मनोविज्ञान (psychology) का संबंध मानव जीवन के लगभग हर पहलु से है। मनोविज्ञान का क्षेत्र मानव के व्यवहार पक्ष से संबंधित है, और षायद यही कारण है कि हर किसी को मनोविज्ञान के बारे में जानने की उत्सुकता होती है। दूसरी ओर, मनोविज्ञान के बारे में लोगों में कई गलत धारणाएं एवं भ्रांतियां भी हैं।
बहुत से लोग सोचते हैं कि मनोविज्ञान का सरोकार केवल असामान्य लोगों से हैं। और कुछ लोगों को लगता है कि मनोवैज्ञानिक केवल उनको देखकर या उनके चेहरे की भाव भंगिमाएँ देखकर ही उनके मन की बात जान लेंगे। ये लोग अक्सर ज्योतिषियों, रत्नविज्ञानी, अंक विशेषज्ञ, हस्तरेखा विशेषज्ञ या ग्राफोलॉजिस्ट के साथ मनोवैज्ञानिकों की बराबरी करते हैं, जो लोगों के जीवन की समस्याओं को हल करने और भविष्य में होने वाली घटनाओं की भविष्यवाणी करने का दावा करते हैं।
मनोविज्ञान की परिभाषा (Definition of psychology)
मनोविज्ञान को अलग अलग लेखकों द्वारा कई तरीकों से परिभाषित किया गया हैं। मनोवैज्ञानिक इस बात पर बहस करते थे कि मनोविज्ञान के केंद्र “मन” चेतना’ या “व्यवहार किसको होना चाहिए। आइए हम देखें कि कैसे मनोविज्ञान की परिभाषाओं ने पिछले कई वर्षों में एक लम्बा सफर तय किया हैं।
पूर्व में मनोविज्ञान दर्शनशास्त्र का हिस्सा था। प्राचीन दार्शनिक आत्मा के अध्ययन में रुचि रखते थे। इस प्रकार यह सर्वप्रथम आत्मा के विज्ञान के रूप में परिभाषित किया गया था। हालांकि आत्मा शब्द के बहुत व्यापक और विस्तृत अर्थ रहे हैं. इसलिए इसे अस्पष्ट शब्द माना जाता रहा है, और मध्य कालीन युग में इसी वजह से इसकी कठोर आलोचना होती थी। आत्मा के भौतिक अस्तित्व, उसके वजन और उसकी मात्रा के बारे में कई प्रश्न रहे हैं।
कुछ प्राचीन यूनानी दार्शनिकों द्वारा मनोविज्ञान को मन के विज्ञान के रूप में परिभाषित किया गया था। उनके अनुसार, मनोविज्ञान को मानसिक दर्शन की एक शाखा के रूप में माना गया था। चूँकि इस परिभाषा में मानव के प्रकट/अभिव्यक्त व्यवहार शामिल नहीं है और मन का मापन सीधे तौर पर नहीं किया जा सकता, अतः मनोवैज्ञानिकों द्वारा इस परिभाषा को भी अस्वीकार्य कर दिया गया था।
मनोविज्ञान का ऐतिहासिक विकास (Historical Development of Psychology)
मनोविज्ञान का उद्भव 1870 के दशक का हैं। साइकोलॉजी’ (मनोविज्ञान) शब्द दो ग्रीक शब्दों से मिल कर बना है 1) साइकी का अर्थ है “आत्मा या सौंस” और 2) लोगोस का अर्थ है “ज्ञान या अध्ययन” (किसी चीज का अध्ययन या जाँच) । उन्नीसवीं सदी से पहले साइकोलॉजी’ (मनोविज्ञान) शब्द आम उपयोग में नहीं था, और मनोविज्ञान का क्षेत्र वास्तव में उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य तक एक स्वतंत्र विज्ञान नहीं बन पाया था।
1879 में मनोविज्ञान एक स्वतंत्र अकादमिक अनुशासन के रूप में उभरा जब जर्मनी के प्रोफेसर विल्हेम युंड्ट ने जर्मनी के लीपजिग विश्वविद्यालय में पहली मनोविज्ञान प्रयोगशाला की स्थापना की। बोल्स (1993) के अनुसार वुंड्ट एक प्रशिक्षित मेडिकल डॉक्टर थे और अपने करियर की शुरुआत में उन्हें उन्नीसवीं सदी के कुछ महान शरीरक्रिया विज्ञानियों के साथ काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
