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Zoroastrianism in Hindi | जरश्रुष्ट पंथ क्या है?

Times Darpan
Last updated: 2023-11-30 01:16
By Times Darpan 473 Views
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6 Min Read
Zoroastrianism in Hindi

Zoroastrianism in Hindi: धर्म, दर्शन और संस्कृति ने समय के साथ विभिन्न प्रकार के पंथ और संप्रदायों का उत्थान किया है। इनमें से एक रहस्यमय और गंभीर पंथ है – “जरश्रुष्ट पंथ”। जरश्रुष्ट पंथ प्राचीन धर्मों मे से एक है और महत्वपूर्ण है। यह एकेश्वरवादी धर्मों में से एक है, और इसने यहूदी, ईसाई और इस्लाम जैसे अन्य धर्मों पर प्रभाव डाला है। जरश्रुष्ट पंथ, जो एक शांतिपूर्ण और समतावादी धर्म है, आज भी दुनिया भर में मौजूद है। इस ब्लॉग में हम जरश्रुष्ट धर्म के मूल सिद्धांतों, इतिहास और पौराणिक महत्व को समझेंगे।

Contents
जरश्रुष्ट पंथ क्या है? What is Zoroastrianism in Hindiजरश्रुष्ट धर्म के मूल सिद्धांतजरश्रुष्ट पंथ का इतिहास | History of Zoroastrianism in Hindiजरश्रुष्ट पंथ की वर्तमान दशा और भविष्य

जरश्रुष्ट पंथ क्या है? What is Zoroastrianism in Hindi

जरश्रुष्ट पंथ, या पारसी धर्म ईरान में पैदा हुआ एक प्राचीन धर्म है। यह धर्म लगभग 3,500 साल पहले के एक दार्शनिक और धार्मिक नेता ज़रथुश्त्र के उपदेशों पर आधारित है। ज़रथुश्त्र के अनुसार अहुरा माज़दा नामक एक एकेश्वरवादी ईश्वर है, और उन्होंने कहा कि मानव को अच्छे और बुरे के बीच लड़ना चाहिए। जरश्रुष्ट धर्म में मृत्यु के बाद पुनर्जन्म का भी विश्वास है; वे मानते हैं कि अच्छे लोग स्वर्ग में जाएंगे, जबकि बुरे लोग नरक में जाएंगे।

जरश्रुष्ट पंथ एक शांतिप्रिय धर्म है, जिसमें सभी धर्मों के लोगों के साथ शांति और सद्भाव से रहने का विश्वास है। वे भी सत्य और अहिंसा का पालन करते हैं। जरश्रुष्ट पंथ एक प्राचीन धर्म है, लेकिन आज भी इसे लाखों लोग दुनिया भर में मानते हैं।

जरश्रुष्ट धर्म के मूल सिद्धांत

जरश्रुष्ट पंथ का आधार धर्म, धर्मीयता, कर्म और मोक्ष है। यह पंथ भारत की धार्मिक और दार्शनिक परंपरा में एक विशिष्ट स्थान रखता है, और इसके मूल सिद्धांत उसके सिद्धांतिक आधार को दर्शाते हैं। इस पंथ के मूल सिद्धांतों को यहां विस्तार से समझने का प्रयास करते है –

