित होता है
व्यवहार कई कारकों जैसे जैविक, सांस्कृतिक, सामाजिक, पर्यावरण, पूर्व अनुभव, अभिप्रेरणात्मक, संवेगात्मक संज्ञानात्मक (जैसे भावनायें, संवेग, अभिप्रेरणा, विचार) इत्यादि से प्रभावित होता हैं।
व्यवहार की जटिलता में भिन्नता
व्यवहार एक कलम उठाने जितना आसान भी हो सकता है, और एक दोस्त को, पुकारने या छींकने जैसी अनैच्छिक प्रतिक्रियाएँ इत्यादि भी। कुछ अन्य प्रकार के व्यवहारों में नियत कौशल शामिल होते हैं, जो एक अवधि में आदत बन जाते हैं, जैसे कि गिटार बजाना, साइकिल चलाना आदि। इनके अलावा भी कुछ अन्य व्यवहारों में जटिल गतिविधियाँ शामिल होती हैं। जैसे किसी कार को ठीक करना, चद्रमा पर यान उतारना, लड़ाकू विमान उड़ाना, चट्टान पर चढ़ना आदि जैसी गतिविधियाँ अत्यधिक जटिल व्यवहार के कुछ उदाहरण हैं।
व्यवहार (behavior) को प्रभावित करने वाले कारक विभिन्न प्रकार के होते हैं। व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारकों के दो बड़े समूह हैं।
- जो व्यक्ति से संबंधित है (आतरिक कारक) तथा
- जो पर्यावरण से संबंधित है (वाहा कारक) ।
किसी व्यक्ति से संबंधित कारकों को शारीरिक (जैविक जरूरतों जैसे भूख प्यास आदि) और मनोवैज्ञानिक (विचारों मान्यताओं, दृष्टिकोण आदि) के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है। पर्यावरणीय कारकों में भौतिक परिवेश, परिवार मित्र वष्डद समाज और यहा तक कि समग्र सास्कृतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि शामिल है।
व्यक्तिगत भिन्नतायें
एक व्यक्ति का व्यवहार (behavior) दूसरे व्यक्ति के व्यवहार से. साथ ही साथ एक समूह के लोगों का व्यवहार दूसरे समूह के लोगों के व्यवहार से भिन्न होता है। हर व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से अपनी शारीरिक क्रिया और शारीरिक स्थितियों में अपने पूर्व अनुभवों में अपनी क्षमताओं में अपनी पृष्ठभूमि आदि में भिन्न होता है। अतः ये पूर्णत स्वाभाविक है कि. यदि दस लोगों को एक ही माहौल में रखा जाए तो प्रत्येक व्यक्ति का व्यवहार कुछ मामलों में या कुछ डिग्री में दूसरों के व्यवहार से भिन्न होगा।
व्यवहार में समानतायें
हालोंकि एक व्यक्ति का व्यवहार से दूसरे व्यक्ति के व्यवहार से भिन्न होता है, लेकिन इसका ये बिल्कुल भी मतलब नहीं होता है कि सभी लोग हर समय और हर परिस्थिति में एक दूसरे से भिन्न होते हैं। लोगों के बीच व्यवहारों में काफी हद तक समानताये भी होती हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति की आख में धूल का एक कण गिर जाता है तो वह उसे यथा षीघ्र निकालने की कोशिश करता है। इस प्रकार के व्यवहार सार्वभौमिक तौर पर पाए जाते हैं।
व्यवहार हमेशा उद्देश्यपूर्ण और लक्ष्य निर्देशित होते हैं।
मानव व्यवहार हमेशा उद्देश्यपूर्ण होते हैं और किसी के कार्यों को हमेशा किसी न किसी लक्ष्य की ओर निर्देशित किया जाता है। एक लड़का बैठा पढाई कर रहा है और अचानक उठ कर जाता है और एक गिलास पानी पीता है। यहाँ लड़के का लक्ष्य एक गिलास पानी पीना है. और उद्देश्य अपनी प्यास बुझाना है। वही दूसरी तरफ एक लडका बैठकर पढ़ाई कर रहा है और उसे ठंड लग रही है। वह उठकर पखे को बंद कर देता है। यहा लक्ष्य पखे को बंद करना है और उद्देश्य ठंड की असुविधा से बचना हैं तो इस प्रकार हमारे सभी व्यवहार वर्गीकृत किए जा सकते हैं।