मनोविज्ञान की बौद्धिक जड़ें दर्शनशास्त्र और शरीरक्रिया विज्ञान के समागम में हैं। वुड्ट को पारंपरिक रूप से आधुनिक मनोविज्ञान के संस्थापक या पिता के रूप में जाना जाता हैं। 1879 के वर्ष को एक उल्लेखनीय वर्ष के रूप में देखा जाता है जब मनोविज्ञान अततः एक अद्वितीय/अनूठे क्षेत्र के रूप में उभरा बुंड्ट से पहले मनोविज्ञान में विशेषज्ञता की डिग्री प्राप्त होना संभव नहीं था, क्योंकि उनसे पहले कहीं पर भी कोई आधिकारिक मनोवैज्ञानिक या मनोविज्ञान विभाग नहीं था।
वुट्ट ने मन की संरचना का अध्ययन करना शुरू कर दिया, जिसने तत्कालिक अनुभव (चेतन). व्यक्तिपरक अनुभवों की विषयवस्तु और प्रक्रियाओं जैसे संवेदनाओं, विचारों भावनाओं और संवेग को संदर्भित किया। इस प्रकार औपचारिक रूप से, मनोविज्ञान को 1879 में एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में मान्यता प्राप्त हुई।
मनोविज्ञान: एक विज्ञान के रूप में (Psychology: as a science)
मनोविज्ञान को व्यवहार के विज्ञान के रूप में परिभाषित किया गया हैं। मनोविज्ञान उसी तरह से व्यवहार का अध्ययन करता है जिस तरह से अन्य विज्ञान अपने विषय वस्तु का अध्ययन करते हैं और इसलिए मनोविज्ञान उनके साथ कई विशेषताएं साझा करता है।
मनोविज्ञान, अन्य विज्ञानों के साथ, एक विज्ञान के रूप में, निम्नलिखित विशेषताएं हैं, जैसा कि मॉर्गन एट अल (1986) द्वारा वर्णित है साझा करता है।
अनुभवजन्य अवलोकन
विज्ञान के अन्य विषयों की तरह, मनोविज्ञान शास्त्र भी, तर्क, राय या विश्वास के बजाय प्रयोग और प्रेक्षणों पर निर्भर करता हैं।
व्यवस्थित दृष्टिकोण और सिद्धांत
घटनाओं को समझने में हमारी मदद करने के लिए और उनसे कुछ अर्थ निकालने के लिए विज्ञान में प्रेक्षण और प्रयोगों के आँकड़े अनिवार्य हैं। वैज्ञानिक मर्यादित सिद्धांतों को खोजने की कोशिश करता है, जो लाभप्रद रूप से डेटा को संक्षेप में प्रस्तुत कर सके। अन्य वैज्ञानिक सिद्धांतों की तरह, मनोविज्ञान भी प्रेक्षण, डेटा संग्रहण विश्लेषण और व्याख्या की एक क्रमबद्ध व्यवस्थित प्रक्रिया का अनुसरण करता हैं।
मापन
कई विज्ञान का एक अन्य विशिष्ट लक्षण मापन है, जो निश्चित नियमों के अनुसार वस्तुओं या घटनाओं को अंक प्रदान करने के रूप में परिभाषित किया गया हैं। भौतिक विज्ञान को विज्ञान के विषयों में सर्वोच्च स्थान (सबसे अधिक वैज्ञानिक) दिया गया है क्योंकि इसने सबसे सटीक मापन विकसित किए हैं।
शब्दों की परिभाषा
सावधानीपूर्वक परिभाषित शब्दध्पद विज्ञान की स्पष्ट सोच की मूलभूत आवश्यकता हैं। मनोविज्ञान की प्रक्रिया में सत्ययों को अवलोकनीय व्यवहार से जोड़ते हुए परिभाषित किया जाता है (जिसे संक्रियात्मक परिभाषा कहते हैं)। जब हम किसी संप्रत्यय को संक्रियात्मक तौर पर परिभाषित करते हैं, तो हम इसे मापने योग्य और अवलोकन योग्य संक्रियाओं (व्यवहार) के संदर्भ में परिभाषित करते हैं।
