इस्लामी क्रांति क्या थी? – कारण और परिणाम (What was the Islamic Revolution? – Cause and Consequence)
ईरान की इस्लामिक क्रांति 11 फ़रवरी, 1979 में हुई थी, जिसने ईरान के शाह मोहम्मद रज़ा पहलवी को अपदस्थ कर, आयतुल्लाह रुहोल्लाह ख़ोमैनी के अधीन एक लोकप्रिय धार्मिक गणतंत्र की स्थापना की। इस क्रांति को फ्रांस की राज्यक्रांति और बोल्शेविक क्रांति के बाद विश्व की सबसे महान क्रांति कहा जाता है।
इस्लामी क्रांति (Islamic Revolution) क्यों हुई –
1941 में अंग्रेज़ों तथा रूसियों ने ईरान पर अधिकार कर लिया था – यद्यपि सैनिक तथा लिखित रूप से ऐसा कुछ नहीं हुआ था। रज़ा शाह खुद जर्मन नाज़ियों को समर्थन करने लगा था। फिर दोनों राष्ट्रों को लगने लगा कि ईरान जर्मनी के साथ चला जाएगा दोनों देश के लिए ईरान बहुत महत्वपूर्ण था क्योंकि यहाँ तेल का भण्डार था और यह एशियाई सोवियत रूस और ब्रिटिश भारत के बीच पड़ता था।
इस्लामी क्रांति (Islamic Revolution) के कारण
क्रांति की शुरुआत से पहले ईरान पर शाह रज़ा पहलवी की हुकूमत थी। शाह की आर्थिक नीतियों से लोगो में परेशानी होने लगी जिसके कारण लोगों में नाराजगी जाहिर होने लगी। विरोध करने वाले दल पैरिस में निर्वासन का जीवन बिता रहे शिया धार्मिक नेता आयतुल्लाह ख़ुमैनी के इर्द-गिर्द जमा होने लगे।
आम हड़तालों और हिंसा का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ कि देश भर में अस्थिरता की स्थिति पैदा हो गई और ईरान की अर्थव्यवस्था एक तरह से ठप हो गई। जनवरी 1979 में शाह ने अपने अनुपस्थति में प्रधानमंत्री को राज्य चलाने के लिए ईरान से बहार चले गए। उसी दौरान आयतुल्लाह ख़ुमैनी ने शाह के मूर्ति को नष्ट कर दिया।
ख़ुमैनी-समर्थक प्रदर्शनकारियों, साम्राज्यवाद के हिमायतियों और पुलिस के बीच हर गलियों और सड़कों पर मुठभेड आम बात हो गई। 11 फ़रवरी को तेहरान की सड़कों पर टैंक नज़र आने लगे और सैन्य तख़्ता पलट की अफ़वाहें तेज़ हो गईं।
इस्लामिक क्रांति का परिणाम
1979 की क्रांति के पश्चात् देश में आध्यात्मिक नेता खोमेनी (Khomeini) के अधीन इस्लामी गणतंत्र का गठन हुआ। नवम्बर 4, 1979 को कुछ मुस्लिम छात्रों ने अमेरिकी दूतावास पर कब्ज़ा कर लिया और 52 अमेरिकी राजनयिकों और नागरिकों को बंधक बना लिया। इस घटना को ईरान बंधक संकट (Iran Hostage Crisis) कहा जाता है।
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