- पहुँच व्यवहार (धनात्मक लक्ष्य निर्देशित) या
- परिहार व्यवहार (ऋणात्मक लक्ष्य परिहार)
व्यवहार काफी हद तक परिवर्तनशील है
यह पूर्व-उल्लेखित है कि, व्यवहार को प्रभावित करने वाले कई कारक हैं। इस परिपेक्ष्य में, इन कारकों में परिवर्तन करके व्यवहार में परिवर्तन सभव हैं। यह मानव व्यवहार की परिवर्तनशीलता ही है, जो एक बुरे आदमी को एक अच्छा आदमी, और एक अच्छे आदमी को एक बुरा आदमी बनाने की क्षमता रखती है। यह व्यवहार की एक महत्वपूर्ण विशेषता है जो लोगों को नए परिवेश में समायोजित करने में मदद करती हैं। ये परिवर्तनशीलता किसी व्यक्ति के अभ्यास या अनुभवों (सीखने) का परिणाम होती हैं।
व्यवहार में स्थिरता भी दिखाई देती है
यद्यपि व्यवहार में सभावित परिवर्तनों पर जोर दिया गया है, यहाँ ये भी उल्लेख किया जाना चाहिए कि जीवन हमेषा, सभी प्रकार के परिवर्तनों से भरा नहीं होता है। जहाँ व्यवहार में परिवर्तनशीलता होती है, वहीं व्यवहार में एक निश्चित स्थिरता भी होती हैं। व्यवहार पर्यावरण में होने वाले हर परिवर्तन के साथ नहीं बदलता है, और न ही मनुष्य के सभी प्रकार के व्यवहारों में बदलाव आता है। मानव व्यवहार में बहुत स्थिरता में भी दिखती हैं। उदाहरण के लिए, अभी भी आप अपनी दादी के पुराने विचारों और उनके जीने के पुराने तरीकों को प्राथमिकता देते हुए पा सकते हैं, हालांकि वह एक अति-आधुनिक समाज में जीवन जी रही हों।
व्यवहार एकीकृत/ समेकित है
जैसा कि पूर्वल्लेखित है, मानव व्यवहार बहुसे से कारकों और कई प्रकार के उद्देश्यों से प्रभावित होता है। प्रत्येक मनुष्य के दैहिक मनोवैज्ञानिक व्यक्तिगत और सामाजिक उद्देश्य होते हैं। हर मनुष्य विभिन्न प्रकार के अनुभवों से गुजरता हैं। इन सब के बावजूद व्यवहार हमेशा एक क्रम और उद्देश्यों के पदानुक्रम को दर्शाता हैं। प्रत्येक व्यक्ति सम्पूर्ण व्यक्ति के रूप में व्यवहार करता है और विभिन्न उद्देश्यों, अलग-अलग सीखों और विभिन्न प्रकार के प्रभावित करने वाले कारकों के संगठन की इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप व्यवहार का एकीकरण परिलक्षित होता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
जब एक व्यक्ति को अलग-अलग परिस्थितियों में रखा जाता है, तब भी उसके व्यवहार में कुछ विशिष्ट तरीके और शैलियाँ स्पष्ट दिखायी देती हैं, जिनसे हमें उसके व्यवहार को समझने और उसके व्यवहार की भविष्यवाणी करने में मदद मिलती हैं। मनोवैज्ञानिक, व्यवहार के एकीकरण की इस प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए व्यक्तित्व शब्द का उपयोग करते हैं। किसी व्यक्ति के व्यवहार में एकीकरण की डिग्री जितनी अधिक होगी, उसका व्यवहार उतना ही अधिक प्रभावी होगा। यह माना जा सकता है कि व्यवहार एक वारक जटिल घटना है और व्यवहार का अध्ययन करना आसान काम नहीं है।
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