इस प्रकार, मनोविज्ञान को वैज्ञानिक जांच के समूह में सबसे छोटे सदस्य के तौर पर ‘सामाजिक / व्यावहारिक विज्ञान के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है, जिसमें मानव विज्ञान, अर्थशास्त्र, शिक्षा, भूगोल, इतिहास, भाषा विज्ञान, समाजशास्त्र आदि विषय शामिल हैं।
मनोविज्ञान की प्रवृत्ति (tendency to psychology)
जैसा कि आपको पहले बताया गया है कि मनोविज्ञान एक विज्ञान है जो मानव व्यवहार को परिस्थितियों के संदर्भ के साथ-साथ अन्य व्यक्तियों के परिपेक्ष्य में भी अध्ययन करता हैं। प्रेक्षण और अधिगम (सीखने) की मदद से मनोविज्ञान किसी विशेष स्थिति में, किसी व्यक्ति द्वारा किए गए किसी विशिष्ट व्यवहार के कारणों का पता लगाने की कोशिश करता हैं।
परमेस्वरन और बीना (1988) के अनुसार मनोविज्ञान को मोटे तौर पर सामान्य मनोविज्ञान और विभेदक मनोविज्ञान में वर्गीकृत किया जा सकता है। जहाँ पूर्व का संबंध विशेष रूप से सामान्य वयस्कों में सामान्य व्यवहार और व्यवहारों में समानता की जांच से होता है, जबकि विनेदक मनोविज्ञान मुख्य रूप से व्यक्तिगत भिन्नताओं के प्रेक्षण, मापन और स्पष्टीकरण से संबंधित हैं। धीरे-धीरे ये दो व्यापक विभाजन सामान्य मनोविज्ञान और अनुप्रयुक्त मनोविज्ञान के आगे की शाखाओं या खंडों में विकसित हुए।
मनोविज्ञान के उपक्षेत्र (Branches of Psychology)
मनोविज्ञान की कई शाखाएं हैं, जिन्हें अकादमिक और एप्लाइड दोनों शाखाओं के तहत वर्गीकृत किया गया हैं। मनोविज्ञान के उप-क्षेत्रों ने विभिन्न अन्य विषयों और क्षेत्रों में मनोविज्ञान की व्यापकता को बढ़ा दिया हैं। मनोविज्ञान के निहितार्थों के कारण कई अन्य उप-क्षेत्रों का उद्भव हुआ हैं। यह रोजगार, उोग शिक्षा और व्यक्तित्व विकास जैसे विभिन्न क्षेत्रों में लागू किए जाते हैं। इससे एक ऐसे उपक्षेत्र का भी उद्भव हुआ है जो व्यक्तियों की मानसिक और भावनात्मक समस्याओं का अध्ययन और आँकलन करता हैं।
मनोविज्ञान की व्यापक्ता निम्न उप-क्षेत्रों के तहत समझा जा सकता है:
जैव-मनोविज्ञान (Bio-psychology)
यह शाखा व्यवहार के जैविक आधारों से संबंधित हैं। सभी व्यवहार शारीरिक प्रक्रियाओं के माध्यम से होते हैं। मस्तिष्क शरीर के विभिन्न अंगों के कार्यों के समन्वय और संगठन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। वास्तव में, यह सभी प्रकार के जटिल व्यवहार का केंद्र हैं। आनुवंशिकी, जीव विज्ञान की एक शाखा है जो विरासत में मिलने वाले विभिन्न प्रकृतिक गुणों से संबंधित है, मनोविज्ञान के दृष्टिकोण से भी अनुवंशिकी एक महत्वपूर्ण विज्ञान हैं।
संज्ञानात्मक मनोविज्ञान (Cognitive psychology)
संज्ञानात्मक मनोविज्ञान मानव की सूचना प्रसंस्करण क्षमताओं से संबंधित हैं। इस क्षेत्र के मनोवैज्ञानिक संज्ञान के सभी आयामों का अध्ययन करते हैं। जैसे कि स्मृति, सोच, समस्या का समाधान, निर्णय लेने, भाषा, और तर्क इत्यादि।