  • धर्म: यहाँ धर्म का अर्थ है धार्मिक आचरण, धर्मीयता और धार्मिक जीवन को पूरी तरह से पालन करना। धर्म का पालन करने से एक व्यक्ति आध्यात्मिक विकास करता है और अपने जीवन को संयमित बनाता है।
  • धर्मीयता: जीवन में धार्मिकता का पालन करना, नैतिकता, ईमानदारी, और सत्यनिष्ठा का पालन करना धर्मीयता है। जो उनके जीवन को अधिक सकारात्मक और सच्चे बनाता है।
  • कर्म: जीवात्मा कर्म करके अपने आत्मा से एकीभाव बनाता है और धार्मिक जीवन की ओर बढ़ता है।
  • एकेश्वरवाद: जरश्रुष्ट पंथ में एक एकेश्वरवादी ईश्वर अहुरा माज़दा का विश्वास है.।
  • बुरे और अच्छे के बीच संघर्ष: जरश्रुष्ट पंथ का मानना है कि मनुष्य को अच्छे और बुरे के बीच संघर्ष करना चाहिए।
  • मृत्यु के बाद पुनर्जन्म: इस पंथ में मृत्यु के बाद पुनर्जन्म का भी विश्वास है ।
  • स्वर्ग और नरक: जरश्रुष्ट धर्म में विश्वास है कि अच्छे लोग स्वर्ग में जाएंगे, जबकि बुरे लोग नरक में जाएंगे ।
  • शांति और सौहार्द्र: जरश्रुष्ट धर्म एक शांतिप्रिय धर्म है, जिसमें सभी धर्मों के लोगों के साथ शांति और सद्भाव से रहने का विश्वास है।
  • सत्य और अहिंसा: जरश्रुष्ट पंथ अहिंसा और सत्य का भी पालन करते हैं।

जरश्रुष्ट धर्म का सर्वश्रेष्ठ सिद्धांत है कि अच्छे और बुरे के बीच युद्ध होता है। वे मानते हैं कि मानव जाति को अन्धकार के देवता के खिलाफ अच्छाई के पक्ष में लड़ना चाहिए। वे विश्वास करते हैं कि अच्छे लोग अंततः विजयी होंगे, और पूरी दुनिया में शांति और सद्भाव कायम होगा।

जरश्रुष्ट पंथ का इतिहास | History of Zoroastrianism in Hindi

इस पंथ का विकास ईरान में हुआ। इसके प्रवर्तक जरशथ्रुष्ट नामक चिन्तक थे। इनका मानना था कि विश्व में हमेशा प्रकाश और अंधकार की शक्ति के बीच संघर्ष होता है और जीत, प्रकाश की शक्ति की होती है। इसमें अग्नि पूजा को विशेष महत्व दिया गया था। इसे ईरान के अखमिनी साम्राज्य का संरक्षण मिला था, अतः ईरान में इसका प्रसार हुआ। आगे जब इस्लामी शक्ति की स्थापना के बाद इसके अनुयायियों को उत्पीडित किया जाने लगा, तो फिर ये इधर-उधर बिखर गये तथा 8वीं सदी में इनकी एक शाखा भारत भी आयी। वे पारसी के नाम से जाने गये।

जरश्रुष्ट धर्म ने कई बार उत्पीड़न का सामना किया है, लेकिन इसने कभी भी अपने अस्तित्व को नहीं खोया है । दारा प्रथम, कुरुष प्रथम और शापुर प्रथम जैसे प्राचीन ईरानी शासकों ने जरश्रुष्ट पंथ को संरक्षण दिया और उन्होंने जरश्रुष्ट पंथ के अनुयायियों को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की ।

जरश्रुष्ट पंथ की वर्तमान दशा और भविष्य

वर्तमान में दुनिया भर में लगभग 100,000 लोग जरश्रुष्ट पंथ के अनुनायी हैं। इनमें से अधिकांश भारत में रहते हैं, लेकिन कुछ ईरान, अमेरिका, यूरोप और अन्य जगहों में रहते हैं।

जरश्रुष्ट धर्म का भविष्य कुछ चिंताजनक है। इस धर्म का अनुसरण करने वालों की संख्या लगातार कम हो रही है, जिससे इसके लिए नए अनुयायियों को खोजना मुश्किल हो रहा है। हालाँकि, कुछ जरश्रुष्ट पंथों के लोग इस धर्म को जीवित रखने और इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाने के लिए काम कर रहे हैं। वे इस धर्म की जागरूकता बढ़ाने और युवा लोगों को इसके बारे में बताने की कोशिश कर रहे हैं।

जरश्रुष्ट धर्म के अनुयायियों का विश्वास है कि यह धर्म जीवित रहेगा और भविष्य की पीढ़ियों के लिए उपयोगी रहेगा, हालांकि इसका भविष्य अज्ञात है।

TAGGED:historyHistory of Medieval IndiaReligionWorld History
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