मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षीण होने पर शरीर बहुत सारी बीमारियों से ग्रसित होने लगता है। वैसे तो असंतुलित भोजन, प्रतिकूल वातावरण व असंतुलित जीवनचर्या जैसे तमाम अन्य कारणों की वजह से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षीण होती रहती है, लेकिन इन कारणों के अलावा शरीर में सेलीनियम (Selenium) की अपेक्षित मात्रा न होने के कारण भी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता त्वरित गति से क्षीण होने लगती है।
सेलीनियम की कमी के कारण मधुमेंह, कैंसर, गठिया, अस्थमा, थाइरायड, अम्लपित्त, हृदयशूलता, मस्तिष्क रोग, फेफडे-यकृत और गुर्दा रोग, पौरुष शक्ति क्षीणता व कमजोर गर्भधारण क्षमता इत्यादि बीमारियां अचानक होने लगती हैं। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को संतुलित बनाए रखने के लिए सेलीनियम एक अति आवश्यक तत्व है।
सेलीनियम की खोज (Discovery of Selenium)
सेलीनियम की खोज सन 1817 में स्वीडन के रसायन वैज्ञानिक जैकब बर्जीलियस द्वारा की गयी थी। चंद्रमा जैसी चमक देखकर ग्रीक देवता के सम्मान में इसका नाम सेलिनी रखा गया।
सेलीनियम की खोज के उपरांत करीब 140 वर्ष के बाद स्वार्ज और फोल्ट्ज ने अपने सघन शोधकार्यों के द्वारा सन् 1957 में सेलीनियम के विषैलापन की अवधारणा को खत्म कर जीव-जंतुओं के शारीरिक विकास के लिये अतिआवश्यक तत्व सिद्ध किया।
स्वार्ट्ज और फोल्ट्ज के इस चमत्कारिक शोधकार्य के परिणामस्वरूप मनुष्यों और पशु-पक्षियों में होने वाली विभिन्न बीमारियां जैसे मधुमेंह, कैंसर, गठिया, अस्थमा, थाइरायड, अम्लपित्त, हृदयशूलता, मस्तिष्करोग, फेफडे़-यकृत और गुर्दा रोग, पौरुष शक्ति क्षीणता व कमजोर गर्भधारण क्षमता इत्यदि के लिये सेलीनियम की कमी का कारण पाया गया।
संसार के बहुत सारे देशों की जमीनों में सेलीनियम की बहुत ही कमी पायी गयी। इसकी कमी के परिणामस्वरूप चीन के कुछ प्रांतों में वहां के निवासी बहुतायत में हृदय शूल जैसी बीमारियों से ग्रसित होते हैं।
सेलेनियम की कमी से कौन सा रोग होता है?
शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को संतुलित बनाये रखने के लिये शरीर में सेलीनियम की आवश्यक मात्रा की काफी अहम भूमिका होती है। सेलीनियम की कमी के कारण मधुमेंह, कैंसर, गठिया, अस्थमा, थाइरायड, अम्लपित्त, हृदयशूलता, मस्तिष्क रोग, फेफडे-यकृत और गुर्दा रोग, पौरुष शक्ति क्षीणता व कमजोर गर्भधारण क्षमता इत्यादि बीमारियां अचानक होने लगती हैं।
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