तुलनात्मक मनोविज्ञान (Comparative psychology)
यह शाखा विभिन्न प्रजातियों, मुख्य तौर पर जानवरों के व्यवहार का अध्ययन और तुलना करता हैं। इसीलिए कुछ लेखक इस क्षेत्र को पशु मनोविज्ञान भी कहते थे। जानवरों के व्यवहार का अध्ययन करके, ये मनोवैज्ञानिक महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र करते हैं। जिनकी तुलना मानव व्यवहार के साथ की जा सकती हैं। उदाहरण के लिए, रानी मधुमक्खी निर्देशन, नियंत्रण और श्रमिक मधुमक्खियों द्वारा की गई चीजों को कैसे प्राप्त करती है, इसकी जांच करना नेतृत्व के लिए सार्थक जानकारी प्रदान करता हैं।
सांस्कृतिक मनोविज्ञान (Cultural psychology)
यह शाखा उन तरीकों का अध्ययन करती है जिनमें संस्कृति, उपसंस्कृति और जातीय समूह सदस्यता किस प्रकार से मानव व्यवहार को प्रभावित करती हैं। मनोवैज्ञानिक अंतर सांस्कृ तिक अनुसंधान करते हैं जो विभिन्न देशों के विभिन्न संस्कृतियों का लोगों के व्यवहार पर क्या असर पड़ता उसकी तुलना करते हैं।
प्रायोगिक मनोविज्ञान (Experimental psychology)
यह क्षेत्र प्रत्यक्षण अधिगम (सीखने) और अभिप्रेरणा जैसी मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के सभी पक्षों की जांच करता है। इस क्षेत्र में प्रमुख अनुसंधान विधि के तौर पर नियंत्रित प्रयोग का इस्तेमाल किया जाता है। मॉर्गन एट आल. (1986) ने उल्लेख किया कि प्रायोगिक पद्धति का प्रयोग प्रयोगात्मक मनोवैज्ञानिकों के अलावा अन्य मनोवैज्ञानिकों द्वारा भी किया जाता हैं।
लैंगिक मनोविज्ञान (Gender psychology)
यह क्षेत्र पुरुषों और महिलाओं पर किए गए शोधों के आधार पर लैंगिक भूमिकाओं और प्रभावों का अध्ययन करता है। यह पूरे जीवन में लिंग पहचान और लैंगिक भूमिकाओं के विश्लेषण का प्रयास करता हैं।
अधिगम का मनोविज्ञान (psychology of learning)
अधिगम मनोविज्ञान का उप-क्षेत्र यह अध्ययन करता है कि अधिगम कैसे और क्यों होता हैं। इस क्षेत्र में मनोवैज्ञानिक अधिगम की सिद्धांत विकसित करते हैं और विभिन्न मानवीय समस्याओं को हल करने के लिए अधिगम के नियमों और सिद्धांतों को लागू करते हैं।
व्यक्तित्व मनोविज्ञान (Personality psychology)
व्यक्तित्व मनोविज्ञान का क्षेत्र मानव व्यक्तित्व के लक्षणों और उसकी गत्यात्मकता का अ ययन करता है। इस क्षेत्र के मनोवैज्ञानिक, व्यक्तित्व के विभिन्न गुणों का आँकलन करने के लिए व्यक्तित्व परीक्षणों और व्यक्तित्व के सिद्धांतों का विकास करते हैं। वे व्यक्तित्व विकास से संबंधित समस्याओं के कारणों की भी पहचान करते हैं।
शरीर क्रिया / शारीरिक मनोविज्ञान (Physical psychology)
हम जो करते हैं महसूस करते हैं, या सोचते हैं उसको समझने के लिए शरीर क्रिया मनोवैज्ञानिक हमारे तंत्रिका तंत्र और शरीर के भीतर जैव रासायनिक परिवर्तनों की भूमिका की जांच करते हैं। वे अधिकतर प्रायोगिक प्रविधि का उपयोग करते हैं। और मस्तिष्क, तंत्रिका तंत्र और व्यवहार के अन्य शारीरिक स्त्रोतों पर मौलिक शोध करते हैं। शरीर क्रिया मनोविज्ञान न केवल मनोविज्ञान का एक हिस्सा है, बल्कि तंत्रिका जीव विज्ञान नामक व्यापक क्षेत्र का भी हिस्सा माना जाता है जो तंत्रिका तंत्र और इसके कार्यों का अध्ययन करता हैं।
संवेदना और प्रत्यक्षण मनोविज्ञान (Sensation and Perception Psychology)
यह क्षेत्र संवेदी अंगों और प्रत्यक्षण की प्रक्रिया के बारे में अध्ययन करता है। इस क्षेत्र में काम करने वाले मनोवैज्ञानिक संवेदना के क्रिया-विधि की जांच करते हैं और प्रत्यक्षण या गलत प्रत्यक्षण (भ्रम) के सिद्धांतों को विकसित करने में मदद करते हैं। वे यह भी अध्ययन करते हैं कि हम गहराई की गति को कैसे देखते हैं और प्रत्यक्षण की प्रक्रिया में व्यक्तिगत अंतर कैसे उत्पन्न होता है। इस क्षेत्र के शोधों ने कई नियमों और सिद्धांतों को जन्म दिया है जिससे हमें उन तरीकों को समझने में मदद मिली है जिन्हें हम दिखने वाली दुनिया में सार्थक तरीके से समायोजित करते हैं।
सामाजिक मनोविज्ञान (Social Psychology)
सामाजिक मनोविज्ञान का क्षेत्र दृष्टिकोण, अनुरूपता, अनुनय, पूर्वाग्रह, मित्रता, आक्रामकता और मदद सहित मानव सामाजिक व्यवहार की जांच करने में मदद करता है। यह सामाजिक व्यवहार के सभी पहलुओं पर जोर देता जैसे कि हम कैसे सोचते हैं और दूसरों के साथ बातचीत करते हैं, हम कैसे प्रभावित करते हैं और दूसरों से प्रभावित होते हैं।
सामाजिक मनोवैज्ञानिक इस क्षेत्र के लागू पक्ष पर काम करते हैं एक सामाजिक संदर्भ में व्यक्ति के दृष्टिकोण और राय को मापने के लिए मानकीकृत तकनीकें विकसित करते हैं। उनका सर्वेक्षण अनुसंधान राजनीतिक राय उपभोक्ता दृष्टिकोण और महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों से संबंधित दृष्टिकोण पर अध्ययन करता है। यह राजनेताओं व्यावसायिक अधिकारियों और समुदाय के नेताओं को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है, जिन्हें निर्णय लेते समय इनसे लाभ मिलता है।
नैदानिक मनोविज्ञान (Clinical psychology)
यह क्षेत्र गंभीर मनोवैज्ञानिक विकारों और भावनात्मक परेषानियों के निदान कारणों और उपचार पर जोर देता है। नैदानिक मनोविज्ञान और मनोरोग के क्षेत्रों के बीच भ्रम होता है। क्योंकि नैदानिक मनोवैज्ञानिक और मनोरोग विशेषज्ञ या मनोचिकित्सक दोनों मनोचिकित्सा प्रदान करते हैं। दोनों आमतौर पर कई अस्पतालों / क्लीनिकों में एक साथ काम करते हैं। इसीलिए कई लोग दोनों के बीच के अंतर को लेकर भ्रमित हो जाते हैं।
नैदानिक मनोवैज्ञानिक मानसिक विकारों के निदान उपचार और रोकथाम के बेहतर तरीकों का पता लगाने के लिए शोध करते हैं। वे इन विकारों के कारणों की पहचान करने के लिए मानकीकृत परीक्षणों पर भी बहुत निर्भर रहते हैं व्यवहार व मानसिक विकारों के उपचार के लिए ये मनोचिकित्सकीय पद्धति का उपयोग करते हैं, जिसके लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है। लेकिन नैदानिक मनोवैज्ञानिक व्यवहार व मानसिक विकारों के इलाज के लिए दवाओं को लिखने के लिए अधिकृत नहीं हैं क्योंकि उनके पास चिकित्सा प्रशिक्षण नहीं होती हैं।
सामुदायिक मनोविज्ञान (Community psychology)
अनुसंधान, रोकथाम, शिक्षा और परामर्श के माध्यम से, यह क्षेत्र सामुदायिक क्षेत्र में मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम लागू करता हैं। सामुदायिक मनोवैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक समस्याओं, विचारों और दृष्टिकोणों का प्रयोग करते हैं जो सामाजिक समस्याओं को हल करने में मदद करते हैं और व्यक्तियों को उनके काम और रहने वाले समूहों के समायोजन में मदद करते हैं।
सामुदायिक मनोवैज्ञानिक समुदाय में उन लोगों तक पहुंचने के लिए विशेष रूप से कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, जिन्हें व्यवहार संबंधी समस्याएं हैं, या जिन्हें इस तरह की समस्याएं होने की संभावनायें हैं। ये मनोवैज्ञानिक न केवल सामुदायिक सदस्यों के मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से निपटते हैं बल्कि उनके साथ-साथ उनकी देखभाल करने वालों के मानसिक स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देने का प्रयास करते हैं।
उपभोक्ता मनोविज्ञान (Consumer psychology)
ये क्षेत्र उत्पाद की पैकेजिंग, विज्ञापन, वितरण के तरीके, और उपभोक्ताओं के विशिष्ट गुण का अध्ययन करता है। यह क्षेत्र सामाजिक मनोविज्ञान की ही एक शाखा है।
परामर्श मनोविज्ञान (Counseling psychology)
यह शाखा लोगों/व्यक्तियों को पारस्परिक समस्याओं करियर विकल्प, मध्यम स्तरीय भावनात्मक परेपानियों या व्यवहार संबंधी समस्याओं जैसे कि अधिक मात्रा में भोजन, धीमी गति से सीखने या एकाग्रता की कमी सहित व्यक्तिगत समस्याओं में मदद करती हैं। परामर्श मनोवैज्ञानिक किसी व्यक्ति की विशिष्ट समस्याओं में सहायता करते हैं, जैसे कि कैरियर की योजना कैसे बनाएं अधिक प्रभावी पारस्परिक कौशल (जैसे संचार कौशल) कैसे विकसित करें। आजकल, विवाह सम्बंध विशेषज्ञ परामर्शदाता परिवार परामर्शदाता, स्कूल परामर्शदाता आदि हैं।
शैक्षिक मनोविज्ञान (Educational psychology)
ये क्षेत्र कक्षा की गतिशीलता शिक्षण शैलियों और अधिगम से संबंधित है ये मनोवैज्ञानिक शैक्षिक परीक्षण विकसित करते हैं, और शैक्षिक कार्यक्रमों का मूल्यांकन भी करते हैं। शिक्षण योजना से लेकर शिक्षण अक्षमताओं तक शिक्षा की प्रक्रिया के सभी पहलुओं की जांच करते हैं। यह शाखा अधिगम के मनोविज्ञान और अधिगम एवं प्रेरणा के मनोवैज्ञानिक ज्ञान का इस्तेमाल करके स्कूल में पाठ्यक्रम सीखने की क्षमता बढ़ाने की व्यापक समस्या से संबंधित हैं। स्कूल मनोविज्ञान नामक एक अन्य विशेष उप-क्षेत्र को शैक्षिक मनोविज्ञान में शामिल किया जा सकता हैं।
एर्गोनॉमिक्स (Ergonomics)
यह मनोविज्ञान का एक क्षेत्र है जो मानव व्यवहार और इंजीनियरिंग प्रौद्योगिकियों के अंतरसंबंध पर आधारित हैं। यह कर्मचारियों और व्यक्तियों के आराम और सर्वोत्तम प्रदर्शन के लिए कार्य स्थल के वातावरण उत्पादों या प्रणालियों को डिजाइन करने और उनको प्रबंधित करने की प्रक्रिया से संबंधित हैं।
औद्योगिक / संगठनात्मक मनोविज्ञान (Industrial / Organizational Psychology)
यह क्षेत्र कर्मचारियों के चयन एवं भर्ती कार्य निश्पादन का मूल्यांकन कार्य प्रेरणा और नेतृत्व से लेकर कार्य वातावरण में व्यवहार के सभी पहलुओं की जांच करता हैं। आजकल. कई कंपनिया अपने कर्मचारियों के चयन के कार्यक्रमों के लिए ऐसे परीक्षणों के आधुनिक संस्करणों का उपयोग कर रही हैं।
इस क्षेत्र के विशेषज्ञ संगठन के भीतर प्रबंधन और कर्मचारी प्रशिक्षण, नेतृत्व एवं पर्यवेक्षण संचार प्रेरणा समूहों के मध्य और अंतर-समूह संघर्षो से संबंधित समस्याओं के लिए भी मनोविज्ञान का इस्तेमाल करते हैं ये काम के माहौल एवं संगठनों और कार्य परिस्थिति में मानवीय संबंधों को बेहतर बनाने के लिए कार्य के दौरान (ऑन-द-जॉब), प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इन मनोवैज्ञानिकों को कभी-कभी कार्मिक मनोवैज्ञानिक भी कहा जाता हैं।
चिकित्सा मनोविज्ञान (Medical psychology)
चिकित्सा मनोविज्ञान (मेडिकल साइकोलॉजी) का क्षेत्र चिकित्सा समस्याओं के प्रबंधन के लिए मनोविज्ञान के ज्ञान का इस्तेमाल करता है, जैसे कि बीमारी का भावनात्मक प्रभाव, कैंसर के लिए स्व-जांच, दवाएं लेने में अनुपालन। इन मनोवैज्ञानिकों की नौकरी स्वास्थ्य मनोविज्ञान के हिस्से के साथ ओवरलैप होती हैं।
फोरेंसिक मनोविज्ञान (forensic psychology)
यह एक ऐसा क्षेत्र है जो मनोविज्ञान और कानून का मिश्रण या संयोजन हैं। इसमें व्यक्तियों का मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन शामिल है (आमतौर पर एक गैरकानूनी कार्य या अपराध के लिए संदिग्ध)। एक फोरेंसिक मनोवैज्ञानिक विभिन्न परिस्थितियों में शामिल होकर सेवा प्रदान करते हैं, जैसे भविष्य के आपराधिक/आतंकी खतरों के आकलन के समूह में जेल या अदालत में विशेषज्ञ गवाह के रूप में वे व्यवहार विश्लेषण, विकास मूल्यांकन एवं उपचार में पेशेवर रूप से माहिर होते हैं। हालांकि इन्हें कानून और आपराधिक मनोविज्ञान का प्रशिक्षण प्राप्त होता है लेकिन इन्हें नैदानिक मनोविज्ञान में भी प्रशिक्षित होना पड़ता हैं। इन्हें नैदानिक मूल्यांकन साक्षात्कार रिपोर्ट लेखन और मजबूत मौखिक संचार जैसे कौशलों का मर्मज्ञ होने की आवश्यकता होती हैं।
सैन्य मनोविज्ञान (Military psychology)
मनोविज्ञान की यह शाखा देश के भीतर और साथ ही साथ देश के बाहर तैनात सैन्य बलों के व्यवहार को समझने और उनका पूर्वानुमान लगाने के लिए मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों का इस्तेमाल करने के अध्ययन से सम्बंधित हैं। मनोवैज्ञानिक साधनों का प्रयोग सशस्त्र बलों को तनावपूर्ण स्थितियों में बेहतर ढंग से अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने मदद करता हैं। मनोविज्ञान का ये क्षेत्र दुश्मन सेना से निपटने के लिए मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों और नियमों के इस्तेमाल पर भी काम करता है। यह कार्य और जीवन के बीच संतुलन को बनाने के तरीके को भी दर्शाता है।
पर्यावरण मनोविज्ञान (Environmental psychology)
मनोविज्ञान की ये शाखा मानव और उनकी भलाई के लिए बेहतर जीवन स्थितियों को बढ़ाने के लिए पर्यावरण के मुद्दों पर मनोवैज्ञानिक शोध और समस्या समाधान करते हैं। यह पर्यावरण के साथ मानव के अंतर-संबंधों पर आधारित हैं।
खेल मनोविज्ञान (Sports psychology)
खेल मनोवैज्ञानिक खेल एथलेटिक प्रदर्शन, व्यायाम और शारीरिक गतिविधि पर मनोविज्ञान के प्रभाव का अध्ययन हैं। यह खेल के विभिन्न पहलुओं से संबंधित है जो पेशेवर एथलीटों और प्रशिक्षकों के बीच प्रेरणा प्रदर्शन और टीम भावन्त के स्तर को बढ़ा सकते हैं। यह व्यक्तियों की सकारात्मक स्वास्थ्य के संदर्भ में खेल और व्यायाम में भागीदारी की प्रासंगिकता को भी दर्शाता हैं।
भारत में मनोविज्ञान: पारंपरिक और आधुनिक
मनोविज्ञान पश्चिमी देशों में दर्शनशास्त्र से एक स्वतंत्र धारा के रूप में उभरा और भारत में मनोविज्ञान पर पश्चिमी विचारों और सिद्धांतों का मनोविज्ञान महत्त्वपूर्ण प्रभाव था। मूल रूप से भारतीय मनोविज्ञान प्राचीन भारतीय विचारों और उपदेशों पर केंद्रित हैं। परंपरागत रूप से, वेदों और महाकाव्य साहित्य जैसे दार्शनिक और धार्मिक साहित्य ने धार्मिक विचारों और दर्शन को दर्शाया है कि किसी व्यक्ति को विभिन्न परिस्थितियों में कैसे व्यवहार करना चाहिए। वेद, योग सूत्र और भगवद गीता मानव कार्यों और समाज पर इसके प्रभाव को दर्शाते हैं।
भारत में मनोविज्ञान को पहली बार 1916 में कलकत्ता विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र विभाग में शुरू किया गया था। स्वतंत्र तौर पर मनोविज्ञान विभागों ने कार्य करना स्वतंत्रता के बाद ही शुरु किया। प्रारंभिक वर्षों के दौरान प्रायोगिक मनोविज्ञान को बहुत प्रासंगिकता दी गई थी। मनोविज्ञान के ज्ञान को बढ़ावा देने आगे बढ़ाने और फैलाने के उद्देश्य से भारतीय मनोवैज्ञानिक संघ की स्थापना 1924 में की गई थी उसके एक साल बाद Indian Journal of Psychology (भारतीय मनोविज्ञान शोध-पत्रिका) ने इसका अनुसरण किया 40 के दशक के उत्तरार्ध में भारत में अनुप्रयोगात्मक (एप्लाइड) मनोविज्ञान को महत्व मिला।
भारत में आधुनिक मनोविज्ञान का विकास भारतीय मनोवैज्ञानिकों द्वारा संवेदना और प्रत्यक्षण को समझाने के लिए विकसित सिद्धांतों के तौर पर देखा जा सकता है। पश्चिमी मनोवैज्ञानिकों की तरह भारत में मनोवैज्ञानिकों ने भी संज्ञान के भारतीय सिद्धांतों की तलाश शुरू कर दी। वर्तमान में देश भर में बहुत सारे मनोवैज्ञानिक शोध भी चल रहे हैं।
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